कन्नूर के अधिकारी की विधवा ने उच्च न्यायालय से अपने पति की मौत की सीबीआई जांच की मांग की

Ankit
3 Min Read


कोच्चि (केरल), 26 नवंबर (भाषा) कन्नूर के दिवंगत अतिरिक्त जिलाधिकारी नवीन बाबू की विधवा ने अपने पति की कथित आत्महत्या की जांच केंद्रीय अन्वेषण ब्यूरो (सीबीआई) को सौंपे जाने का अनुरोध करते हुए मंगलवार को केरल उच्च न्यायालय का दरवाजा खटखटाया।


अपने आवेदन में बाबू की विधवा ने दावा किया कि वर्तमान जांच एजेंसी की जांच में कोई सार्थक प्रगति नहीं हुई है।

उन्होंने यह भी दावा किया कि हत्या के बाद उनके पति को फांसी पर लटका दिये जाने की आशंका से भी इनकार नहीं किया जा सकता है।

उनकी याचिका में दावा किया गया है कि इस मामले की जांच के लिए गठित विशेष जांच दल (एसआईटी) ने ‘इन अहम पहलुओं पर सबूत एकत्र करने की कोई सकारात्मक कोशिश नहीं की है।’

उसमें कहा गया है, ‘‘उल्टा, ऐसा जान पड़ता है कि वे सबूतों को छिपाने की चेष्टा कर रहे हैं तथा यह भी संदेह है कि वे आरोपियों को झूठा सबूत गढ़ने के लिए बढ़ावा दे रहे हैं।’’

उसमें यह भी कहा गया है कि ऐसी परिस्थितियां हैं जो बाबू की मौत की वजह के बारे में गंभीर सवाल पैदा करती हैं।

याचिका में कहा गया है, ‘‘अब भी संदेह है कि क्या यह फांसी लगाकर की गयी आत्महत्या थी। जिस जल्दबाजी में (मौत संबंधी) जांच की गयी, उससे ये चिंताएं और भी बढ़ गई हैं। पुलिस अधिकारी के लिए जांच के दौरान करीबी रिश्तेदारों की मौजूदगी सुनिश्चित करना अनिवार्य है, लेकिन इस मामले में, याचिकाकर्ता और उसके परिवार के सदस्यों के घटनास्थल पर पहुंचने से पहले ही जांच कर ली गई। ’’

उसमें कहा गया है, ‘‘जिस लापरवाही से जांच की जा रही है, उसके कारण याचिकाकर्ता को सीबीआई जांच की खातिर निर्देश देने के लिए इस अदालत का रुख करना पड़ रहा है।’’

बाबू ने कथित रूप से आत्महत्या कर ली थी। उससे पहले, कन्नूर जिला पंचायत अध्यक्ष पी पी दिव्या ने उनके विदाई समारोह में उन पर भ्रष्टाचार का आरोप लगाया था।

मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी (माकपा) नेता दिव्या ने 14 अक्टूबर को उनके विदाई कार्यक्रम में ही उनकी आलोचना करते हुए उनके खिलाफ भ्रष्टाचार का आरोप लगाया था।

अगले दिन, बाबू कन्नूर में अपने आवास में मृत पाए गए। दिव्या को उनके पद से हटा दिया गया और उन पर आत्महत्या के लिए मजबूर करने का मामला दर्ज किया गया। उन्हें 29 अक्टूबर को गिरफ्तार कर जेल भेज दिया गया था।

आठ नवंबर को सत्र अदालत ने उन्हें नियमित जमानत दे दी।

भाषा राजकुमार अविनाश

अविनाश



Share This Article
Leave a comment

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *