जीजेईपीसी हीरा निर्यात में सुधार को लेकर आशावादी, सिंगूर को वैश्विक आभूषण केंद्र बनाने पर नजर

Ankit
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कोलकाता, 11 जनवरी (भाषा) रत्न एवं आभूषण निर्यात संवर्धन परिषद (जीजेईपीसी) ने शनिवार को कहा कि चालू वित्त वर्ष के पहले नौ महीनों में सोने का आभूषणों का निर्यात 12 प्रतिशत बढ़ा है जबकि हीरे के निर्यात में 10 प्रतिशत की गिरावट आई है।

रत्न एवं आभूषण उद्योग के शीर्ष निकाय जीजेईपीसी ने आने वाले समय में खासकर अमेरिका को हीरे के निर्यात में सुधार की उम्मीद जताई है। कुल हीरा निर्यात में लगभग आधा हिस्सा अमेरिका का है।

वित्त वर्ष 2024-25 में अप्रैल से नवंबर के दौरान तराशे और पॉलिश किए गए हीरों का निर्यात एक साल पहले की समान अवधि के मुकाबले 18.8 प्रतिशत घटकर 898.02 करोड़ डॉलर रह गया।

अधिकारियों ने कहा कि चीन की सुस्त मांग हीरे के निर्यात के लिए चिंता का विषय बनी हुई है। हालांकि उन्होंने कहा कि अमेरिका में ‘थैंक्सगिविंग फेस्टिवल’ के दौरान मांग पांच प्रतिशत बढ़ने से कुछ राहत मिली है।

जीजेईपीसी के चेयरमैन विपुल शाह ने कोलकाता स्थित पूर्वी क्षेत्रीय कार्यालय के रजत जयंती समारोह में कहा, ‘‘हमारा मानना ​​है कि सबसे बुरा समय बीत चुका है। इस वित्त वर्ष के पहले नौ महीनों में 10 प्रतिशत की गिरावट आई है। अमेरिका में डोनाल्ड ट्रंप के नेतृत्व में नई सरकार आने से हम मांग में सुधार को लेकर आशावादी हैं और वित्त वर्ष 2025-26 में 10-15 प्रतिशत की वृद्धि की उम्मीद कर रहे हैं।’’

जीजेईपीसी के राज्य अधिकारी पंकज पारेख ने कहा कि सोने की बढ़ती कीमतों से सोने के आभूषणों के निर्यात को फायदा पहुंचा है।

शाह ने कहा कि उद्योग ने अपने बजट-पूर्व प्रस्तावों में प्लेटिनम के लिए शुल्क वापसी के समायोजन की मांग की है, जो महत्वपूर्ण संभावनाओं वाला एक उभरती हुई कीमती धातु है।

जीजेईपीसी ने कहा कि उसने हीरे के वैश्विक जेनेरिक प्रोत्साहन पर 150 करोड़ रुपये का निवेश किया है और कीमत के प्रति सजग उपभोक्ताओं की जरूरतों को पूरा करने के लिए प्रयोगशाला में निर्मित हीरे को भी बढ़ावा दे रहा है।

शाह ने पश्चिम बंगाल में सिंगूर को फैशन और पोशाक ज्वैलरी के लिए वैश्विक निर्यात केंद्र के रूप में स्थापित करने की योजना की भी घोषणा की, जिसमें कुशल कार्यबल और कारीगरी विरासत का लाभ उठाया जाएगा।

उन्होंने कहा, ‘‘यह सिंगूर के निर्माताओं के लिए बढ़ती मांग को पूरा करने और अपनी वैश्विक उपस्थिति को बढ़ाने के लिए एक रणनीतिक अवसर पेश करता है। सिंगूर में स्थानीय विनिर्माण इकाइयों में काम करने वाले लगभग एक लाख कुशल बंगाली ‘कारीगर’ हैं। इस कार्यबल में 20 प्रतिशत महिलाएँ हैं। सिंगुर को निर्यात केंद्र के रूप में विकसित करने से स्थानीय कुटीर उद्योग को बढ़ावा मिलेगा।’’

हुगली जिले में स्थित सिंगूर पांच रेलवे स्टेशनों, राष्ट्रीय राजमार्ग-2 और कोलकाता हवाई अड्डे के निकट होने के कारण रणनीतिक लाभ लेने की स्थिति में है।

भाषा राजेश राजेश प्रेम

प्रेम



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