विदेशी बाजारों में गिरावट से तेल-तिलहन के भाव टूटे |

Ankit
5 Min Read


नयी दिल्ली, 18 दिसंबर (भाषा) कपास फसल के मंडियों में आने के समय वायदा कारोबार में बिनौला खल का दाम टूटने के बीच बाकी सभी तेल-तिलहन की कारोबारी धारणा प्रभावित होने से देश के प्रमुख बाजारों में बुधवार को सभी तेल-तिलहन कीमतों में चौतरफा गिरावट देखी गई। इस दौरान सरसों, मूंगफली एवं सोयाबीन तेल-तिलहन, कच्चा पामतेल (सीपीओ) एवं पामोलीन तेल तथा बिनौला तेल के दाम हानि दर्शाते बंद हुए।


मलेशिया और शिकॉगो एक्सचेंज में भारी गिरावट जारी है। शिकॉगो में कल रात भी भारी गिरावट रही थी।

बाजार सूत्रों ने बताया कि विदेशों में बाजार धराशायी हैं। इस बीच कपास नरमा की मंडियों में आवक शुरू होने के पहले से ही अचानक वायदा कारोबार में बिनौला खल के भाव कमजोर होना शुरू हो गये थे। आवक शुरू होने के दो महीने पहले बिनौला खल का भाव लगभग 3,800 रुपये क्विंटल था जो अब घटकर 2,620 रुपये क्विंटल (दिसंबर अनुबंध) रह गया है। कपास क्षेत्र की एक अग्रणी संस्था द्वारा कपास नरमा की खरीद तो न्यूनतम समर्थन मूल्य पर की जा रही है लेकिन कपास से निकलने वाले बिनौला सीड को वह संस्था स्टॉक करने के बजाय लागत से कहीं कम दाम पर बेच रही है। इस कारण भी बिनौला खल का दाम टूट रहा है।

उन्होंने कहा कि देश में सबसे अधिक खपत बिनौला खल की होती है और इसका कोई विकल्प भी नहीं है। इस खल की सालाना खपत लगभग एक करोड़ 30 लाख टन की है। अब बिनौला खल का दाम टूटने का असर बाकी तेल-तिलहन कीमतों पर भी हो रहा है। वायदा कारोबार में भी जितने सौदे किए जा रहे हैं, उसके अनुरूप उसके पास स्टॉक नहीं है। तय सौदों का एक निश्चित प्रतिशत स्टॉक तो वायदा बाजार में होना चाहिये मगर ऐसा नहीं है। भारतीय कपास संघ (सीएआई) द्वारा आज जारी आंकड़ों से पता लगता है कि इस वर्ष कपास खेती का उत्पादन कम हुआ है। ऐसी स्थिति के बीच बिनौला खल का वायदा कीमत टूटते जाना आश्चर्यजनक है। इनके पीछे जो भी मंशा हो लेकिन इतना तय है कि यह स्थिति देश के तेल-तिलहन मामले में आत्मनिर्भरता की ओर बढ़ने के लिहाज से बेहद घातक है।

सूत्रों ने कहा कि जो तत्व तिलहनों का वायदा कारोबार खोलने की वकालत करते हैं, उनसे बिनौला खल के दाम टूटने की वजह पूछी जानी चाहिये अन्यथा तेल-तिलहनों को, वायदा कारोबार से अलग रखने की आवश्यकता है। इससे तिलहन किसान आगे संभावित लूट से बचे रहेंगे।

सूत्रों ने कहा कि लगभग 10 वर्ष पहले मोटा अनाज यानी मक्का का भाव जब 10-12 रुपये किलो था तो उस वक्त बिनौला खल का भाव 23-24 रुपये किलो यानी लगभग दोगुना हुआ करता था। लेकिन आज जब बिनौला खल का भाव 26 रुपये किलो है तो मक्का का भाव 27-28 रुपये किलो है। संभवत: यह तथ्य देश में कपास उत्पादन में आ रही गिरावट का मुख्य कारण है।

तेल-तिलहनों के भाव इस प्रकार रहे:

सरसों तिलहन – 6,450-6,500 रुपये प्रति क्विंटल।

मूंगफली – 5,900-6,225 रुपये प्रति क्विंटल।

मूंगफली तेल मिल डिलिवरी (गुजरात) – 14,250 रुपये प्रति क्विंटल।

मूंगफली रिफाइंड तेल – 2,150-2,450 रुपये प्रति टिन।

सरसों तेल दादरी- 13,450 रुपये प्रति क्विंटल।

सरसों पक्की घानी- 2,250-2,350 रुपये प्रति टिन।

सरसों कच्ची घानी- 2,250-2,375 रुपये प्रति टिन।

तिल तेल मिल डिलिवरी – 18,900-21,000 रुपये प्रति क्विंटल।

सोयाबीन तेल मिल डिलिवरी दिल्ली- 13,000 रुपये प्रति क्विंटल।

सोयाबीन मिल डिलिवरी इंदौर- 12,750 रुपये प्रति क्विंटल।

सोयाबीन तेल डीगम, कांडला- 9,025 रुपये प्रति क्विंटल।

सीपीओ एक्स-कांडला- 12,800 रुपये प्रति क्विंटल।

बिनौला मिल डिलिवरी (हरियाणा)- 11,600 रुपये प्रति क्विंटल।

पामोलिन आरबीडी, दिल्ली- 14,050 रुपये प्रति क्विंटल।

पामोलिन एक्स- कांडला- 13,000 रुपये (बिना जीएसटी के) प्रति क्विंटल।

सोयाबीन दाना – 4,265-4,315 रुपये प्रति क्विंटल।

सोयाबीन लूज- 3,965-4,065 रुपये प्रति क्विंटल।

मक्का खल (सरिस्का)- 4,100 रुपये प्रति क्विंटल।

भाषा राजेश राजेश अजय

अजय



Share This Article
Leave a comment

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *