2024 :भारत-जीसीसी क्षेत्र संबंध प्रगाढ़ हुए, 40 साल में भारतीय प्रधानमंत्री की पहली कुवैत यात्रा हुई

Ankit
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(एहतेशाम शाहिद)


दुबई, 30 दिसंबर (भाषा) भारत ने इस वर्ष खाड़ी सहयोग परिषद (जीसीसी) क्षेत्र के साथ अपने कूटनीतिक और आर्थिक संबंधों को प्रगाढ़ बनाया और प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने छह जीसीसी देशों में से तीन की यात्रा की। इन तीन देशों में कुवैत भी शामिल है, जहां इंदिरा गांधी के बाद कोई भारतीय प्रधानमंत्री नहीं गए थे।

जैसे-जैसे 2024 आगे बढ़ा, इस क्षेत्र में रणनीतिक साझेदारी पर नये सिरे से ध्यान केन्द्रित हुआ, जिसमें अबू धाबी इस मजबूत गठबंधन के लिए केन्द्रीय प्रवेशद्वार के रूप में कार्य कर रहा है।

उच्चस्तरीय यात्राओं से लेकर महत्वपूर्ण समझौतों तक, भारत और जीसीसी की कहानी काफी कुछ बयां करती है। प्रभावशाली समूह जीसीसी में संयुक्त अरब अमीरात (यूएई), बहरीन, सऊदी अरब, ओमान, कतर और कुवैत शामिल हैं।

यूएई की राजधानी अबू धाबी 2024 में प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी का पहला जीसीसी गंतव्य बना। हाल के वर्षों में भारत-यूएई की मित्रता आगे बढ़ी है और इस साल इसमें और प्रगाढ़ता आयी।

प्रधानमंत्री मोदी की अबू धाबी यात्रा भले ही बीएपीएस हिंदू मंदिर के बहुचर्चित उद्घाटन के कारण सुर्खियों में रही हो, लेकिन इसने यूएई से शुरू होकर जीसीसी तक फैले महत्वपूर्ण द्विपक्षीय संबंधों को भी गति दी।

क्षेत्रीय नेताओं के साथ द्विपक्षीय समझौते भी लगातार चर्चा में रहे हैं, जिससे दुनिया के इस हिस्से से भारत के आर्थिक और सांस्कृतिक संबंध मजबूत हुए हैं। इस वर्ष, मोदी ने 14-15 फरवरी को कतर और 21-22 दिसंबर को कुवैत की भी यात्रा की।

मोदी की कुवैत यात्रा पिछले चार दशक में किसी भारतीय प्रधानमंत्री की पहली यात्रा थी। यह यात्रा विशेष रूप से महत्वपूर्ण है क्योंकि कुवैत वर्तमान में जीसीसी का अध्यक्ष है।

मोदी के बाद केंद्र सरकार के कई मंत्री भी इस क्षेत्र के साथ जुड़े। जून में, विदेश मंत्री एस जयशंकर ने व्यापार, निवेश, ऊर्जा और सुरक्षा पर ध्यान केंद्रित करते हुए द्विपक्षीय संबंधों की समीक्षा करने के लिए दोहा की यात्रा की। दोनों पक्षों ने आर्थिक सहयोग, सांस्कृतिक आदान-प्रदान और क्षेत्रीय सुरक्षा पर ध्यान केंद्रित करते हुए रणनीतिक साझेदारी को गहरा करने के लिए ठोस प्रयास किए हैं।

भारत और जीसीसी के बीच द्विपक्षीय व्यापार 2024 में लगभग 161.59 अरब अमेरिकी डॉलर तक पहुंच गया, जो पिछले कुछ वर्षों में तेजी से बढ़ रहा है।

वर्ष 2022 में भारत-यूएई व्यापक आर्थिक भागीदारी समझौते (सीईपीए) को लागू करना फायदेमंद साबित हुआ है, जिससे व्यापार प्रक्रियाएं अधिक सुव्यवस्थित होंगी और बाज़ार तक पहुंच बढ़ेगी।

सऊदी अरब के साथ इसी तरह के सीईपीए को अंतिम रूप देने के प्रयास आगे बढ़े हैं, जिसमें व्यापार सुविधा, निवेश संरक्षण और क्षेत्र-विशिष्ट सहयोग पर ध्यान केंद्रित करने वाली बातचीत शामिल है।

भारतीय बुनियादी ढांचा परियोजनाओं में जीसीसी के निवेश में भी उल्लेखनीय वृद्धि देखी गई है, विशेष रूप से नवीकरणीय ऊर्जा और स्मार्ट सिटी पहल में। सितंबर में, सऊदी अरब के रियाद में रणनीतिक वार्ता के लिए भारत-जीसीसी संयुक्त मंत्रिस्तरीय बैठक आयोजित की गई थी। यह बैठक भारत-जीसीसी संबंधों में मील का पत्थर साबित हुई।

विदेश मंत्री एस जयशंकर और उनके जीसीसी समकक्षों ने ऊर्जा, व्यापार, सुरक्षा, कृषि, स्वास्थ्य और खाद्य सुरक्षा में संयुक्त उद्यमों को सुविधाजनक बनाने की खातिर 2024-28 के लिए एक संयुक्त कार्य योजना को अपनाया।

जीसीसी-भारत शिखर सम्मेलन में प्रधानमंत्री मोदी की भागीदारी ने क्षेत्रीय स्थिरता, आतंकवाद-रोधी उपाय और समुद्री सुरक्षा पर ध्यान केंद्रित करते हुए रणनीतिक साझेदारी के महत्व को रेखांकित किया।

‘‘वाइब्रेंट गुजरात ग्लोबल समिट’’ जैसे उल्लेखनीय अवसर भी रहे, जिसमें खाड़ी देशों के नेताओं की भागीदारी दर्ज की गई।

गांधीनगर में शिखर सम्मेलन के 10वें संस्करण में यूएई के राष्ट्रपति मोहम्मद बिन जायद अल नाहयान सहित वैश्विक नेताओं ने भाग लिया। 9-10 सितंबर को, अबू धाबी के क्राउन प्रिंस शेख खालिद बिन मोहम्मद अल नाहयान के नेतृत्व में एक प्रतिनिधिमंडल ने मुंबई और नयी दिल्ली की यात्रा की।

खाड़ी देशों में रहने वाले भारतीय लोगों की संख्या 80 लाख से अधिक है और वे द्विपक्षीय संबंधों को मजबूत बनाने में अहम भूमिका निभाते रहे हैं। सांस्कृतिक उत्सवों, कला प्रदर्शनियों और शैक्षिक आदान-प्रदानों ने क्षेत्रीय समझ और सहयोग को बढ़ावा दिया है।

भाषा अमित अविनाश

अविनाश



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