न्यायालय ने सेबी से सहारा समूह के भूखंडों के विकास को लेकर प्रस्तावों पर गौर करने को कहा

Ankit
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नयी दिल्ली, आठ जनवरी (भाषा) उच्चतम न्यायालय ने बुधवार को बाजार नियामक सेबी और ‘एमिकस क्यूरी’ से निवेशकों का पैसा लौटाने के लिए मुंबई में सहारा समूह के भूखंडों पर परियोजनाएं विकसित करने के दो अलग-अलग प्रस्तावों पर गौर करने को कहा।


प्रधान न्यायाधीश संजीव खन्ना, न्यायमूर्ति एम एम सुंदरेश, न्यायमूर्ति बेला एम त्रिवेदी की विशेष पीठ ने कहा कि सहारा समूह के साथ संयुक्त उद्यम में प्रवेश करने की इच्छुक कंपनियों को 15 दिनों के भीतर उच्चतम न्यायालय की रजिस्ट्री में 1,000 करोड़ रुपये जमा कराने होंगे।

मुंबई स्थित वैलोर एस्टेट लिमिटेड (वीईएल) ने भी सहारा समूह की वर्सोवा भूमि में रुचि दिखाते हुए शीर्ष अदालत का रुख किया। वीईएल की ओर से पेश वरिष्ठ अधिवक्ता मनन कुमार मिश्रा ने कहा कि वह 1,000 करोड़ रुपये का अग्रिम भुगतान करने को तैयार है।

वीईएल को पहले डीबी रियल्टी लिमिटेड के नाम से जाना जाता था।

कंपनियों के प्रस्तावों की एक प्रति भारतीय प्रतिभूति एवं विनिमय बोर्ड (सेबी) के अधिवक्ताओं और ‘एमिकस क्यूरी’ वरिष्ठ अधिवक्ता शेखर नफाड़े को उपलब्ध कराई जाएगी।

पीठ ने कहा, ‘‘सेबी अपनी जांच करेगा और प्रस्ताव का अध्ययन करेगा, ताकि वह इस अदालत में सीलबंद लिफाफे में अपना जवाब दाखिल कर सके, जिसकी एक प्रति प्रस्तावक कंपनियों और डेवलपर के वकीलों को भी भेजी जाएगी।’’

मामले को तीन सप्ताह बाद सूचीबद्ध करते हुए न्यायालय ने कहा, ‘‘वीईएल ने आज से 15 दिनों के भीतर डिमांड ड्राफ्ट के माध्यम से इस न्यायालय में 1000 करोड़ रुपये जमा कराने का वचन दिया है।’’

पांच सितंबर को शीर्ष न्यायालय ने सहारा समूह को 15 दिनों के भीतर एक अलग ‘एस्क्रो’ खाते में 1000 करोड़ रुपये जमा कराने का निर्देश दिया था, जबकि उसे 10,000 करोड़ रुपये जुटाने के लिए मुंबई के वर्सोवा में अपने भूखंडों पर परियोजनाओं के लिए एक संयुक्त उद्यम बनाने की अनुमति दी थी।

उच्चतम न्यायालय के 2012 के आदेश के अनुपालन में निवेशकों का पैसा लौटाने के लिए यह राशि सेबी-सहारा रिफंड खाते में जमा की जानी थी। न्यायालय ने कहा था कि यदि संयुक्त उद्यम/विकास समझौता 15 दिनों के भीतर न्यायालय में दाखिल नहीं किया गया तो वर्सोवा में 121.5 लाख वर्ग फुट जमीन ‘‘जहां है, जैसी है’’ के आधार पर बेची जाएगी।

शीर्ष अदालत ने सहारा समूह की कंपनियों सहारा इंडिया रियल एस्टेट कॉरपोरेशन लिमिटेड (एसआईआरईसीएल) और सहारा हाउसिंग इन्वेस्टमेंट कॉरपोरेशन लिमिटेड (एसएचआईसीएल) को मुंबई में एंबी वैली परियोजना सहित अन्य संपत्तियों के विकास के लिए संयुक्त उद्यम समझौता करने की अनुमति दे दी है, जिन्हें 2012 में लगभग 25,000 करोड़ रुपये जमा करने का आदेश दिया गया था।

पीठ ने कहा कि सहारा समूह 2012 से उच्चतम न्यायालय के आदेश का पालन न करने के कारण ‘‘गहरी परेशानी’’ में है। पीठ ने कहा कि संयुक्त उद्यम या विकास समझौते न्यायालय की मंजूरी के अधीन होंगे।

पीठ ने कहा, ‘‘दोनों कंपनियों (एसआईआरईसीएल और एसएचआईसीएल) को अन्य संपत्तियों के संबंध में संयुक्त उद्यम/विकास समझौतों के लिए बातचीत करने की भी अनुमति है। हालांकि, संयुक्त उद्यम/विकास समझौते करने से पहले उन्हें इस अदालत की अनुमति लेनी होगी।’’

न्यायालय ने 31 अगस्त, 2012 को एसआईआरईसीएल और एसएचआईसीएल को निर्देश दिया था कि वे व्यक्तिगत निवेशकों या निवेशकों के समूह से एकत्रित राशि को, सदस्यता राशि प्राप्त होने की तिथि से पुनर्भुगतान की तिथि तक 15 प्रतिशत वार्षिक ब्याज के साथ तीन महीने के भीतर सेबी को वापस करें।

नवंबर 2023 में सहारा समूह के प्रमुख सुब्रत रॉय का मुंबई के एक निजी अस्पताल में निधन हो गया। इस मामले में अदालत ने रॉय को हिरासत में लेने का आदेश दिया था।

भाषा आशीष सुरेश

सुरेश



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