महाराष्ट्र की अधिकारी ने चुनौती भरी यात्रा को याद किया |

Ankit
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अमरावती, 19 जनवरी (भाषा) संजीता महापात्रा का अनचाही बेटी से भारतीय प्रशासनिक सेवा (आईएएस) की अधिकारी तक का सफर धैर्य और दृढ़ संकल्प के साथ बाधाओं पर विजय पाने की कहानी है।


महापात्रा महाराष्ट्र में अमरावती जिला परिषद की मुख्य कार्यकारी अधिकारी हैं, जिन्होंने जिले में शिक्षा और स्वास्थ्य सुविधाओं को बेहतर बनाने पर ध्यान केंद्रित किया है।

महापात्रा ने कुछ दिन पहले संवाददाता सम्मेलन के दौरान कहा था कि उनका जन्म ओडिशा के राउरकेला में एक गरीब परिवार में हुआ था और उनके जन्म से उनकी मां निराश हो गई थीं, जो उनकी बड़ी बहन के बाद एक बेटा चाहती थीं।

अधिकारी (34) ने बताया कि उनके परिवार ने उन्हें लगभग छोड़ दिया था, लेकिन उनकी बड़ी बहन के आग्रह पर उनके माता-पिता ने उन्हें अपने पास रख लिया।

महापात्रा का बचपन परिवार की खराब आर्थिक स्थिति के कारण कठिनाइयों से भरा था। उन्हें अपनी शिक्षा पूरी करने के लिए सामाजिक संगठनों, शिक्षकों और छात्रवृत्तियों पर निर्भर रहना पड़ा।

मैकेनिकल इंजीनियरिंग में डिग्री हासिल करने के बाद, उन्हें स्टील अथॉरिटी ऑफ इंडिया (सेल) में सहायक प्रबंधक की नौकरी मिली और इस अवधि के दौरान, उन्होंने अपने माता-पिता को उनके गांव में घर बनाने में मदद की।

उन्होंने कहा कि अब उनके माता-पिता को उनकी उपलब्धियों पर गर्व है।

महापात्रा की बचपन से ही आईएएस अधिकारी बनने की ख्वाहिश थी और अपने पति की प्रेरणा और समर्थन से 2019 में अपने पांचवें प्रयास में संघ लोक सेवा संघ (यूपीएससी) की सिविल सेवा परीक्षा उत्तीर्ण की।

अमरावती जिला परिषद की सीईओ के रूप में, महापात्रा ने कहा कि वह स्वयं सहायता समूहों में महिलाओं को सशक्त बनाना चाहती हैं और जिला परिषद स्कूलों में शिक्षा की गुणवत्ता में सुधार करना चाहती हैं।

उन्होंने स्वयं सहायता समूहों के उत्पादों के लिए एक विशिष्ट बाजार बनाने पर ध्यान केंद्रित किया है।

भाषा धीरज सुभाष

सुभाष



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