बिनौला खल का भाव टूटने के बीच अधिकांश तेल-तिलहन में सुधार

Ankit
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नयी दिल्ली, 26 दिसंबर (भाषा) मलेशिया एक्सचेंज में मंदा रुख रहने के बीच आज एक बार फिर से बिनौला खल का दाम तोड़े जाने के बाद क्षतिपूर्ति के रूप में खाद्य तेलों का दाम बढ़ाने से बृहस्पतिवार को देश के तेल-तिलहन बाजार में अधिकांश तेल-तिलहनों की कीमतों में मजबूती का रुख रहा। इस वजह से सरसों एवं सोयाबीन तेल-तिलहन, मूंगफली तेल, कच्चा पामतेल (सीपीओ) एवं पामोलीन तथा बिनौला तेल में मजबूती रही। वहीं बिनौला खल का दाम टूटने से मूंगफली तिलहन पूर्वस्तर पर बना रहा।


मलेशिया एक्सचेंज में मामूली गिरावट का रुख है। शिकॉगो एक्सचेंज कारोबार के लिए रात आठ बजे खुलेगा।

बाजार सूत्रों ने कहा कि बिनौला खल के जनवरी, 2025 अनुबंध का दाम पहले के 2,670 रुपये क्विंटल से घटाकर आज 2,658 रुपये क्विंटल कर दिया गया। इस बिनौला खल का दाम तोड़े जाने का असर मूंगफली, सोयाबीन, सरसों सभी पर आया। इस गिरावट से होने वाले नुकसान को खाद्य तेलों के दाम बढ़ाकर पूरा करने की पहल की गई। इस वजह से मलेशिया में मंदा रुख होने के बावजूद बाकी तेल-तिलहनों के दाम में सुधार हुआ।

उन्होंने कहा कि बिनौला खल दाम टूटने का सीधा असर मूंगफली पर दिखा। उल्लेखनीय है कि बिनौला और मूंगफली तेल की अधिकांश खपत गुजरात में होती है। मूंगफली के किसान परेशान हैं और वे अपनी फसल औने-पौने दाम में बेचने को मजबूर हो रहे हैं। गुजरात में लगभग 50 प्रतिशत मूंगफली पेराई मिलें भी बंद हो चली हैं।

सूत्रों ने कहा कि कपास से कपास नरमा और बिनौला तिलहन प्राप्त होता है। इस बिनौले से बिनौला तेल कम यानी लगभग 11 प्रतिशत और 89 प्रतिशत बिनौला खल निकलता है। उल्लेखनीय है कि देश में दुधारू मवेशियों के आहार के रूप में सर्वाधिक खपत बिनौला खल की होती है और इसे कहीं से आयात करना भी संभव नहीं है। किसानों की कपास फसल आने से पहले बढ़ाये गये कपास के न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) से भी कहीं ऊंचे दाम पर (पंजाब और हरियाणा में) कपास नरमा बिक रहा था। उस वक्त बिनौला खल का वायदा बाजार में दाम 3,800 रुपये क्विंटल था। कपास फसल की बाजार में आवक शुरू होने के समय से वायदा बाजार में जो बिनौला खल का दाम टूटना शुरू हुआ वह फसल आने के साथ निरंतर टूटता रहा और बुधवार को यह भाव 2,670 रुपये क्विंटल (जनवरी, 2025 अनुबंध) रह गया। बृहस्पतिवार को इस दाम को एक बार फिर से तोड़ दिया गया और इसी जनवरी अनुबंध का भाव अब 2,658 रुपये क्विंटल है।

सूत्रों ने कहा कि क्या वायदा कारोबार, बिनौला खल का दाम घटाकर किसानों का मनोबल तोड़ने और किसानों को सस्ते दाम पर कपास नरमा बेचने के लिए मजबूर करने के लिए है? उन्होंने कहा कि बाकी तेल-तिलहनों का वायदा कारोबार बंद होने से सरसों, सोयाबीन, मूंगफली का उत्पादन बढ़ा है। अगर वायदा कारोबार हो रहा होता, तो किसानों की इन फसलों को भी सस्ते में खरीद लिया जाता और देश को पूरी तरह आयात पर निर्भर होने के लिए मजबूर कर दिया जाता। तेल-तिलहनों का वायदा कारोबार प्रतिबंधित रखना ही किसानों के, तेल-तिलहन उद्योग के और देश के हित में है। इस संदर्भ में यह भी जरूरी है कि घरेलू तेल-तिलहन का बाजार विकसित किया जाये और तेल-तिलहन कारोबार को सट्टेबाजी से दूर रखा जाये।

तेल-तिलहनों के भाव इस प्रकार रहे:

सरसों तिलहन – 6,600-6,650 रुपये प्रति क्विंटल।

मूंगफली – 5,925-6,250 रुपये प्रति क्विंटल।

मूंगफली तेल मिल डिलिवरी (गुजरात) – 14,400 रुपये प्रति क्विंटल।

मूंगफली रिफाइंड तेल – 2,170-2,470 रुपये प्रति टिन।

सरसों तेल दादरी- 13,750 रुपये प्रति क्विंटल।

सरसों पक्की घानी- 2,310-2,410 रुपये प्रति टिन।

सरसों कच्ची घानी- 2,310-2,435 रुपये प्रति टिन।

तिल तेल मिल डिलिवरी – 18,900-21,000 रुपये प्रति क्विंटल।

सोयाबीन तेल मिल डिलिवरी दिल्ली- 13,250 रुपये प्रति क्विंटल।

सोयाबीन मिल डिलिवरी इंदौर- 12,950 रुपये प्रति क्विंटल।

सोयाबीन तेल डीगम, कांडला- 9,150 रुपये प्रति क्विंटल।

सीपीओ एक्स-कांडला- 13,000 रुपये प्रति क्विंटल।

बिनौला मिल डिलिवरी (हरियाणा)- 12,100 रुपये प्रति क्विंटल।

पामोलिन आरबीडी, दिल्ली- 14,200 रुपये प्रति क्विंटल।

पामोलिन एक्स- कांडला- 13,250 रुपये (बिना जीएसटी के) प्रति क्विंटल।

सोयाबीन दाना – 4,265-4,315 रुपये प्रति क्विंटल।

सोयाबीन लूज- 3,965-4,065 रुपये प्रति क्विंटल।

मक्का खल (सरिस्का)- 4,100 रुपये प्रति क्विंटल।

भाषा राजेश राजेश अजय

अजय



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