भारत ने ‘यूएनएससी सुधारों पर भविष्य के समझौते की भाषा’ को ‘‘अच्छी शुरुआत’’ बताया

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(योषिता सिंह)


न्यूयॉर्क, 23 सितंबर (भाषा) भारत ने कहा है कि संयुक्त राष्ट्र शिखर सम्मेलन के दस्तावेज में सुरक्षा परिषद में सुधार पर पहली बार एक विस्तृत पैराग्राफ शामिल किया जाना एक ‘‘अच्छी शुरुआत’’ है और नयी दिल्ली 15 देशों के निकाय में सुधार के लिए एक निश्चित समय सीमा में ‘पाठ आधारित वार्ता’ की शुरुआत की आशा करती है।

‘पाठ-आधारित वार्ता’ से तात्पर्य किसी समझौते की ऐसी विषय वस्तु तैयार करने की प्रक्रिया से है जिसे स्वीकार करने और जिस पर हस्ताक्षर करने के लिए सभी पक्ष तैयार हों।

‘भविष्य के शिखर सम्मेलन’ के पहले दिन रविवार को विश्व नेताओं ने ‘‘भविष्य के समझौते’’ को सर्वसम्मति से स्वीकार कर लिया जिसमें ‘‘सुरक्षा परिषद में सुधार करने, इसमें प्रतिनिधित्व बढ़ाने, इसे अधिक समावेशी, पारदर्शी, कुशल, प्रभावी, लोकतांत्रिक और जवाबदेह बनाने की तत्काल आवश्यकता को स्वीकार करने’’ का वादा किया गया।

संयुक्त राष्ट्र के अधिकारियों ने काफी समय से लंबित सुरक्षा परिषद सुधारों को लेकर ‘भविष्य के समझौते’ की भाषा को ‘‘अभूतपूर्व’’ बताया है।

विदेश सचिव विक्रम मिस्री से जब पूछा गया कि भारत ‘भविष्य के समझौते’ में संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद सुधार पर इस भाषा को किस प्रकार देखता है, उन्होंने कहा, ‘‘मैं आपका ध्यान केवल इस तथ्य पर दिलाना चाहूंगा कि संयुक्त राष्ट्र शिखर सम्मेलन के दस्तावेज में संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद सुधार पर पहली बार कोई विस्तृत पैराग्राफ शामिल किया गया है।’’

मिस्री ने ‘प्रेस ट्रस्ट ऑफ इंडिया’ (पीटीआई) से कहा, ‘‘इसलिए भले ही इसमें हर क्षेत्र का हर वह विवरण नहीं हो जिसकी हम कल्पना करते हैं या हम चाहते हैं कि जिसे होना चाहिए लेकिन मुझे लगता है कि यह एक अच्छी शुरुआत है।’’

मिस्री ने कहा कि भारत ‘‘अंततः एक निश्चित समय-सीमा में पाठ-आधारित वार्ता की शुरुआत की आशा करता है।’’

उन्होंने कहा, ‘‘लेकिन इसे उस उद्देश्य की ओर पहला कदम माना जाना चाहिए। तथ्य यह है कि अब तक हमने वास्तव में पाठ के आधार पर चर्चा नहीं की है, लेकिन संधि में इस स्तर पर एक समझौता होना, जहां संयुक्त राष्ट्र प्रणाली में सुधार की संभावनाएं खुली रखी गई हैं, किसी भी दृष्टिकोण से लाभ की स्थिति है।’’

मिस्री ने प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की अमेरिका की तीन दिवसीय यात्रा पूरी होने पर संवाददाताओं को संबोधित किया। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी अमेरिका की ‘‘सफल और अहम’’ यात्रा के बाद सोमवार को स्वदेश रवाना हो गए।

इस यात्रा के दौरान मोदी ने डेलावेयर में ‘क्वाड’ (चतुष्पक्षीय सुरक्षा संवाद) के सदस्य देशों के शासन प्रमुखों के शिखर सम्मेलन में भाग लिया, अमेरिका के राष्ट्रपति जो बाइडन के साथ द्विपक्षीय वार्ता की, ‘लॉन्ग आइलैंड’ में प्रवासी भारतीयों के एक बड़े कार्यक्रम को संबोधित किया, प्रौद्योगिकी जगत से जुड़ी कंपनियों के मुख्य कार्यकारी अधिकारियों (सीईओ) की गोलमेज बैठक को संबोधित किया, संयुक्त राष्ट्र महासभा में ‘भविष्य के शिखर सम्मेलन’ में अपनी बात रखी और यूक्रेन के राष्ट्रपति व्लोदोमिर जेलेंस्की, नेपाल के प्रधानमंत्री के पी शर्मा ओली और फलस्तीन के राष्ट्रपति महमूद अब्बास सहित कई विश्व नेताओं के साथ द्विपक्षीय चर्चा की।

भारत, सुरक्षा परिषद में सुधार के लिए वर्षों से किए जा रहे प्रयासों में अग्रणी रहा है तथा उसका कहना है कि 1945 में स्थापित 15 देशों की परिषद 21वीं सदी के उद्देश्यों को पूरा करने के लिए उपयुक्त नहीं है। उसका मानना है कि यह समकालीन भू-राजनीतिक वास्तविकताओं को प्रतिबिंबित नहीं करती।

ध्रुवीकृत सुरक्षा परिषद शांति और सुरक्षा चुनौतियों से निपटने में भी विफल रही है। उसके सदस्य यूक्रेन युद्ध और इजराइल-हमास संघर्ष जैसे मुद्दों पर बंटे हुए हैं।

भाषा सिम्मी नरेश

नरेश

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