दिल्ली के चिकित्सकों ने भूख हड़ताल की, कैंडल मार्च निकाला |

Ankit
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नयी दिल्ली, नौ अक्टूबर (भाषा) अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (एम्स), दिल्ली के रेजिडेंट डॉक्टरों ने पश्चिम बंगाल में एक प्रशिक्षु महिला चिकित्सक की कथित बलात्कार और हत्या की घटना के विरोध में प्रदर्शन कर रहे जूनियर डॉक्टरों के साथ एकजुटता दिखाने के लिए बुधवार शाम कैंडल मार्च निकाला।


यह मार्च “अभया के लिए न्याय” के बैनर तले आयोजित किया गया। इसमें शामिल डॉक्टर मोमबत्तियां और पोस्टर थामे हुए थे, जिन पर कार्यस्थल पर सुरक्षा और जवाबदेही की मांग वाले नारे लिखे हुए थे।

एम्स रेजिडेंट डॉक्टर्स एसोसिएशन के महासचिव डॉ. रघुनंदन दीक्षित ने ‘पीटीआई-भाषा’ से कहा, ‘पहले दिन से ही हम ड्यूटी के दौरान जान गंवाने वाली महिला डॉक्टर के लिए न्याय की मांग कर रहे हैं। आज हम उसकी याद में मोमबत्तियां लेकर मार्च निकाल रहे हैं और कार्रवाई की मांग कर रहे हैं।”

एक अन्य डॉक्टर ने जांच की गति पर निराशा व्यक्त करते हुए कहा, “पश्चिम बंगाल की इस घटना को दो महीने बीत गए हैं, लेकिन अब तक न्याय नहीं मिला है।”

इससे पहले, दिल्ली में मौलाना आजाद मेडिकल कॉलेज के चिकित्सकों ने पश्चिम बंगाल में एक महिला चिकित्सक से कथित दुष्कर्म एवं हत्या की घटना के खिलाफ प्रदर्शन कर रहे वहां के कनिष्ठ चिकित्सकों के प्रति एकजुटता जताने के लिए बुधवार को एक दिवसीय भूख हड़ताल की।

गुरु तेग बहादुर (जीटीबी) अस्पताल के चिकित्सक भी बुधवार को हड़ताल में शामिल हुए। मौलाना आजाद मेडिकल कॉलेज (एमएएमसी) आरडीए की अध्यक्ष अपर्णा सेतिया ने कहा कि चिकित्सक बुधवार को सुबह नौ बजे से अपराह्न चार बजे तक कामकाजी घंटों के दौरान प्रतीकात्मक भूख हड़ताल कर रहे हैं।

सेतिया ने ‘पीटीआई-भाषा’ से कहा, ‘‘इस दौरान हम भूख हड़ताल कर रहे पश्चिम बंगाल के कनिष्ठ चिकित्सकों के प्रति अपना समर्थन जताने के वास्ते कुछ भी खाएंगे या पीएंगे नहीं।’’

जीटीबी अस्पताल के चिकित्सकों ने एक बयान में कहा कि उन्होंने जो काली पट्टी बांधी है, वह उनकी पीड़ा को दर्शाती है और यह याद दिलाती है कि चिकित्सा समुदाय ऐसी क्रूर हिंसा के सामने चुप नहीं रहेगा।

कनिष्ठ चिकित्सकों ने नौ अगस्त को कोलकाता के आरजी कर मेडिकल कॉलेज एवं अस्पताल में एक महिला चिकित्सक से कथित दुष्कर्म और हत्या के बाद अपना प्रदर्शन शुरू किया। कनिष्ठ चिकित्सक 42 दिन के विरोध-प्रदर्शन के बाद 21 सितंबर को सरकारी अस्पतालों में आंशिक रूप से अपनी ड्यूटी पर लौटे थे। सरकार ने उनकी ज्यादातर मांगों को पूरा करने का वादा किया था।

हालांकि, उन्होंने राज्य सरकार की ओर से संचालित ‘कॉलेज ऑफ मेडिसिन एंड सागर दत्ता हॉस्पिटल’ में एक मरीज के परिवार द्वारा चिकित्सकों पर हमला किए जाने के बाद एक अक्टूबर को फिर से काम बंद कर दिया।

भाषा नोमान पारुल

पारुल



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