नयी दिल्ली, 27 अगस्त (भाषा) उच्चतम न्यायालय ने उत्तर प्रदेश सरकार के एक वरिष्ठ अधिकारी को अदालत में ‘झूठा’ हलफनामा दायर करने के लिए मंगलवार को फटकार लगाई और कहा कि वह एक आईएएस अधिकारी के अदालत के सामने ‘झूठ’ बोलने और अपनी सुविधा के अनुसार रुख बदलने संबंधी रवैये को बर्दाश्त नहीं करेगा।
न्यायमूर्ति अभय एस ओका और न्यायमूर्ति ऑगस्टीन जॉर्ज मसीह की पीठ ने उत्तर प्रदेश कारागार प्रशासन विभाग के प्रमुख सचिव राजेश कुमार सिंह को झूठा हलफनामा दाखिल करने के लिए फटकार लगाई।
इससे पहले राज्य सरकार की ओर से अतिरिक्त महाधिवक्ता गरिमा प्रसाद ने कहा कि वह अदालत के पहले के आदेश को समझ नहीं पाए हैं।
पीठ ने प्रसाद से कहा, ‘‘हम किसी आईएएस अधिकारी को अदालत से झूठ बोलते हुए और सुविधानुसार अपना रुख बदलने संबंधी रवैये को बर्दाश्त नहीं करेंगे।’’
न्यायालय ने कहा कि सिंह द्वारा 14 अगस्त को हलफनामे में अपनाया गया रुख उसी अधिकारी द्वारा दिए गए गंभीर बयानों से पूरी तरह भिन्न है, जिन्हें इस न्यायालय के 12 अगस्त के आदेश में दर्ज किया गया है।
पीठ ने कहा, ‘‘वास्तव में, हलफनामे के पैराग्राफ 5 के खंड (जी) में दिए गए बयान सहित हलफनामे में दिए गए कुछ बयान झूठे प्रतीत होते हैं।’’
सिंह ने 12 अगस्त को दलील दी थी कि यह उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री कार्यालय है, जिसने हाल में संपन्न लोकसभा चुनाव के कारण राज्य में लागू आदर्श आचार संहिता के कारण एक दोषी की सजा माफी से संबंधित फाइल स्वीकार करने में देरी की।
राज्य सरकार से अधिकारी के खिलाफ कार्रवाई करने को कहते हुए पीठ ने कहा, ‘‘कुछ अधिकारियों को जेल जाना ही होगा, नहीं तो इस तरह का आचरण नहीं रुकेगा। हम उन्हें नहीं छोड़ेंगे या राज्य को उनके खिलाफ कार्रवाई करनी ही होगी।’’
सिंह ने कहा कि उन्होंने अनजाने में यह कह दिया कि आदर्श आचार संहिता के कारण मुख्यमंत्री सचिवालय ने सजा माफी से संबंधित फाइल स्वीकार नहीं कीं।
पीठ ने सिंह से कहा कि वह उनकी दलील पर विश्वास नहीं करती, क्योंकि ‘‘आप कोई अनपढ़ व्यक्ति नहीं हैं कि आप यह नहीं समझ सकें कि अदालत ने क्या कहा। आप राज्य सरकार के वरिष्ठ अधिकारी हैं।’’
पीठ ने सिंह के हलफनामे को रिकार्ड पर लिया और कहा कि अदालत मामले की गहराई से जांच करेगी और नौ सितंबर को आदेश पारित करेगी।
भाषा देवेंद्र दिलीप
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