चेन्नई, 15 दिसंबर (भाषा) तमिलनाडु की मुख्य विपक्षी पार्टी अन्नाद्रमुक ने रविवार को आरोप लगाया कि केंद्र सरकार द्वारा कानूनों का नाम हिंदी और संस्कृत में रखना अप्रत्यक्ष रूप से हिंदी थोपने जैसा है।
पार्टी ने केंद्र सरकार से कानूनों का नाम अंग्रेजी में रखने का आग्रह किया।
यहां अपनी कार्यकारी समिति और आम परिषद की बैठक में पार्टी ने एक प्रस्ताव में कहा कि हिंदी संविधान की आठवीं अनुसूची में सूचीबद्ध 22 भाषाओं में से एक है। तमिलनाडु में तमिल और अंग्रेजी का दो भाषा फॉर्मूला अभी भी प्रचलन में है।
प्रस्ताव में कहा गया, ‘इन परिस्थितियों में केंद्र सरकार द्वारा कानूनों का नाम हिंदी और संस्कृत में रखने को अप्रत्यक्ष रूप से हिंदी थोपना ही माना जा सकता है। यह बहुत निंदनीय है कि केंद्र ने तीन आपराधिक कानूनों के नाम बदल दिए, जो पहले से ही अंग्रेजी में थे।’
अन्नाद्रमुक ने कहा कि इसके अलावा इस तरह की प्रवृत्ति जारी है और केंद्र सरकार को अपने द्वारा बनाए गए कानूनों के लिए अंग्रेजी नाम सुनिश्चित करना चाहिए।
अन्नाद्रमुक ने कहा कि पार्टी ने कुल 16 प्रस्ताव पारित किए जिनमें से एक में राज्य सरकार की निंदा की गई कि उसने 20 साल से अधिक समय से जेल में बंद मुस्लिम कैदियों को रिहा करने के लिए कोई कदम नहीं उठाया। द्रमुक ने उनकी रिहाई का वादा किया था।
भाषा
शुभम नरेश
नरेश