लखनऊ, 24 दिसंबर (भाषा) ‘भारत के संविधान निर्माता’ डॉक्टर भीमराव आंबेडकर का बार-बार अनादर करने को लेकर कांग्रेस पर हमलों के बीच उत्तर प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष अजय राय ने मंगलवार को कहा कि पूर्व प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू ने आंबेडकर के लिए संविधान सभा की एक सीट खाली करवाई थी, जिसके बाद उन्हें उपचुनाव में सदस्य के रूप में चुना गया था।
राय ने यह टिप्पणी उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ द्वारा कांग्रेस पर तीखा हमला करने के कुछ समय बाद की है।
मुख्यमंत्री ने कांग्रेस पर आरोप लगाया था कि पार्टी ने आंबेडकर के जीवनकाल में ‘भारत के संविधान निर्माता’ का बार-बार अनादर किया और उनकी मृत्यु के बाद उनकी विरासत को कमजोर किया।
आदित्यनाथ की टिप्पणियों पर प्रतिक्रिया देते हुए प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष अजय राय ने एक बयान में कहा, ‘आंबेडकर जी बंगाल विधानसभा से संविधान सभा के लिए चुने गए थे, लेकिन जब उनकी विधानसभा सीट पूर्वी पाकिस्तान में चली गई, तो वह संविधान सभा के सदस्य नहीं रहे। आजादी के बाद जब संविधान सभा की प्रारूप समिति का गठन होना था तो पंडित नेहरू और सरदार पटेल उस पर विचार-विमर्श के लिए दिल्ली में बिड़ला मंदिर के पीछे दलित बस्ती गए, जहां उन दिनों बापू रहा करते थे।’
राय ने कहा, ‘वहां बैठक में डॉक्टर आंबेडकर का नाम तय हुआ। तब सबसे पहले डॉक्टर आंबेडकर को सदन में लाना जरूरी था। नेहरू जी ने पुणे के एम.आर. जयकर से इस्तीफा दिलवाकर संविधान सभा में सीट खाली करवाई। उस सीट पर डॉक्टर आंबेडकर बंबई राज्य विधानसभा क्षेत्र से उपचुनाव में संविधान सभा के सदस्य चुने गए। बाद में जब प्रारूप समिति बनी तो उन्हें उसका अध्यक्ष बनाया गया।’
राय ने कहा कि लोग अनुमान लगा रहे थे कि अध्यक्ष कांग्रेस से होगा, लेकिन जब पंडित नेहरू ने घोषणा की कि विपक्ष से जुड़े आंबेडकर को अध्यक्ष बनाया जाएगा तो अन्य लोगों के साथ आंबेडकर स्वयं भी चौंक गए थे।
उत्तर प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष ने कहा, ‘डॉक्टर आंबेडकर जी ने बहुमत वाली पार्टी कांग्रेस और सदन के नेता पंडित नेहरू के साथ कंधे से कंधा मिलाकर दुनिया के सबसे बड़े लोकतंत्र भारत के संविधान का मसौदा तैयार करने का महान कार्य किया।’
राय ने कहा कि कानून मंत्री के रूप में डॉक्टर आंबेडकर हिंदू संहिता विधेयक के निर्माता थे, जिसका हिंदू महासभा, राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ और राम राज्य परिषद जैसे हिंदू संगठनों ने संसद से लेकर सड़क तक जमकर विरोध किया था।
कांग्रेस नेता ने दावा किया कि इसकी पृष्ठभूमि में सरकार ने विधेयक को कुछ दिनों के लिए स्थगित कर दिया ताकि लोगों को इसके सकारात्मक पहलुओं के बारे में बताया जा सके। विधेयक के स्थगित होने से दुखी होकर आंबेडकर ने मंत्री पद से इस्तीफा दे दिया था।
उन्होंने यह भी कहा, ‘जहां तक 1952 के लोकसभा चुनाव में आंबेडकर जी की हार का सवाल है, तो वह कांग्रेस से अलग पार्टी में थे और नेताओं के बीच आपसी सम्मान के बावजूद पार्टियां आज भी एक-दूसरे के खिलाफ चुनाव लड़ती हैं।’
राय ने कहा, ‘कांग्रेस पार्टी ने एक अज्ञात उम्मीदवार को मैदान में उतारा और उसके बाद वह राज्यसभा के लिए निर्वाचित हो गया। इसलिए कांग्रेस पर आरोप लगाने के बजाय योगी जी को यह बताना चाहिए कि अगर उनके लोग आंबेडकर जी का सम्मान करते हैं, तो भारतीय जनसंघ ने उस संसदीय चुनाव में डॉक्टर आंबेडकर के खिलाफ उम्मीदवार क्यों उतारा और क्या उनके नेता तब डॉक्टर आंबेडकर के लिए प्रचार कर रहे थे?’
राय ने यह भी कहा कि केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह को आंबेडकर पर अपनी टिप्पणी के लिए माफी मांगनी चाहिए और इस्तीफा देना चाहिए।
इस बीच, कांग्रेस कार्यकर्ताओं ने मंगलवार को शाह द्वारा बाबा साहेब भीमराव आंबेडकर के बारे में की गई आपत्तिजनक टिप्पणी के विरोध में पूरे प्रदेश में ‘बाबा साहेब आंबेडकर सम्मान मार्च’ निकाला। हर जिले में बाबा साहेब की प्रतिमा पर माल्यार्पण कर मार्च की शुरुआत की गई।
उत्तर प्रदेश कांग्रेस ने कहा कि शांतिपूर्ण मार्च के बाद संबंधित पुलिस आयुक्त/जिलाधिकारी के माध्यम से राष्ट्रपति को एक ज्ञापन सौंपा गया।
भाषा सलीम नोमान
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