चेन्नई, 19 सितंबर (भाषा) मद्रास उच्च न्यायालय ने तमिलनाडु के कृष्णागिरी जिले के एक स्कूल में फर्जी एनसीसी शिविर में यौन शोषण की शिकार हुई दो पीड़ित लड़कियों को पांच-पांच लाख रुपये का मुआवजा देने का बृहस्पतिवार को राज्य सरकार को निर्देश दिया।
अदालत ने सरकार को शोषण की शिकार 21 अन्य लड़कियों को भी एक-एक लाख रुपये का मुआवजा देने का निर्देश दिया।
कार्यवाहक मुख्य न्यायाधीश डी कृष्णकुमार और न्यायमूर्ति पी बी बालाजी की पीठ ने अधिवक्ता ए पी सूर्यप्रकाशम द्वारा दायर जनहित याचिका पर अंतरिम आदेश पारित करते हुए यह निर्देश दिया। याचिका में घटना की जांच कृष्णगिरी पुलिस से केंद्रीय अन्वेषण ब्यूरो (सीबीआई) को सौंपने का अनुरोध किया गया था।
सूर्यप्रकाशम ने पीड़िताओं के लिए अतिरिक्त मुआवजा दिए जाने का अनुरोध करते हुए कहा कि उन्हें केवल अंतरिम मुआवजा दिया गया है।
पीठ ने कहा कि सरकार दो पीड़िताओं को पांच-पांच लाख रुपए और शेष 21 लड़कियों को एक-एक लाख रुपए दे सकती है। पीठ ने कहा कि मुआवजा राशि कृष्णागिरी जिले की महिला अदालत में जमा की जानी चाहिए और पीड़ित परिवार मुआवजा राशि का दावा करने के लिए आवेदन दे सकते हैं।
पीठ ने स्पष्ट किया कि मुआवजा राशि की वसूली के लिए स्कूल प्रबंधन के खिलाफ कार्रवाई करने को अधिकारी स्वतंत्र हैं।
इससे पहले, महाधिवक्ता पी एस रमण ने अदालत को बताया जांच की निगरानी के लिए विशेष जांच दल (एसआईटी) में एक महानिरीक्षक (आईजी), एक पुलिस अधीक्षक (एसपी) और दो महिला पुलिस उपाधीक्षकों (डीएसपी) की तैनाती की गई है। उन्होंने कहा कि मामले में अब तक 20 लोगों को गिरफ्तार किया गया है और तीन प्राथमिकी दर्ज की गई हैं। 756 गवाहों की जांच की गई है और 161 बयान दर्ज किए गए हैं।
पीठ ने मामले की सुनवाई 30 सितंबर तक स्थगित कर दी।
भाषा आशीष माधव
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