बिनौला खल का दाम सुधरने से देशी खाद्य तेल-तिलहन कीमतों में मामूली गिरावट

Ankit
4 Min Read


नयी दिल्ली, 14 जनवरी (भाषा) बिनौला सीड के दाम में निरंतर सुधार आने के बीच देश के तेल-तिलहन बाजार में मंगलवार को अधिकांश देशी तेल-तिलहन के दाम मामूली गिरावट के साथ बंद हुए। दूसरी ओर मकर संक्रांति पर्व के उपलक्ष्य में गुजरात का बाजार बंद होने की वजह से मूंगफली तेल-तिलहन तथा बिकवाली कमजोर रहने के बीच ऊंचे भाव पर पेराई का दाम बेपड़ता बैठने से सोयाबीन तिलहन के दाम पूर्वस्तर पर ही बंद हुए।


मलेशिया एक्सचेंज में दोपहर 3.30 बजे लगभग 1.25 प्रतिशत की गिरावट थी, जबकि शिकॉगो एक्सचेंज में मामूली सुधार है।

बाजार सूत्रों ने कहा कि भरतीय कपास निगम (सीसीआई) ने पिछले एक महीने में बिनौला सीड (तिलहन) के दाम में 400-500 रुपये क्विंटल की वृद्धि की है। इस वृद्धि के कारण कपास नरमा और बिनौला खल के दाम में भी सुधार आया। इस खल का दाम सुधरने के कारण बिनौला तेल के दाम में मामूली गिरावट है और इसका असर बाकी देशी तेल कीमतों पर भी हुआ जिससे उनके दाम में मामूली गिरावट देखी गई।

उन्होंने कहा कि बिनौला में असली खेल, उससे निकलने वाले खल का ही है। बिनौला से 90 प्रतिशत खल और लगभग 10 प्रतिशत ही तेल निकलता है। बाकी खाद्य तेलों के मुकाबले बिनौला तेल का थोक दाम सबसे सस्ता (120 – 121 रुपये किलो) होने के कारण इसमें दर्ज होने वाली गिरावट का असर बाकी खाद्य तेल कीमतों पर देखा जा रहा है जिससे बाकी खाद्य तेलों (सरसों तेल-तिलहन, सोयाबीन तेल और बिनौला तेल-सभी देशी तेल-तिलहन) के दाम साधारण रूप से कमजोर हो गये।

सूत्रों ने कहा कि मकर संक्रांति के अवसर पर गुजरात में बाजार बंद रहने की वजह से कारोबार नहीं होने के कारण मूंगफली तेल-तिलहन के दाम पूर्वस्तर पर बने रहे। जबकि कमजोर दाम पर कम बिकवाली तथा मिलों द्वारा ऊंचे दाम पर खरीद के बाद खाद्य तेल का दाम बेपड़ता बैठने के बीच सोयाबीन सीड के दाम पूर्वस्तर पर बने रहे।

मलेशिया एक्सचेंज के कमजोर बंद होने की वजह से पाम एवं पामोलीन तेल कीमतों में भी गिरावट आई।

सूत्रों ने कहा कि आज एक प्रमुख तेल संगठन ने कहा है कि दक्षिण अमेरिकी भूभाग के सस्ते सोयाबीन तेल का आयात बढ़ने से दिसंबर महीने में पाम-पामोलीन तेल का आयात प्रभावित हुआ है। तेल संगठन को इस बात को स्पष्ट रूप से रखना चाहिये था कि भाव सबसे ऊंचा होने की वजह से मांग कमजोर रहने के बीच पाम, पामोलीन की मांग प्रभावित होने से सस्ते सोयाबीन तेल का आयात बढ़ा है।

उन्होंने कहा कि तेल संगठन द्वारा सोयाबीन तेल के आयात में वृद्धि का जो आंकड़ा दिया गया है, वह पाम, पामोलीन के आयात की कमी को पूरा करने के लिए पर्याप्त नहीं कहा जा सकता।

तेल-तिलहनों के भाव इस प्रकार रहे:

सरसों तिलहन – 6,650-6,700 रुपये प्रति क्विंटल।

मूंगफली – 5,850-6,175 रुपये प्रति क्विंटल।

मूंगफली तेल मिल डिलिवरी (गुजरात) – 14,000 रुपये प्रति क्विंटल।

मूंगफली रिफाइंड तेल – 2,125-2,425 रुपये प्रति टिन।

सरसों तेल दादरी- 13,700 रुपये प्रति क्विंटल।

सरसों पक्की घानी- 2,330-2,430 रुपये प्रति टिन।

सरसों कच्ची घानी- 2,330-2,455 रुपये प्रति टिन।

तिल तेल मिल डिलिवरी – 18,900-21,000 रुपये प्रति क्विंटल।

सोयाबीन तेल मिल डिलिवरी दिल्ली- 13,625 रुपये प्रति क्विंटल।

सोयाबीन मिल डिलिवरी इंदौर- 13,425 रुपये प्रति क्विंटल।

सोयाबीन तेल डीगम, कांडला- 9,800 रुपये प्रति क्विंटल।

सीपीओ एक्स-कांडला- 13,075 रुपये प्रति क्विंटल।

बिनौला मिल डिलिवरी (हरियाणा)- 12,150 रुपये प्रति क्विंटल।

पामोलिन आरबीडी, दिल्ली- 14,250 रुपये प्रति क्विंटल।

पामोलिन एक्स- कांडला- 13,350 रुपये (बिना जीएसटी के) प्रति क्विंटल।

सोयाबीन दाना – 4,400-4,450 रुपये प्रति क्विंटल।

सोयाबीन लूज- 4,100-4,200 रुपये प्रति क्विंटल।

भाषा राजेश राजेश अजय

अजय



Share This Article
Leave a comment

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *