मीठे पानी में पाए जाने वाले एक चौथाई जीवों के विलुप्त होने का खतरा : शोध |

Ankit
2 Min Read


वाशिंगटन, आठ जनवरी (एपी) नदियों, झीलों और अन्य मीठे पानी के स्रोतों में रहने वाले लगभग एक चौथाई जीवों पर विलुप्त होने का खतरा मंडरा रहा है। बुधवार को प्रकाशित नए शोध में यह जानकारी दी गयी।


ब्राजील के सेरा संघीय विश्वविद्यालय की जीवविज्ञानी और अध्ययन की सह-लेखिका पैट्रिशिया चार्वेट ने कहा, “अमेजन जैसी विशाल नदियां शक्तिशाली प्रतीत हो सकती हैं, लेकिन साथ ही मीठे पानी का वातावरण बहुत संवेदनशील होता है।”

इंग्लैंड में प्रकृति के संरक्षण के लिए अंतरराष्ट्रीय संघ की प्राणी विज्ञानी कैथरीन सेयर ने कहा कि मीठे पानी के आवासन क्षेत्र – जिनमें नदियां, झीलें, तालाब, जलधाराएं, दलदल और आर्द्रभूमि शामिल हैं – ग्रह की सतह के एक प्रतिशत से भी कम हिस्से में हैं, लेकिन वे इसकी 10 प्रतिशत जीव प्रजातियों का भरण-पोषण करते हैं।

शोधकर्ताओं ने ड्रैगनफ्लाई, मछली, केकड़ों और अन्य जीवों की लगभग 23,500 प्रजातियों का परीक्षण किया, जो पूर्णतः मीठे जल के पारिस्थितिकी तंत्र पर निर्भर हैं। उन्होंने पाया कि 24 प्रतिशत प्रजातियां प्रदूषण, बांध, जल निकासी, कृषि, आक्रामक प्रजातियों, जलवायु परिवर्तन और अन्य व्यवधानों से उत्पन्न खतरों के कारण विलुप्त होने के खतरे में हैं – जिन्हें संवेदनशील, संकटग्रस्त या गंभीर रूप से संकटग्रस्त के रूप में वर्गीकृत किया गया है।

अध्ययन की सह-लेखक सेयर ने कहा, “अधिकांश प्रजातियों के लिए केवल एक ही खतरा नहीं है जो उन्हें विलुप्त होने के खतरे में डालता है, बल्कि कई खतरे एक साथ मिलकर काम करते हैं।”

जर्नल ‘नेचर’ में प्रकाशित इस शोध के आंकड़े में पहली बार शोधकर्ताओं ने मीठे पानी की प्रजातियों के लिए वैश्विक जोखिम का विश्लेषण किया है। पिछले अध्ययनों में स्तनधारियों, पक्षियों और सरीसृपों सहित थलीय जीवों पर ध्यान केंद्रित किया गया था।

एपी प्रशांत पवनेश

पवनेश



Share This Article
Leave a comment

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *