निशानेबाजी में जो प्रतिभा है, वह अन्य खेलों में नहीं है: अभिनव बिंद्रा |

Ankit
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गुड़गांव, 22 नवंबर (भाषा) बीजिंग ओलंपिक में व्यक्तिगत स्वर्ण पदक जीतने वाले पहले भारतीय निशानेबाज अभिनव बिंद्रा ने कहा कि पिछले एक दशक में देश में निशानेबाजी में काफी विकास हुआ है जिससे अब इस खेल में प्रतिभा की गहराई है।


मनु भाकर ने पेरिस ओलंपिक में दो कांस्य पदक जीतकर भारतीय निशानेबाजों की अगुआई की।

बिंद्रा ने शुक्रवार को आर्टेमिस अस्पताल में ‘पीटीआई वीडियो’ से कहा, ‘‘निशानेबाजी के खेल में जो प्रतिभा है, वह इस देश के किसी अन्य खेल में नहीं है। ’’

उन्होंने कहा, ‘‘राष्ट्रीय स्तर और विश्व स्तर पर बहुत से निशानेबाज अच्छा प्रदर्शन कर रहे हैं। यह स्पष्ट रूप से दर्शाता है कि पिछले एक दशक में इस खेल ने कितनी प्रगति की है। ’’

पेरिस खेलों में भारतीय निशानेबाजों की उपलब्धि ने ओलंपिक में 12 साल के सूखे को भी समाप्त कर दिया जिसमें मनु, सरबजोत सिंह और स्वप्निल कुसाले ने तीन कांस्य पदक हासिल किए।

बिंद्रा ने कहा, ‘‘कुछ समय के लिए ऐसा भी समय रहा जब दो ओलंपिक में हम कोई पदक नहीं जीत पाए। लेकिन यह खेल का एक अभिन्न हिस्सा है। एथलीटों ने बहुत कुछ सीखा है, महासंघ ने बहुत कुछ सीखा है जिसके परिणामस्वरूप पेरिस में अच्छे परिणाम मिले। ’’

42 वर्षीय बिंद्रा ने कहा कि भविष्य के ओलंपिक खेलों में इसी तरह के प्रदर्शन को जारी रखने के लिए रणनीतिक योजना और बारिकियों पर ध्यान बरकरार रहेगा।

उन्होंने कहा, ‘‘मुझे उम्मीद है कि यह लय जारी रहेगी और रणनीतिक योजना जारी रहेगी। छोटी-छोटी चीजें बहुत मायने रखती हैं, उनका ध्यान रखना चाहिए। मुझे उम्मीद है कि देश निशानेबाजी में अपना सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन करता रहेगा। ’’

2026 राष्ट्रमंडल खेलों ने निशानेबाजी, हॉकी, क्रिकेट और कुश्ती को अपने कार्यक्रम से हटा दिया है जो ग्लास्गो में भारत की पदक संभावनाओं के लिए बड़ा झटका है।

बिंद्रा ने कहा कि यह स्थायी नहीं है और उन्हें उम्मीद है कि भविष्य में निशानेबाजी की वापसी होगी।

भाषा नमिता आनन्द

आनन्द



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