समाज ऐसे किसी व्यक्ति को पसंद नहीं करता जो अपना ही परिवार तोड़े, मुझे गलती का अहसास: अजित पवार |

Ankit
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गढ़चिरौली, सात सितंबर (भाषा) राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (राकांपा) नेता एवं महाराष्ट्र के उपमुख्यमंत्री अजित पवार ने शनिवार को कहा किया कि समाज परिवारों में दरार पसंद नहीं करता और उन्होंने पहले ही अपनी गलती स्वीकार कर ली है। उनका स्पष्ट संदर्भ हाल के लोकसभा चुनाव में उनकी पत्नी सुनेत्रा और चचेरी बहन सुप्रिया सुले के बीच चुनावी मुकाबले की ओर था।


उल्लेखनीय है कि एक महीने से भी कम समय में यह दूसरी बार है, जब अजित पवार ने सार्वजनिक रूप से स्वीकार किया है कि उन्होंने सुले के खिलाफ अपनी पत्नी को खड़ा करके गलती की है और कहा कि राजनीति को घर में प्रवेश नहीं करने देना चाहिए।

अजित पवार द्वारा गलती की यह ‘स्वीकृति’ ऐसे समय की गई है जब अविभाजित राकांपा में विभाजन के बाद महायुति गठबंधन के एक घटक में रूप में शामिल उनके नेतृत्व वाले धड़े ने अपने पहले आम चुनाव में खराब प्रदर्शन किया।

गढ़चिरौली शहर में शुक्रवार को राकांपा द्वारा आयोजित जनसम्मान रैली को संबोधित करते हुए अजित पवार ने पार्टी नेता और राज्य मंत्री धर्मराव बाबा आत्राम की बेटी भाग्यश्री को शरद पवार नीत राकांपा (एसपी) में शामिल होने से रोकने का प्रयास किया।

आगामी विधानसभा चुनाव में भाग्यश्री और उनके पिता के बीच संभावित मुकाबले को लेकर अटकलें लगाई जा रही हैं।

अजित पवार ने उपस्थित लोगों से सवाल किया, ‘‘बेटी को उसके पिता से अधिक कोई प्यार नहीं करता। बेलगाम में उसकी शादी करने के बावजूद, वह (आत्रम) गढ़चिरौली में उसके साथ खड़े रहे और उसे जिला परिषद का अध्यक्ष बनाया। अब आप (भाग्यश्री) अपने ही पिता के खिलाफ लड़ने के लिए तैयार हैं। क्या यह सही है?’’

उन्होंने कहा, ‘‘आपको अपने पिता का समर्थन करना चाहिए और उन्हें जीतने में मदद करनी चाहिए, क्योंकि केवल उनके पास ही क्षेत्र का विकास करने की क्षमता और दृढ़ संकल्प है। समाज कभी भी अपने परिवार को तोड़ना स्वीकार नहीं करता है।’’

उन्होंने भाग्यश्री के राजनीतिक कदम को लेकर उनके पिता और उनके बीच मतभेद का जिक्र करते हुए कहा कि यह परिवार को तोड़ने जैसा है।

उपमुख्यमंत्री ने कहा, ‘‘समाज को यह पसंद नहीं है। मैंने भी यही अनुभव किया है और अपनी गलती स्वीकार की है।’’

अजित पवार के नेतृत्व वाली राकांपा को लोकसभा चुनाव में करारी हार का सामना करना पड़ा था। पार्टी ने बारामती समेत चार सीटों पर चुनाव लड़ा था, जिनमें से तीन पर उसे हार मिली जबकि शरद पवार के नेतृत्व वाले गुट ने 10 में से 8 सीट पर जीत दर्ज की।

भाषा धीरज सुरेश

सुरेश



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