मुंबई, 27 दिसंबर (भाषा) एक सत्र अदालत ने कहा है कि दुष्कर्म के आरोपी फिल्म निर्माता गुणवंत जैन को उसकी गिरफ्तारी के आधार के बारे में सूचित किए जाने के मामले में राहत देने में अधीनस्थ अदालत को “अति-तकनीकी दृष्टिकोण नहीं अपनाना चाहिए था”।
मॉडल (38) के साथ दुष्कर्म के आरोपी जैन को 21 नवंबर को गिरफ्तार किया गया था। अगले दिन पुलिस ने उन्हें उपनगर अंधेरी में एक मजिस्ट्रेट अदालत के समक्ष पेश किया और पांच दिनों के लिए उसकी रिमांड मांगी।
मजिस्ट्रेट ने हालांकि जैन की तत्काल रिहाई का आदेश देते हुए कहा कि उन्हें हिरासत में लिए जाने के 4 मिनट बाद गिरफ्तारी के कारणों के बारे में सूचित किया गया, और इसे उन्होंने भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता (बीएनएसएस) का उल्लंघन बताया।
जैन को मिली राहत के बाद पुलिस ने सत्र अदालत (दिंडोशी) के समक्ष पुनरीक्षण आवेदन दायर किया।
अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश (दिंडोशी न्यायालय) डी.जी. ढोबले ने 24 दिसंबर को पुनरीक्षण आवेदन को स्वीकार कर लिया और फिल्म निर्माता को संबंधित पुलिस थाने (वर्सोवा) में आत्मसमर्पण करने का निर्देश दिया।
अदालत ने पुलिस के समक्ष आत्मसमर्पण करने में विफल रहने की स्थिति में जांच अधिकारी को जैन को गिरफ्तार करने की अनुमति दे दी।
मजिस्ट्रेट अदालत में झटका लगने के बाद पुलिस ने सत्र अदालत में दलील दी थी कि मजिस्ट्रेट का आदेश “कानून के विपरीत और जांच के लिए हानिकारक” था। पुलिस ने यह भी तर्क दिया कि जैन की गिरफ्तारी वैध थी और बीएनएसएस के अनुरूप थी।
अभियुक्त ने अपने वकील के माध्यम से तर्क दिया कि बीएनएसएस के तहत अनिवार्य प्रक्रियात्मक सुरक्षा उपायों का पालन न करने के कारण गिरफ्तारी अपने आप में अवैध थी।
जैन के वकील ने कहा कि आरोपी को गिरफ्तारी के आधार के बारे में विस्तार से नहीं बताया गया और न ही उसके परिवार के सदस्यों को (21 नवंबर को 10.56 बजे उसकी गिरफ्तारी के समय) सूचित किया गया । बचाव पक्ष ने कहा कि उन्हें लगभग 11 बजे गिरफ्तारी के आधार के बारे में सूचित किया गया।
सत्र अदालत ने कहा कि इसमें कोई विवाद नहीं है कि फिल्म निर्माता को गिरफ्तारी के आधार बता दिए गए थे और यह केवल समय के बारे में था।
अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश ने कहा, “कानून के अनुसार गिरफ्तारी के कारणों की जानकारी तुरंत दी जानी चाहिए। तत्काल का अर्थ कहीं भी परिभाषित नहीं किया गया है, लेकिन मेरे विचार में, कानूनी अर्थ के अनुसार परिस्थितियों के अनुसार इसे उचित समय के भीतर होना चाहिए।”
अदालत ने कहा, “रिकॉर्ड किए गए समय में यह विसंगति परिस्थितियों के तहत गिरफ्तारी के आधार टाइप करने के दौरान समय की चूक प्रतीत होती है। इस विसंगति के कारण अभियुक्त को कोई नुकसान नहीं पहुंचा है।”
न्यायाधीश ने आदेश में कहा, “मजिस्ट्रेट ने आक्षेपित आदेश में अति-तकनीकी दृष्टिकोण अपनाते हुए कहा कि गिरफ्तारी अवैध थी। ऐसा दृष्टिकोण न तो कानून के अनुसार टिकने योग्य है और न ही रिकॉर्ड द्वारा समर्थित है।”
प्रोड्यूसर पर शादी का झूठा आश्वासन देकर मॉडल का यौन शोषण करने का आरोप है। पुलिस ने दावा किया है कि उसने अपराध करने से पहले मॉडल को नशीला पदार्थ दिया था और उसे धमकाया था।
भाषा प्रशांत मनीषा
मनीषा