इलाहाबाद उच्‍च न्‍यायालय ने न्यायाधीश की अनिवार्य सेवानिवृत्ति को स्वीकृति दी

Ankit
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लखनऊ, दो सितंबर (भाषा) इलाहाबाद उच्च न्यायालय की लखनऊ पीठ ने सोमवार को अधीनस्थ न्यायालय के न्यायाधीश शोभ नाथ सिंह की समयपूर्व अनिवार्य सेवानिवृत्ति के आदेश पर अपनी स्वीकृति दे दी।


पीठ ने अपने आदेश में इस बात का संज्ञान लिया कि साल 2009 से 2019 तक उक्त जज के खिलाफ भ्रष्टाचार और बेईमानी की कई गंभीर शिकायतें थीं।

न्यायमूर्ति राजन रॉय और न्यायमूर्ति सुभाष विद्यार्थी की पीठ ने न्यायाधीश द्वारा दायर रिट याचिका को खारिज करते हुए यह आदेश पारित किया। याची न्यायाधीश ने उच्‍च न्‍यायालय की प्रशासनिक समिति के 26 नवंबर 2021 के एक आदेश को चुनौती दी थी जिसमें उसे अनिवार्य सेवानिवृत्ति देने की अनुशंसा की गयी थी। साथ ही राज्य सरकार के 29 नवंबर 2021 के आदेश को भी चुनौती दी थी जिसमें उच्‍च न्‍यायालय की अनुशंसा पर उसे समय पूर्व सेवानिवृत्ति दे दी गयी थी।

पीठ ने याचिका को खारिज करते हुए कहा कि अनिवार्य सेवानिवृत्ति कोई सजा नहीं होती अपितु इसका प्रयोग तब किया जाता है जब यह लगे कि उक्त कर्मचारी अमुक सेवा के लिए उपयुक्त नहीं रह गया है।

न्यायाधीश शोभ नाथ सिंह की नियुक्ति उत्तर प्रदेश न्यायिक सेवा में बतौर अपर मुंसिफ 2003 में हुई थी। 2008 में सिंह को सिविल जज सीनियर डिवीजन के तौर पर प्रोन्नति दे दी गयी। बाद में 2009 से 2019 के बीच संदिग्ध निष्ठा और कदाचार के गंभीर आरोपों के लिए उनके खिलाफ दो बार विभागीय जांच की गई, लेकिन उन्हें दोषमुक्त कर दिया गया।

उनकी वार्षिक गोपनीय रिपोर्ट (एसीआर) में कई गलत प्रविष्टियां थीं। न्यायाधीश के समग्र सेवा करियर पर विचार करते हुए, उच्च न्यायालय की प्रशासनिक समिति ने 26 नवंबर, 2021 को न्यायिक सेवा से उनकी समय से पहले अनिवार्य सेवानिवृत्ति की सिफारिश की। इसमें आरोप लगाया गया कि याचिकाकर्ता की अच्छी प्रतिष्ठा नहीं है और वह न्यायिक प्रशासन में परेशानी पैदा करते हैं।

भाषा सं आनन्द धीरज

धीरज



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