चंडीगढ़, 5 दिसंबर (भाषा) संपूर्ण एग्री वेंचर्स प्राइवेट लिमिटेड (एसएवीपीएल) ने फसल अवशेषों का उपयोग कर रसायन मुक्त खाद बनाने के लिए किसान उत्पादक संगठन एनएफएमएफ के साथ समझौता किया है।
कंपनी ने बृहस्पतिवार को एक बयान में कहा कि एसएवीपीएल और नॉर्दर्न फार्मर्स मेगा एफपीओ (एनएफएमएफ) के बीच समझौते का उद्देश्य किण्वित (फरमेंटेड) जैविक खाद के उत्पादन के माध्यम से फसल अवशेष प्रबंधन पर ध्यान केंद्रित करते हुए टिकाऊ कृषि को बढ़ावा देना है।
नॉर्दर्न फार्मर्स मेगा एफपीओ में 12,000 से अधिक किसान जुड़े हुए हैं। ये किसान पंजाब, हरियाणा, हिमाचल प्रदेश और उत्तर प्रदेश, राजस्थान और उत्तराखंड के आसपास के इलाकों के 250 से अधिक गांवों में 25,000 एकड़ से अधिक भूमि को अपने दायरे में लाते हैं।
संपूर्ण एग्री वेंचर्स के प्रबंध निदेशक, संजीव नागपाल ने कहा, ‘‘इस परिवर्तनकारी साझेदारी का उद्देश्य उत्तर भारत में दबावपूर्ण चुनौतियों का समाधान करना है, जिसमें पराली जलाने से होने वाला वायु प्रदूषण, मिट्टी की सेहत में गिरावट और कृषि उत्पादकता में गिरावट शामिल है, साथ ही कृषि क्षेत्र में जलवायु अनुकूलता और आर्थिक सशक्तिकरण को बढ़ावा देना है।’’
एक अनुमान के अनुसार, अकेले पंजाब में सालाना पांच करोड़ टन फसल अवशेष पैदा होते हैं, जिनमें से 70 प्रतिशत या तो जला दिए जाते हैं या बर्बाद हो जाते हैं, जो ग्रीनहाउस गैस उत्सर्जन और मिट्टी के क्षरण में महत्वपूर्ण योगदान देते हैं।
एनएफएमएफ के निदेशक अजय मलिक ने कहा, ‘‘इस सहयोग में उत्पादित विशाल बायोमास संसाधन का स्थायी रूप से उपयोग करने की परिकल्पना की गई है। किसानों को लाभ होगा क्योंकि उन्हें धान के भूसे के लिए भुगतान किया जाएगा जिसका उपयोग एफओएम के निर्माण के लिए किया जाएगा। एफओएम के उपयोग के माध्यम से किसान लंबी अवधि में यूरिया और डीएपी के उपयोग को कम कर सकते हैं, जिससे उनकी कृषि कच्चे माल की लागत कम हो जाएगी। इस मॉडल से कृषि-उत्पाद की गुणवत्ता में भी सुधार होगा।’’
भाषा राजेश राजेश रमण
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