नयी दिल्ली, 31 अगस्त (भाषा) राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग (एनएचआरसी) के महासचिव भरत लाल ने इस बात पर जोर दिया है कि न्याय प्राप्त करने के लिए “हिंसा के बजाय संवैधानिक और कानूनी प्रावधानों” पर भरोसा किया जाना चाहिए।
मणिपुर विश्वविद्यालय ने हिंसाग्रस्त इस राज्य में एनएचआरसी के साथ मिलकर मानवाधिकारों पर दो-दिवसीय प्रशिक्षण कार्यक्रम का आयोजन किया।
भरत लाल ने हाल ही में संपन्न कार्यक्रम में अपने समापन भाषण के दौरान यह भी कहा कि “मानवाधिकारों को अक्षुण्ण रखना आंतरिक प्रतिबद्धता होनी चाहिए, न कि बाहरी तौर पर थोपा गया कर्तव्य”।
मणिपुर विश्वविद्यालय के ‘कोर्ट हॉल’ में आयोजित इस कार्यक्रम में 100 से अधिक कानूनी विशेषज्ञों, शिक्षाविदों, मानवाधिकार कार्यकर्ताओं और छात्रों ने भाग लिया।
आधिकारिक रिकॉर्ड के अनुसार, मई 2023 से राज्य में कुकी-जो और मेइती जातीय समूहों के बीच चले संघर्ष में 226 लोग मारे गए हैं।
एनएचआरसी की ओर से शनिवार को जारी एक बयान के अनुसार, लाल ने अपने संबोधन में ‘‘संविधान में निहित प्रावधानों के अनुरूप लोगों के बीच भाईचारे को बढ़ावा देने की आवश्यकता पर जोर दिया तथा न्याय प्राप्त करने के लिए हिंसा के बजाय संवैधानिक और कानूनी प्रावधानों पर भरोसा करने का आग्रह किया”।
उन्होंने जोर देकर कहा कि संविधान की आत्मा, प्रस्तावना, समानता, न्याय, स्वतंत्रता और भाईचारे के मूल आदर्शों को समाहित करती है।
लाल ने जोर देकर कहा कि हिंसा का कोई भी रूप मूल रूप से मानवाधिकारों का उल्लंघन है। उन्होंने छात्रों और शिक्षकों से सभी मनुष्यों के मानवाधिकारों के लिए शांति और सम्मान को सक्रिय रूप से बढ़ावा देने का आग्रह किया।
भाषा सुरेश प्रशांत
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