Balaram Jayanti-Farmers Day will be celebrated on 9 September in the state

Ankit
3 Min Read


रायपुरः Balaram Jayanti-Farmers Day इंदिरा गांधी कृषि विश्वविद्यालय रायपुर, कृषि विकास एवं किसान कल्याण तथा जैव प्रौद्योगिकी विभाग और भारतीय किसान संघ छत्तीसगढ़ प्रांत के संयुक्त तत्वावधान में कृषि के देवता माने जाने वाले भगवान श्री बलराम जी की जयंती 9 सितम्बर को बड़े ही धूमधाम के साथ मनाई जाएगी। कृषि महाविद्यालय, रायपुर के कृषि मण्डपम में दोपहर 12 बजे आयोजित कार्यक्रम का शुभारंभ प्रदेश के मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय करेंगे। कार्यक्रम की अध्यक्षता कृषि विकास एवं किसान कल्याण तथा जैव प्रौद्योगिकी मंत्री रामविचार नेताम करेंगे। कार्यक्रम के मुख्य वक्ता के रूप में भारतीय किसान संघ के अखिल भारतीय संगठन मंत्री दिनेश कुलकर्णी होंगे। इस अवसर पर विशिष्ट अतिथि के रूप में बृजमोहन अग्रवाल, सांसद, रायपुर, अनुज शर्मा, धरसींवा विधायक, मोतीलाल साहू, रायपुर ग्रामीण विधायक, कुलपति, इंदिरा गांधी कृषि विश्वविद्यालय डॉ. गिरीश चंदेल एवं भारतीय किसान संघ, छत्तीसगढ़ प्रान्त अध्यक्ष सुरेश चन्द्रवंशी उपस्थित रहेंगे।


Read More : Happy Vinayaka Chaturthi 2024 Images : आज आ रहे हैं बप्पा.. महज इतने घंटे है स्थापना का शुभ मुहूर्त, यहां जानें पूजा और व्रत विधि

Balaram Jayanti-Farmers Day भगवान श्री बलराम जयंती-किसान दिवस के अवसर पर इंदिरा गांधी कृषि विश्वविद्यालय, रायपुर में ‘‘प्राकृतिक एवं गौ आधारित कृषि’’ विषय पर एक दिवसीय राज्य स्तरीय कार्यशाला भी आयोजित की जाएगी जिसमें प्राकृतिक एवं गौ आधारित कृषि पर विषय विशेषज्ञों द्वारा किसानों को ‘‘प्राकृतिक एवं गौ आधारित कृषि’’ की संकल्पना, इसकी प्रविधि एवं इससे प्राप्त लाभों से अवगत कराया जाएगा। इस राज्य स्तरीय कार्यशाला में छत्तीसगढ़ के विभिन्न जिलों से 2 हजार से अधिक किसान शामिल होंगे। इस दिन छत्तीसगढ़ के विभिन्न जिलों में संचालित 27 कृषि विज्ञान केन्द्रों में भी श्री बलराम जयंती-किसान दिवस समारोह का आयोजन किया जाएगा।

Read More : CM Vishnu Deo Sai Visit Raigarh : आज CM विष्णुदेव साय का रायगढ़ दौरा, यहां देखें कार्यक्रम का पूरा शेड्यूल 

उल्लेखनीय है कि भारतीय संस्कृति में आदिकाल से ही कृषि में गौ उत्पादों जैसे गोबर और गौमूत्र का प्रयोग होता रहा है। गौ आधारित खेती रसायन एवं कीटनाशक मुक्त कृषि वह पद्धति है, जिसमें परम्परागत तरीके से प्रकृति के नियमों का अनुसरण करते हुए देशी गाय आधारित खेती के सिद्धांत को अपनाकर खेती की जाती है। प्राकृतिक खेती से मिट्टी में पोषक तत्वों की वृद्धि के साथ-साथ जैविक गतिविधियों का विस्तार होता है जिससे मृदा की उर्वरा शक्ति बढ़ती है और खेती की लागत कम हो जाती है।



Share This Article
Leave a comment

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *