यरुशलम, 25 सितंबर (एपी) एक वर्ष पहले ही संयुक्त राष्ट्र महासभा के मंच से इजराइल के प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू ने पश्चिम एशिया में एक नयी शांति व्यवस्था कायम होने का पूरे जोश के साथ दावा किया था किंतु एक साल बाद जब वह उसी मंच पर वापस आएंगे तो उनकी यह घोषणा तार-तार होकर बिखरती प्रतीत हो रही है।
गाजा में विनाशकारी युद्ध को एक साल होने वाला है। इजराइल ईरान समर्थित लेबनानी समूह हिजबुल्लाह के साथ एक व्यापक क्षेत्रीय युद्ध के मुहाने पर खड़ा है। अंतरराष्ट्रीय स्तर पर देश अलग-थलग पड़ रहा है तथा उसका नेतृत्व एक कट्टर विचारधारा को समर्पित नेता कर रहा है, जिसके संघर्ष से निपटने के तौर-तरीकों को लेकर न सिर्फ दुनिया के अन्य देशों बल्कि उसके अपने देश में भी विरोध प्रदर्शन हो रहे हैं।
इजराइल सिर्फ क्षेत्रीय संघर्षों की वजह से ही प्रभावित नहीं है। नेतन्याहू जब न्यूयॉर्क की यात्रा पर होंगे तो उन पर इस बात की आशंका का सामना करना पड़ेगा कि अंतरराष्ट्रीय अपराध न्यायालय द्वारा उनकी गिरफ्तारी का वारंट जारी हो सकता है।
इजरायल के विदेश मंत्रालय के पूर्व महानिदेशक और नेतन्याहू के मुखर आलोचक एलन लेल ने कहा, “वह लगभग अवांछित व्यक्ति बनने की स्थिति में पहुंच गए हैं।”
वह संयुक्त राष्ट्र में अपने भाषणों के लिए जाने जाते हैं, लेकिन क्या इस साल कुछ अलग होगा? नेतन्याहू शुक्रवार को महासभा को संबोधित करने वाले हैं।
जुलाई में, उन्होंने अमेरिकी संसद के संयुक्त सत्र के समक्ष गाजा में युद्ध के लिए इजराइल का पक्ष रखा। उन्होंने इस भाषण के लिये अमेरिकी सदन से तारीफ मिली तो साथ ही उनके देश के कुछ आलोचकों से भी उन्हें प्रशंसा मिली।
जॉर्जटाउन और तेल अवीव विश्वविद्यालय में अंतरराष्ट्रीय संबंधों के प्रोफेसर योसी शैन ने कहा, “उनके विचार में, विश्व मामलों के बड़े मंच पर न्यूयॉर्क की ऐसी किसी भी यात्रा को वह एक फायदा (का सौदा) मानते हैं।” उन्होंने कहा कि नेतन्याहू के विदेश में दिए गए भाषण अक्सर घरेलू जनता को प्रभावित करने के लिए होते हैं और यह भाषण भी इससे अलग नहीं है।
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प्रशांत माधव
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