नयी दिल्ली, 26 दिसंबर (भाषा) अमेरिकी डॉलर के मुकाबले भारतीय रुपये के कमजोर होने से देश का आयात बिल करीब 15 अरब डॉलर बढ़ने की आशंका है। शोध संस्थान ग्लोबल ट्रेड रिसर्च इनिशिएटिव (जीटीआरआई) की ओर से बृहस्पतिवार को जारी एक रिपोर्ट में यह अनुमान लगाया गया है।
जीटीआरआई ने कहा कि पिछले साल दिसंबर की तुलना में भारतीय रुपये (आईएनआर) में अमेरिकी डॉलर के मुकाबले 2.34 प्रतिशत की गिरावट आई है। इस दौरान रुपया 83.25 से गिरकर 85.20 प्रति डॉलर पर आ गया है। वहीं इस दौरान चीन की मुद्रा युआन में 0.06 प्रतिशत की गिरावट आई है।
इसमें कहा गया है कि रुपये में यह गिरावट सोने के आयात पर नकारात्मक प्रभाव डालेगी, खासकर तब जब सोने की कीमतें दिसंबर, 2023 के 2,066.26 डॉलर प्रति औंस से 27 प्रतिशत बढ़कर दिसंबर, 2024 में 2,617.11 डॉलर प्रति औंस हो गई हैं।
इसमें कहा गया कि भारत का कच्चा तेल आयात रुपये के कमजोर होने से काफी महंगा हो सकता था। हालांकि, ब्रेंट क्रूड की कीमतों में पांच प्रतिशत की गिरावट से इसका प्रभाव कम हो गया है। ब्रेंट क्रूड का दाम दिसंबर, 2023 के 77.6 डॉलर प्रति बैरल से घटकर दिसंबर, 2024 में 73.7 डॉलर प्रति बैरल रह गया है।
भारत के तेल आयात की कीमत ज्यादातर अमेरिकी डॉलर में होती है।
जीटीआरआई के संस्थापक अजय श्रीवास्तव ने कहा, “रुपये में कमजोरी के कारण भारत का कुल आयात बिल लगभग 15 अरब डॉलर बढ़ जाएगा।”
उन्होंने कहा कि भारतीय रुपया गिरने का सबसे महत्वपूर्ण प्रभाव चीन से भारत के 100 अरब डॉलर मूल्य के औद्योगिक सामान के आयात पर पड़ेगा।
श्रीवास्तव ने कहा कि चूंकि रुपया और युआन दोनों ही अमेरिकी डॉलर के मुकाबले कमजोर हुए हैं, इसलिए दोहरे स्तर पर कमजोरी से आयात की लागत बढ़ गई है, जिससे व्यापार संतुलन पर और दबाव पड़ा है।
भाषा अनुराग अजय
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