दो बच्चों के नियम का उल्लंघन करने पर नगर निगम अधिकारी को सेवा से बर्खास्त किया गया |

Ankit
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पुणे, आठ जनवरी (भाषा) महाराष्ट्र के पिंपरी चिंचवाड़ नगर निकाय के सहायक आयुक्त स्तर के एक अधिकारी को अपने तीसरे बच्चे के बारे में जानकारी छिपाने का कथित तौर पर दोषी पाए जाने पर नौकरी से हाथ धोना पड़ा।


अधिकारी को महाराष्ट्र सिविल सेवा नियमावली के तहत दो बच्चों के नियम के कथित उल्लंघन का दोषी पाया गया और यह उनकी सेवानिवृत्ति से ठीक एक महीने पहले हुआ।

पीसीएमसी के आयुक्त शेखर सिंह ने पीसीएमसी के सामाजिक विकास विभाग के सहायक आयुक्त श्रीनिवास डांगट की सेवाएं समाप्त करने का आदेश सात जनवरी को जारी किया था।

डांगट ने बुधवार को दावा किया कि उन्होंने अपने तीसरे बच्चे के बारे में कभी कोई जानकारी नहीं छिपाई तथा वह अपनी बर्खास्तगी के खिलाफ उचित प्राधिकारी के समक्ष अपील करेंगे।

आदेश में कहा गया कि डांगट को महाराष्ट्र सिविल सेवा (छोटे परिवार की घोषणा) नियम, 2005 के तहत दो बच्चों के नियम का उल्लंघन करने का दोषी पाया गया।

पीसीएमसी अधिकारियों के अनुसार, डांगट के खिलाफ दर्ज कराई गई शिकायत के बाद आंतरिक जांच की गई।

आदेश में कहा गया कि 2013 में प्रशासनिक अधिकारी के तौर पर शामिल हुए

डांगट को महाराष्ट्र सिविल सेवा (छोटे परिवार की घोषणा) नियम, 2005 के तहत एक हलफनामा देना चाहिए था लेकिन लगातार याद दिलाने के बावजूद वह उक्त हलफनामा जमा नहीं करा पाए, जिसके कारण नगर निकाय ने उनके खिलाफ जांच शुरू की थी।

डांगट ने 1989 में लिपिक के तौर पर पीसीएमसी में काम करना शुरू किया था। 2013 में परीक्षा पास करके वह प्रशासनिक अधिकारी बने। बाद में उन्हें सहायक आयुक्त के पद पर पदोन्नत किया गया।

डांगट ने दावा किया कि उन्होंने 2011 में अपने तीसरे बच्चे के जन्म के बारे में नगर निकाय को सूचित किया था।

उन्होंने ‘पीटीआई-भाषा’ को बताया, ‘‘मैंने 2011 में अपने तीसरे बच्चे के जन्म के बारे में नगर निगम को सूचित किया था। पीसीएमसी के पास रिकॉर्ड उपलब्ध हैं। मैंने तीसरे बच्चे के बारे में कभी जानकारी नहीं छिपाई। इसके अलावा, दो बच्चों के मानदंड से संबंधित नियम 2006 में प्रभावी हुआ। मेरे दो बच्चे 2005 से पहले पैदा हुए थे।’’

डांगट के अनुसार, उन्होंने 2021 में जांच समिति के समक्ष अपेक्षित साक्ष्य पेश किए थे।

उन्होंने कहा, ‘‘अब चार साल बाद उन्होंने मेरी सेवा समाप्त कर दी है, जबकि मैं इस साल फरवरी में सेवानिवृत्त हो रहा हूं। मैं इस आदेश के खिलाफ पीसीएमसी आयुक्त के समक्ष अपील करूंगा। मैं उचित प्राधिकारी से न्याय की मांग करूंगा।’’

भाषा प्रीति प्रशांत

प्रशांत



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