ठोस अपशिष्ट प्रबंधन नियमों के तहत कृषि अवशेष जलाने को दंडनीय अपराध बनाने की योजना

Ankit
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नयी दिल्ली, 18 दिसंबर (भाषा) सरकार की योजना कृषि अपशिष्ट को खुले में जलाने पर भारी जुर्माना लगाने और सफाई कर्मियों को अलग किये बिना कचरा देने वाले व्यक्तियों और प्रतिष्ठानों पर जुर्माना लगाने का अधिकार देने की है।


इसी के साथ ग्रामीण क्षेत्रों में अपशिष्ट प्रबंधन व्यवस्था में सुधार लाने, एक मजबूत निगरानी प्रणाली बनाने और विरासत में मिले अपशिष्ट की समस्या से निपटने पर भी ध्यान केंद्रित किया जा रहा है।

सरकार द्वारा नौ दिसंबर को जारी ठोस अपशिष्ट प्रबंधन नियम 2024 के मसौदे के अनुसार, स्थानीय निकाय को यह सुनिश्चित करना होगा कि ‘‘कृषि और बागवानी अपशिष्ट को जलाने की घटनाएं न हों और इसमें शामिल व्यक्तियों पर भारी जुर्माना लगाया जाए’’।

मसौदे पर हितधारकों से आपत्तियां और सुझाव आमंत्रित किए गए हैं। ये नियम अगले साल एक अक्टूबर से प्रभावी होंगे।

केंद्र सरकार ने सर्दियों में दिल्ली-एनसीआर क्षेत्र में खराब वायु गुणवत्ता को देखते हुए पिछले महीने फसल अवशेष जलाने वाले किसानों पर जुर्माना दोगुना कर दिया था।

अध्ययनों के मुताबिक पराली जलाने की अधिकतम अवधि के दौरान, दिल्ली-एनसीआर क्षेत्र और आसपास के क्षेत्रों में पीएम स्तर में इसका योगदान 30 प्रतिशत तक होता है।

सरकार ‘‘सफाई कर्मचारियों को अलग-अलग किए बिना कचरा देने पर उन्हें जुर्माना/दंड लगाने तथा कचरा लेने से इनकार करने का अधिकार देना चाहती है।’’

मसौदा नियमों के अनुसार कूड़े को चार अलग-अलग श्रेणियों में विभाजित किया जाना है: गीला कचरा, सूखा कचरा, सैनिटरी कचरा (जैसे डायपर और सैनिटरी नैपकिन) और विशेष देखभाल अपशिष्ट (खतरनाक सामग्री आदि)।

इसके विपरीत, 2016 के नियमों में केवल तीन श्रेणियों -जैविक, गैर जैविक और खतरनाक – का जिक्र था।

मसौदा नियमों के अनुसार, स्थानीय निकायों को डिजिटल निगरानी प्रणाली और ‘जियो-टैग’ अपशिष्ट प्रबंधन सुविधाओं को लागू करना होगा। वे अपशिष्ट प्रबंधन आंकड़ों की जानकारी साझा करने के लिए ऑनलाइन पोर्टल विकसित करेंगे और उसके रखरखाव के लिए जिम्मेदार होंगे।

भाषा धीरज अविनाश

अविनाश



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