वांगचुक ने लद्दाख पर फर्जी खबरों को लेकर चिंता जताई, भूख हड़ताल 12वें दिन भी जारी

Ankit
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नयी दिल्ली, 17 अक्टूबर (भाषा) जलवायु कार्यकर्ता सोनम वांगचुक ने लद्दाख के लिए जारी विरोध प्रदर्शन के बारे में सोशल मीडिया पर फर्जी खबरें फैलाने को लेकर बृहस्पतिवार को चिंता जताई और पुलिस से इस पर संज्ञान लेने का अनुरोध किया।


उन्होंने ‘एक्स’ पर एक पोस्ट में कहा कि ऑनलाइन कई ऐसे पोस्ट साझा किए जा रहे हैं जो लद्दाख बचाओ आंदोलन को ‘बाधित’ करने के उद्देश्य से गलत सूचना फैला रहे हैं।

वांगचुक और लद्दाख के अन्य कार्यकर्ताओं ने बृहस्पतिवार को दिल्ली के लद्दाख भवन में 12वें दिन भी अपनी अनिश्चितकालीन भूख हड़ताल जारी रखी।

वांगचुक ने ‘एक्स’ पर साझा की गई एक भ्रामक पोस्ट को संलग्न करते हुए कहा, “कुछ रुपयों के लिए लोगों को इतना नीचे गिरते देखना दुखद है।”

उन्होंने कहा, “ वर्ष 2022 के वीडियो का इस्तेमाल लोगों को भड़काने के लिए किया जा रहा है जबकि असल में यह मुद्दा सुलझ चुका है और कारगिल में पहले से ही एक बौद्ध मंदिर बनाया जा रहा है। उन्हें यह एहसास नहीं है कि इससे सांप्रदायिक दंगा भड़क सकता है। मुझे उम्मीद है कि हमारे अधिकारी कार्रवाई करेंगे। मानहानि का मुकदमा तो होगा ही।”

वांगचुक ने ‘एक्स’ पर एक वीडियो संदेश में कहा, “लद्दाख बचाओ आंदोलन जोर पकड़ रहा है। हम केवल यह मांग कर रहे हैं कि भाजपा के नेतृत्व वाली सरकार 2019 और 2020 के घोषणापत्रों में किए गए अपने वादों को पूरा करे। अपने वादों को पूरा करने के बजाय, वे आंदोलन को बाधित करने की कोशिश कर रहे हैं, खासकर सोशल मीडिया पर जहां एक पूरी ट्रोल फौज आंदोलन को बदनाम करने की कोशिशों में लगी हुई है।”

कार्यकर्ता ने कहा, “यह दुखद है कि उपद्रवी शांतिपूर्ण क्षेत्र में अशांति फैलाने की कोशिश कर रहे हैं। अपराध शाखा को संज्ञान लेना चाहिए और कार्रवाई करनी चाहिए। मुकदमा दर्ज किया जाना चाहिए। हमें यह सवाल उठाने की जरूरत है कि यह (ऐसी फर्जी खबरें) किस तरह की मानसिकता को बढ़ावा देने का लक्ष्य रखती हैं।”

रमन मैगसायसाय पुरस्कार विजेता वांगचुक और अन्य लोगों की अनिश्चितकालीन भूख हड़ताल बृहस्पतिवार को 12वें दिन में प्रवेश कर गई।

लद्दाख के करीब 25 लोग छह अक्टूबर से लद्दाख भवन में अनिश्चितकालीन भूख हड़ताल पर बैठे हैं और अपनी मांगों पर चर्चा के लिए प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी समेत शीर्ष नेतृत्व से मुलाकात की मांग कर रहे हैं।

भाषा जितेंद्र संतोष

संतोष



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