भारत अपनी विकास प्राथमिकताओं के साथ वैश्विक जलवायु कार्रवाई को आकार दे रहा: पर्यावरण मंत्री |

Ankit
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(फाइल फोटो सहित)


नयी दिल्ली, 21 नवंबर (भाषा) अजरबैजान में जारी जलवायु वार्ता के बीच, पर्यावरण मंत्री भूपेंद्र यादव ने बृहस्पतिवार को कहा कि भारत अपनी विकासात्मक प्राथमिकताएं बरकरार रखते हुए वैश्विक जलवायु तंत्र को आकार देने में महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहा है।

भारतीय वाणिज्य एवं उद्योग महासंघ (फिक्की) की 97वीं वार्षिक आम बैठक और वार्षिक सम्मेलन में ‘विकसित भारत के लिए हमारे कदम’ विषय पर मंत्री ने इन वैश्विक जलवायु तंत्रों को आकार देने में भारत की सक्रिय भूमिका को रेखांकित किया।

उन्होंने कहा, ‘‘कार्बन और ग्रीन क्रेडिट को बढ़ावा देने की हमारी पहल वैश्विक जलवायु लक्ष्यों के अनुरूप है। इसके साथ ही भारत के विकासात्मक उद्देश्यों की रक्षा भी की जा रही है।’’

बाकू में सीओपी29 पर अद्यतन जानकारी प्रदान करते हुए मंत्री ने बताया कि अनुच्छेद 6.4 को अंतरराष्ट्रीय स्तर पर पूरी तरह से लागू किया जाएगा।

बाकू में वैश्विक जलवायु वार्ता के पहले दिन एक महत्वपूर्ण निर्णय में, सीओपी 29 ने अनुच्छेद छह के अंतर्गत पेरिस समझौते के तंत्र के लिए नए परिचालन मानकों को आधिकारिक रूप से अपनाया, जिससे वैश्विक कार्बन बाजार के लिए मंच तैयार हो गया।

उन्होंने पेरिस समझौते के अनुच्छेद 6 के अंतर्गत कार्बन क्रेडिट तंत्र पर जारी बातचीत को लेकर कहा, ‘‘विकसित देशों ने प्रौद्योगिकी हस्तांतरण और वित्तीय सहायता के माध्यम से अपने अतीत के उत्सर्जन की भरपाई करने का वचन दिया था, लेकिन ये वार्ता के प्रमुख बिंदु बने हुए हैं।’’

पेरिस समझौते का अनुच्छेद 6 कार्बन उत्सर्जन को कम करने के लिए अंतरराष्ट्रीय सहयोग से संबंधित है।

बाकू में सीओपी29 में महत्वपूर्ण वार्ता जारी रहने के बीच पर्यावरण मंत्री ने वैश्विक जलवायु कार्रवाई में भारत के नेतृत्व को रेखांकित किया।

मंत्री ने इस बात पर जोर दिया कि सीओपी (संयुक्त राष्ट्र जलवायु) शिखर सम्मेलन में चर्चा 2015 के पेरिस समझौते के तहत की गई प्रतिबद्धताओं के आधार पर उत्सर्जन में कमी के लिए एक नया मात्रात्मक वैश्विक लक्ष्य स्थापित करने पर केंद्रित है। मंत्री ने जलवायु लक्ष्यों को पूरा करने और उससे आगे निकलने में भारत की उपलब्धियों की सराहना की।

उन्होंने कहा, ‘‘हमने 2005 के स्तर की तुलना में अपने कार्बन उत्सर्जन को 40 प्रतिशत तक कम करने और 2030 तक अक्षय ऊर्जा क्षमता को 45 प्रतिशत तक बढ़ाने की प्रतिबद्धता जताई। इन दोनों लक्ष्यों को पहले ही हासिल कर लिया गया है।’’

उन्होंने कहा कि भारत ने 2030 के लिए नए, महत्वाकांक्षी जलवायु लक्ष्य भी निर्धारित किए हैं।

भाषा आशीष सुभाष

सुभाष



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