चुनिंदा मानदंडों को लागू करने से विश्वसनीयता कम होती है, पीटी उषा ने खेल मंत्री से कहा

Ankit
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नयी दिल्ली, आठ जनवरी (भाषा) भारतीय ओलंपिक संघ (आईओए) की अध्यक्ष पीटी उषा ने कड़े शब्दों में लिखे पत्र में खेल मंत्रालय पर राष्ट्रीय महासंघों के मामलों में हस्तक्षेप करने और ऐसा करके ‘खेल प्रशासन की विश्वसनीयता को कम करने’ का आरोप लगाया है।


उन्होंने अपने दावों के समर्थन में विवादास्पद भारतीय गोल्फ संघ चुनावों सहित कई उदाहरणों का हवाला दिया।

हरीश कुमार शेट्टी के नेतृत्व वाले गुट द्वारा जीते गए भारतीय गोल्फ संघ (आईजीयू) चुनावों को मान्यता देने के लिए मंत्रालय द्वारा आईओए की खिंचाई करने के तुरंत बाद उषा ने कहा कि खेल मंत्री मनसुख मांडविया को विवादास्पद आईजीयू चुनावों सहित राष्ट्रीय महासंघों से संबंधित विभिन्न महत्वपूर्ण मुद्दों की ठीक से जानकारी नहीं दी जा रही है।

दो जनवरी को अवर सचिव द्वारा हस्ताक्षर किये हुए एक पत्र में मंत्रालय ने कहा कि शेट्टी के गुट को मान्यता देने के आईओए के फैसले से ‘दोहराव और भ्रम की स्थिति पैदा होती है’ जो कानूनी जांच में नहीं टिक नहीं सकती।

मंडाविया को संबोधित अपने जवाब में उषा ने कहा, ‘‘जिस तरह से यह पत्र जारी किया गया है वो प्रक्रियात्मक रूप से गलत प्रतीत होता है और रिकॉर्ड में दर्ज तथ्यों के सत्यापन की कमी और अवर सचिव की कम समझ को दर्शाता है। ’’

उन्होंने कहा, ‘‘सर, जब से मैंने आईओए में पदभार संभाला है तब से यह और अधिक स्पष्ट हो गया है कि मंत्रालय के कर्मचारी जानबूझकर कभी भी युवा मामले और खेल मंत्री को सही तथ्यों से अवगत नहीं कराते हैं। ’’

पत्र की प्रतियां अंतररष्ट्रीय ओलंपिक समिति (आईओए) और अंतरराष्ट्रीय गोल्फ महासंघ को भी भेजी गई थीं।

आईजीयू के पदाधिकारियों का चुनाव करने के लिए 15 दिसंबर को दो वार्षिक आम बैठकें (एजीएम) आयोजित की गईं (एक इंडिया हैबिटेट सेंटर में जहां पंजाब और हरियाणा उच्च न्यायालय के सेवानिवृत्त न्यायाधीश रामेश्वर मलिक के निर्वाचन अधिकारी की देखरेख में बृजिंदर सिंह को फिर से अध्यक्ष चुना गया और दूसरी ओलंपिक भवन में जिसमें शेट्टी को निर्वाचन अधिकारी न्यायमूर्ति ओपी गर्ग (सेवानिवृत्त) की देखरेख में चुना गया।)

आईओए ने कहा कि उसने शेट्टी के नेतृत्व वाले गुट को ‘समीक्षा और तथ्यों की समीक्षा’ करने और ‘प्रक्रिया का पालन करने की जांच’ के बाद मान्यता दी। लेकिन मंत्रालय ने आईओए के कदम पर कड़ा रुख अपनाया।

हालांकि उषा ने कहा कि मंत्रालय द्वारा मान्यता प्राप्त संस्था ‘आईजीयू संविधान के अनुच्छेद 22 के तहत निर्धारित कोरम जरूरतों को पूरा नहीं करती है’।

उषा ने लिखा, ‘‘यह विशिष्ट प्रावधान एक वैध एजीएम के लिए न्यूनतम 10 राज्य गोल्फ संघों (एसजीए) की उपस्थिति को अनिवार्य बनाता है। ’’

उन्होंने कहा, ‘‘चुनाव प्रक्रिया की तिथि के दिन 31 मान्यता प्राप्त एसजीए में से केवल नौ की भागीदारी के बावजूद इस गुट को मान्यता देना इस एजीएम और चुनावों के संचालन को अमान्य बनाता है। ’’

उषा ने कहा, ‘‘मंत्रालय द्वारा नियुक्त पर्यवेक्षक की उपस्थिति के बावजूद चुनाव कराने के लिए न्यूनतम कोरम भी पूरा नहीं हुआ था। मंत्रालय द्वारा आईजीयू के अल्पसंख्यक गुट को चुनाव के अवैध समर्थन के कारणों को नहीं समझा जा सकता है। ’’

उन्होंने यह भी लिखा, ‘‘यह दर्ज है कि न्यायमूर्ति ओपी गर्ग (सेवानिवृत्त) के नेतृत्व में 15 दिसंबर 2024 को नयी दिल्ली में ओलंपिक भवन में हुई आईजीयू की एजीएम और चुनाव में कुल 31 एसजीए में से 21 की उपस्थिति थी। ’’

उन्होंने लिखा, ‘‘इसलिए चूंकि अपेक्षित कोरम पूरा हो गया था और आईजीयू के उपनियमों और संविधान के अनुसार एक वैध बैठक आयोजित की गई थी इसलिए आईओए ने इस बैठक में आईजीयू के पदाधिकारियों के चुनाव को वैध माना है और आईजीयू के नये पदाधिकारियों को मान्यता प्रदान की है। ’’

उषा ने कहा कि स्थापित मानदंडों के अनुसार, चुनाव प्रक्रिया शुरू होने के बाद किसी भी पदाधिकारी को हस्तक्षेप नहीं करना चाहिए, लेकिन आईओए प्रमुख के अनुसार बृजिंदर ने आईजीयू चुनावों में ऐसा किया।

मंत्रालय की इस चिंता का जवाब देते हुए कि आईजीयू चुनावों पर आईओए की मान्यता राष्ट्रीय खेल संहिता का उल्लंघन करती है तो उषा ने कहा कि ‘ये चिंतायें निराधार प्रतीत होती हैं’।

उषा ने साथ ही इशारा किया कि घुड़सवारी और नौकायन आदि जैसे राष्ट्रीय खेल महासंघ (एनएसएफ) जो लगभग तीन साल पहले अपना कार्यकाल पूरा होने के बाद चुनाव कराने में विफल रहे हैं लेकिन उन्हें मंत्रालय से मान्यता मिलना जारी रखते हैं जो खेल संहिता (एनएसडीसी) 2011 का स्पष्ट उल्लंघन है।

उन्होंने भारतीय कुश्ती महासंघ और हरियाणा कुश्ती संघ से जुड़े उच्चतम न्यायालय में चल रहे मामले का भी उदाहरण दिया।

उषा ने कहा, ‘‘यह चिंताजनक है कि मंत्रालय ने आईजीयू के गुट को मान्यता देने के लिए अंतरराष्ट्रीय गोल्फ महासंघ (आईजीएफ) की वेबसाइट को अपडेट करने पर ही अनावश्यक जोर दिया है। सतही कारकों पर इस तरह की निर्भरता राष्ट्रीय खेल महासंघ को मान्यता देने का आधार नहीं हो सकती। ’’

भाषा नमिता आनन्द

आनन्द



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