आगामी त्योहारी मांग के मुकाबले आपूर्ति कम रहने से सभी तेल-तिलहन कीमतों में सुधार

Ankit
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नयी दिल्ली, 25 सितंबर (भाषा) विदेशी बाजारों में भारी तेजी के बीच आगामी त्योहारी मांग के मुकाबले बेहद कम आपूर्ति के कारण देश के तेल-तिलहन बाजार में बुधवार को सभी तेल-तिलहन के दाम मजबूत बंद हुए तथा सरसों, मूंगफली और सोयाबीन तेल-तिलहन, कच्चे पामतेल (सीपीओ) एवं पामोलीन तथा बिनौला तेल कीमतों में पर्याप्त सुधार दर्ज हुआ।

मलेशिया और शिकॉगो एक्सचेंज में पर्याप्त तेजी है।

बाजार सूत्रों ने कहा कि सोयाबीन तेल के मुकाबले सीपीओ, पामोलीन के महंगा होने और देश में खरीफ तिलहन फसलों के बाजार में आने की उम्मीद की वजह से आयातकों द्वारा अपने आयात के कुछ पुराने सौदों का मलेशिया और इंडोनेशिया में ही निपटान कर दिया गया जिसकी वजह से देश में सीपीओ और पामोलीन जैसे खाद्य तेलों का आयात कम हुआ है। बरसात के कारण देशी खरीफ तिलहन फसल की आवक में देर होने के बीच आयात ऑर्डर कम होने से ऐन त्योहारों के मौके पर खाद्य तेलों के स्टॉक की कमी हो चली है। सोयाबीन तेल से महंगा होने के कारण सूरजमुखी तेल का भी आयात कम हुआ है। इन सब परिस्थितियों के कारण देश में त्योहारों के मौसम में खाद्य तेलों के स्टॉक की कमी की आशंका है।

सूत्रों ने कहा कि जिस किसी के भी पास सोयाबीन डीगम तेल का थोड़ा बहुत स्टॉक है वह उन आयातकों के निजी इस्तेमाल के लिए है और उसमें 15-20 अक्टूबर से पहले का कोई बिकवाल नहीं है। इस तेल को खरीद भी लिया जाये तो इसका प्रसंस्करण कर बाजार में आने में कम से कम और 5-7 दिन का समय लगेगा। नवंबर में शादी-विवाह के मौसम की भी मांग बढ़ेगी और इसके अलावा जाड़़े के मौसम की भी मांग रहेगी। अगर अक्टूबर में आयात आर्डर के तहत पाम, पामोलीन जहाजों पर लोड भी होगा तो देश में यह 20-25 अक्टूबर तक पहुंचेगा। स्थानीय खाद्य तेल इस वक्त खाद्य तेलों की कमी को पूरा करने के लिए पर्याप्त साबित नहीं होगा।

ऐन त्योहारों के मौके पर खाद्य तेलों की कमी की आशंका को देखते हुए समुचित उपाय करने की आवश्यकता है। कम से कम खाद्य तेल संगठनों को यह जानकारी रहती है कि विदेशों से खाद्य तेलों के आयात के ऑर्डर की क्या स्थिति है, लदान कब और कितना हुआ, आयात की खेप कब तक पहुंचेगी। ऐसे में उन्हें, समय रहते, आगामी मांग आपूर्ति की स्थिति के बारे में संबद्ध विभागों और सरकार को सूचित करना चाहिये ताकि समुचित उपाय किये जा सकें और उपभोक्ताओं को किसी प्रकार की दिक्कत न हो।

सूत्रों ने कहा कि आयातित तेल की कम आपूर्ति के कारण सरसों तेल-तिलहन में सुधार है। नेफेड के पास सरसों का भारी स्टॉक है जिसकी वजह से सरसों मिलें अपनी काफी क्षमता का उपयोग करने की स्थिति में हैं। सरसों की पेराई में नुकसान की भी स्थिति नहीं रह गई है।

तेल-तिलहनों के भाव इस प्रकार रहे:

सरसों तिलहन – 6,625-6,675 रुपये प्रति क्विंटल।

मूंगफली – 6,375-6,650 रुपये प्रति क्विंटल।

मूंगफली तेल मिल डिलिवरी (गुजरात) – 15,150 रुपये प्रति क्विंटल।

मूंगफली रिफाइंड तेल – 2,280-2,580 रुपये प्रति टिन।

सरसों तेल दादरी- 13,950 रुपये प्रति क्विंटल।

सरसों पक्की घानी- 2,175-2,275 रुपये प्रति टिन।

सरसों कच्ची घानी- 2,175-2,290 रुपये प्रति टिन।

तिल तेल मिल डिलिवरी – 18,900-21,000 रुपये प्रति क्विंटल।

सोयाबीन तेल मिल डिलिवरी दिल्ली- 13,000 रुपये प्रति क्विंटल।

सोयाबीन मिल डिलिवरी इंदौर- 12,600 रुपये प्रति क्विंटल।

सोयाबीन तेल डीगम, कांडला- 9,300 रुपये प्रति क्विंटल।

सीपीओ एक्स-कांडला- 11,750 रुपये प्रति क्विंटल।

बिनौला मिल डिलिवरी (हरियाणा)- 12,250 रुपये प्रति क्विंटल।

पामोलिन आरबीडी, दिल्ली- 13,400 रुपये प्रति क्विंटल।

पामोलिन एक्स- कांडला- 12,500 रुपये (बिना जीएसटी के) प्रति क्विंटल।

सोयाबीन दाना – 4,850-4,900 रुपये प्रति क्विंटल।

सोयाबीन लूज- 4,625-4,760 रुपये प्रति क्विंटल।

मक्का खल (सरिस्का)- 4,225 रुपये प्रति क्विंटल।

भाषा राजेश राजेश अजय

अजय



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