नयी दिल्ली, आठ जनवरी (भाषा) भारतीय उद्योग परिसंघ (सीआईआई) के अध्यक्ष संजीव पुरी ने बुधवार को कहा कि भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) सुस्त पड़ती आर्थिक वृद्धि को समर्थन देने के लिए अगले महीने नीतिगत दर रेपो में कटौती कर सकता है। उन्होंने आगामी बजट में श्रम-केंद्रित क्षेत्रों के लिए लक्षित हस्तक्षेपों के माध्यम से रोजगार सृजन को बढ़ावा देने की जरूरत भी बतायी।
पुरी ने पीटीआई-भाषा के साथ बातचीत में खाद्य मुद्रास्फीति के उच्चस्तर पर बने रहने का जिक्र करते हुए कृषि क्षेत्र को मजबूत करने की जरूरत का उल्लेख किया। उन्होंने इसे भारतीय रिजर्व बैंक के मुद्रास्फीति लक्ष्य ढांचे के तहत अलग करने का तर्क देते हुए कहा कि यह जलवायु परिवर्तन के कारण है और वास्तव में मौद्रिक नीति से इसका कोई लेना-देना नहीं है।
उल्लेखनीय है कि केंद्रीय बैंक को खुदरा मुद्रास्फीति दो प्रतिशत घट-बढ़ के साथ चार प्रतिशत पर रखने की जिम्मेदारी मिली हुई है।
आईटीसी के चेयरमैन और प्रबंध निदेशक ने यह भी उम्मीद जतायी की कि भाजपा के नेतृत्व वाली राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (राजग) सरकार तीसरे कार्यकाल में बहुप्रतीक्षित श्रम सुधारों को आगे बढ़ाएगी। इससे अर्थव्यवस्था को लाभ होगा और अधिक नौकरियां सृजित होंगी।
इस महीने अमेरिका में डोनाल्ड ट्रंप के नेतृत्व वाली सरकार के कार्यभार संभालने के बाद भारत पर संभावित प्रभाव से जुड़े सवाल पर, सीआईआई अध्यक्ष ने कहा कि हमें उन क्षेत्रों पर ध्यान केंद्रित करना चाहिए जहां अवसर हैं और जहां हम वास्तव में अपनी ताकत के दम पर आगे बढ़ सकते हैं।
पुरी ने कहा, ‘‘… ट्रंप क्या करेंगे, अमेरिका क्या करेगा? मुझे लगता है कि इस समय, इस बारे में कुछ कहना अटकलबाजी होगी। जब ऐसा होगा तो फिर हम देखेंगे।’’
उन्होंने कहा कि सार्वजनिक खर्च बढ़ रहा है और खपत में भी तेजी आनी चाहिए।
एक सवाल के जवाब में पुरी ने कहा कि सीआईआई को भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) द्वारा दर में कटौती की उम्मीद है।
उन्होंने कहा, ‘‘वास्तव में, हम यह भी सुझाव दे रहे हैं कि मुद्रास्फीति का जो लक्ष्य रखा गया है, मुझे लगता है कि उसमें से खाद्य मुद्रास्फीति को मौद्रिक नीति से अलग किया जाना चाहिए। खाद्य मुद्रास्फीति जलवायु परिवर्तन के कारण है और वास्तव में मौद्रिक नीति से प्रभावित नहीं है।’’
पुरी ने कहा कि सीआईआई कई क्षेत्रों में श्रम सुधारों को देखने के लिए एक संस्थागत व्यवस्था स्थापित करने की भी सिफारिश करता है।
पुरी ने परिधान, जूते, फर्नीचर, पर्यटन और रियल एस्टेट जैसे श्रम-गहन क्षेत्रों में लक्षित हस्तक्षेप का आग्रह किया और कहा कि पर्यटन को ‘बुनियादी ढांचे की स्थिति’ से लाभ हो सकता है जबकि परिधानों को उत्पादन से जुड़ी प्रोत्साहन (पीएलआई) 2.0 योजना से फायदा हो सकता है।
भाषा रमण अजय
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