विधानसभा के जरिये अनुच्छेद 370 को बहाल करना संभव नहीं: गुलाम नबी आजाद |

Ankit
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जम्मू, 29 सितंबर (भाषा) डेमोक्रेटिक प्रोग्रेसिव आजाद पार्टी के अध्यक्ष गुलाम नबी आजाद ने रविवार को कहा कि संविधान के अनुच्छेद 370 (के प्रावधानों) की बहाली विधानसभा के जरिये संभव नहीं है।


आजाद ने लोगों से नेताओं के ‘‘झूठे वादों’’ से गुमराह नहीं होने तथा विकास एवं प्रगति के लिए वोट देने को कहा।

आजाद ने चुनाव प्रचार के अंतिम दिन जम्मू में अपनी पार्टी के उम्मीदवारों के समर्थन में कई चुनावी रैलियों को संबोधित करते हुए अनुच्छेद 370 (के प्रावधानों) की वापसी के संबंध में विभिन्न राजनीतिक दलों द्वारा किए गए वादों पर चिंता जतायी और कहा कि ये वादे वास्तविकता पर आधारित नहीं हैं।

जम्मू कश्मीर के पूर्व मुख्यमंत्री आजाद ने कहा, ‘‘हम सभी अनुच्छेद 370 की वापसी चाहते हैं, लेकिन हम भाजपा से कुछ भी उम्मीद नहीं कर सकते। कांग्रेस भी इस महत्वपूर्ण मुद्दे पर बोलने में विफल रही है। विधानसभा के माध्यम से अनुच्छेद 370 (के प्रावधानों) को बहाल करना संभव नहीं है, लेकिन हम यह सुनिश्चित करने के लिए कानून पेश कर सकते हैं कि कोई भी बाहरी व्यक्ति हमारे क्षेत्र में जमीन न खरीद सके या नौकरी न पा सके। अनुच्छेद 370 का सार यही था।’’

डेमोक्रेटिक प्रोग्रेसिव आजाद पार्टी (डीपीएपी) के संस्थापक आजाद ने कहा कि वह ‘‘कपट, झूठ बोलने या गुमराह करने’ का काम नहीं करते।

उन्होंने कहा, ‘‘मैं मानता हूं कि कुछ लोग झूठ के अभ्यस्त हो गए हैं और उन झूठों के आधार पर मतदान कर रहे हैं, लेकिन मैं सच बोलता हूं, जिसे केवल कुछ ही लोग समझ सकते हैं। मैं कभी भी झूठी आशा नहीं दिलाऊंगा या अवास्तविक वादे नहीं करूंगा।’’

उन्होंने झूठे नारों को लेकर लोगों के बीच व्यापक मोहभंग को स्वीकार किया, जिसके कारण केवल रक्तपात और अशांति ही हुई है।

उन्होंने कहा, ‘‘लोग खोखले वादों से तंग आ चुके हैं, जिसके परिणामस्वरूप अराजकता और विभाजन के अलावा कुछ नहीं हुआ है। आज, हमें अपने युवाओं के लिए रोजगार पैदा करने पर ध्यान केंद्रित करना चाहिए, जो तेजी से नशे की लत में फंस रहे हैं, यह हमारे सामने सबसे बड़ी समस्या है।’’

उन्होंने जनता से एक अक्टूबर को होने वाले तीसरे और अंतिम चरण के चुनाव में विकास और प्रगति के लिए मतदान करने का आग्रह किया।

उन्होंने कहा, ‘‘सालों से, राजनीतिक दलों ने दोनों क्षेत्रों का विकास न करने के बहाने पेश करते हुए विभाजन को एक रणनीति के रूप में इस्तेमाल किया है। इससे संघर्ष पैदा हुआ है, जबकि सत्ता में बैठे लोग अपने विशेषाधिकारों का आनंद लेते रहे।’’ उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि केवल एकता के माध्यम से ही वास्तविक प्रगति हासिल की जा सकती है।

भाषा अमित संतोष

संतोष



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