कनाडा के विपक्षी नेता |

Ankit
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ओटावा, 18 अक्टूबर (भाषा) कनाडा के एक विपक्षी नेता ने प्रधानमंत्री जस्टिन ट्रूडो पर अन्य विवादों से ध्यान भटकाने के लिए हरदीप सिंह निज्जर की हत्या का इस्तेमाल करने का आरोप लगाया और सरकार से पिछली प्रशासनिक गलती को सुधारने के लिए खालिस्तानी आतंकवादी की नागरिकता मरणोपरांत छीन लेने को कहा है।


पीपुल्स पार्टी ऑफ कनाडा के नेता मैक्सिम बर्नियर ने यह भी कहा कि खालिस्तानी आतंकवादी, जो पूरे विवाद के केंद्र में है, वह एक विदेशी आतंकवादी था, जिसे किसी तरह 2007 में नागरिकता प्रदान कर दी गई थी।

रॉयल कनाडियन माउंटेड पुलिस (आरसीएमपी) ने सोमवार को कहा कि उसने जून 2023 में हुई निज्जर की हत्या में, संभावित संदिग्ध के रूप में कनाडा में भारत के उच्चायुक्त और पांच अन्य राजनयिकों की पहचान की थी।

आरसीएमपी ने यह भी कहा कि उसने भारत सरकार के एजेंटों द्वारा कनाडाई लोगों के खिलाफ तेजी से एक अभियान चलाये जाने के सबूत भी पाए हैं।

बर्नियर ने कहा कि अगर यह सच है, तो आरसीएमपी और कनाडा सरकार द्वारा लगाए गए ये आरोप कि भारतीय राजनयिकों की ‘‘हमारे देश में आपराधिक गतिविधियों में संलिप्तता रही है, बहुत गंभीर हैं और इससे निपटा जाना चाहिए।’’

उन्होंने कहा, ‘‘हालांकि, अभी तक हमें कोई सबूत नहीं दिया गया है। और ट्रूडो स्पष्ट रूप से इस संकट का इस्तेमाल अन्य विवादों से ध्यान भटकाने के लिए कर रहे हैं।’’

बर्नियर ने कहा कि निज्जर एक विदेशी आतंकवादी था, जिसने कनाडा में शरण लेने के लिए कई बार फर्जी दस्तावेजों का इस्तेमाल किया था।

उन्होंने कहा, ‘‘हालांकि इस भ्रम को दूर किया जाना चाहिए कि इस विवाद का केंद्र बिंदु, खालीस्तानी आतंकवादी हरदीप सिंह निज्जर, जिसकी पिछले साल हत्या कर दी गई थी, एक कनाडाई था। वह असल में एक विदेशी आतंकवादी था जिसने 1997 से कई बार कनाडा में शरण लेने के लिए फर्जी दस्तावेजों का इस्तेमाल किया था। उसके आवेदनों को खारिज कर दिया गया था, लेकिन फिर भी उसे इस देश में रहने की अनुमति दी गई और किसी तरह 2007 में उसे नागरिकता प्रदान कर दी गई।’’

उन्होंने कहा, ‘‘निज्जर कनाडाई नहीं था। इस प्रशासनिक गलती को सुधारने के लिए कनाडा को मरणोपरांत उसकी नागरिकता छीन लेनी चाहिए।’’

बर्नियर ने कहा कि उसे शरण मांगने संबंधी अपने पहले फर्जी आवेदन के बाद ही निर्वासित कर दिया जाना चाहिए था, जैसा कि कनाडा में अभी फर्जी दस्तावेजों के जरिये शरण मांगने वाले हजारों लोगों के साथ किया जा रहा है।

उन्होंने कहा, ‘‘यह सब इसलिए हो रहा है कि कनाडा ने दशकों से जानबूझकर इन विदेशियों और उनके जातीय झगड़ों को हमारे देश में न्यौता दिया है। हमें इस बड़ी गलती को समझना चाहिए और इस मुद्दे पर एक उभरती विश्व शक्ति और एक महत्वपूर्ण सहयोगी के साथ अपने संबंधों को खतरे में डालने के बजाय समाधान तलाशने के लिए भारत सरकार के साथ काम करना चाहिए।’’

निज्जर की हत्या में भारतीय एजेंटों की ‘‘संभावित’’ संलिप्तता होने के संबंध में पिछले साल सितंबर में प्रधानमंत्री ट्रूडो के आरोपों के बाद, भारत और कनाडा के बीच संबंधों में तनाव आ चुका है।

निज्जर की ब्रिटिश कोलंबिया के सरे में गोली मारकर हत्या कर दी गई थी। हालांकि, भारत ने ट्रूडो के आरोपों को ‘‘बेतुका’’ करार देते हुए खारिज कर दिया था।

भारत ने कनाडा में रह रहे खालिस्तान समर्थकों के प्रति नरम रुख अपनाने को लेकर ट्रूडो सरकार की कई बार आलोचना की है। भारत में खालिस्तानी आंदोलन प्रतिबंधित है लेकिन सिख समुदायों, विशेष रूप से कनाडा में उसे समर्थन प्राप्त है।

भारत ने सोमवार को छह कनाडाई राजनयिकों को निष्कासित कर दिया था और घोषणा की कि वह कनाडा से अपने उच्चायुक्त को वापस बुला रहा है। इससे पूर्व भारत ने निज्जर की हत्या की जांच से राजदूत को जोड़ने के ओटावा के आरोपों को खारिज कर दिया था।

विदेश मंत्रालय ने एक बयान में कहा था, ‘हमें कनाडा की मौजूदा सरकार की उनकी सुरक्षा सुनिश्चित करने की प्रतिबद्धता पर कोई भरोसा नहीं है। इसलिए भारत सरकार ने उच्चायुक्त और अन्य लक्षित राजनयिकों और अधिकारियों को वापस बुलाने का फैसला किया है।’

वहीं, कनाडा ने भी कहा था कि उसने छह भारतीय राजनयिकों को निष्कासित कर दिया है।

भाषा सुभाष नरेश

नरेश



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