तिरुवनंतपुरम/कोच्चि, 22 अगस्त (भाषा) मलयालम फिल्म उद्योग में महिलाओं के उत्पीड़न पर हेमा समिति की रिपोर्ट को लेकर केरल के सामाजिक और राजनीतिक हलकों का पारा चढ़ गया है। विपक्षी कांग्रेस पार्टी ने वामपंथी सरकार की आलोचना की और दोषियों के खिलाफ कार्रवाई की मांग की, वहीं उच्च न्यायालय ने हेमा समिति की रिपोर्ट सीलबंद लिफाफे में पेश करने का निर्देश दिया है।
न्यायमूर्ति के. हेमा समिति का गठन 2017 में एक अभिनेत्री के यौन उत्पीड़न की अभिनेता दिलीप से जुड़ी घटना के बाद मलयालम सिनेमा में यौन उत्पीड़न और लैंगिक असमानता के मुद्दों का अध्ययन करने के लिए किया गया था।
न्यायमूर्ति हेमा समिति की रिपोर्ट 19 अगस्त को जारी की गई, जिसमें फिल्म उद्योग में महिला पेशेवरों के उत्पीड़न, शोषण और दुर्व्यवहार के बारे में गंभीर बातें दर्ज की गई हैं, तथा इसने केरल में राजनीतिक तूफान खड़ा कर दिया है।
कांग्रेस ने बृहस्पतिवार को अपराधियों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की मांग की। पार्टी के वरिष्ठ नेताओं ने आरोप लगाया कि सरकार ने अपराधियों की मदद करने के लिए चार साल तक रिपोर्ट को दबाए रखा।
केरल प्रदेश कांग्रेस कमेटी (केपीसीसी) अध्यक्ष के सुधाकरन ने संवाददाताओं से कहा कि अगर 2026 में कांग्रेस सत्ता में आती है तो दोषियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई की जाएगी। सुधाकरन ने फेसबुक पोस्ट में कहा, ‘‘यह स्वीकार नहीं किया जा सकता कि समिति की रिपोर्ट को सालों तक रोक कर रखा गया जिसमें महिलाओं और यहां तक कि नाबालिग लड़कियों के खिलाफ विभिन्न उत्पीड़न की गंभीर जानकारी है।’’
केरल विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष वी. डी. सतीशन ने दावा किया कि न्यायमूर्ति हेमा ने राज्य सरकार से कभी भी रिपोर्ट जारी न करने के लिए नहीं कहा और दोहराया कि सरकार अपराधियों को बचा रही है।
सतीशन ने कोच्चि में संवाददाताओं से कहा, ‘‘हेमा समिति ने सरकार से कभी भी रिपोर्ट जारी न करने को नहीं कहा, बल्कि इसे जारी करते समय उच्चतम न्यायालय के निर्देशों का पालन करने को कहा। शीर्ष अदालत का निर्देश पीड़ितों के नामों का खुलासा न करने का है और रिपोर्ट पर कार्रवाई करने के खिलाफ नहीं है।’’
इस बीच, केरल सरकार में मंत्री साजी चेरियन ने सतीशन पर जनता को गुमराह करने का आरोप लगाया है। उन्होंने कहा, ‘‘हम रिपोर्ट जारी करने में असमर्थ थे क्योंकि न्यायमूर्ति के. हेमा ने हमें ऐसा न करने के लिए पत्र लिखा था। मुख्य सूचना आयुक्त ने भी यही आदेश दिया था। मामले पर कई बार सुनवाई कर चुके उच्च न्यायालय ने व्यक्तिगत विवरण वाले कई पृष्ठों को हटाने के बाद रिपोर्ट जारी करने का आदेश दिया।’’
चेरियन ने दावा किया कि बिना किसी शिकायत के सरकार कोई मामला दर्ज नहीं कर सकती। उन्होंने कहा, ‘‘हमारे पास छिपाने के लिए कुछ भी नहीं है। विपक्ष के नेता यह बात अच्छी तरह जानते हैं और उनके आरोप निराधार हैं। चूंकि मामला अब अदालत में है, इसलिए हम उनके आदेशों का पालन करेंगे, चाहे वे जो भी हों।’’
इस बीच, केरल महिला आयोग की अध्यक्ष पी. सतीदेवी ने इस मामले में आयोग को पक्षकार बनाने के केरल उच्च न्यायालय के फैसले पर प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए कहा कि इससे यह सुनिश्चित होगा कि महिलाएं सभी क्षेत्रों में सम्मान के साथ काम कर सकें। लेकिन उन्होंने भी आयोग द्वारा मामला दर्ज करने में असमर्थता जताई।
सती देवी ने कहा, ‘‘फिल्म उद्योग को लेकर कई समस्याएं हैं। हम सभी को इनका समाधान चाहिए। लेकिन मौजूदा कानूनी परिदृश्य में हम कोई मामला दर्ज नहीं कर सकते। जिन लोगों ने समिति के समक्ष बयान दिए हैं, उन्हें आगे आना चाहिए।’’
उच्च न्यायालय ने बृहस्पतिवार को पूरी रिपोर्ट प्रकाशित करने और आरोपियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई करने की मांग वाली रिट याचिका स्वीकार कर ली। अदालत ने सरकार को मामले में जवाबी हलफनामा दाखिल करने का भी निर्देश दिया।
इस बीच, सतीशन ने कोच्चि में कहा कि कांग्रेस फिल्म उद्योग के मुद्दों पर चर्चा के लिए वामपंथी सरकार द्वारा आयोजित प्रस्तावित दो दिवसीय सिनेमा सम्मेलन का विरोध करेगी। उन्होंने कहा, ‘‘हम इस तथ्य को स्वीकार नहीं कर सकते कि सरकार एक सिनेमा संगोष्ठी आयोजित करे और सभी जिम्मेदार लोगों एवं पीड़ितों को एक साथ बुलाकर महिला सुरक्षा के मामले पर चर्चा करे। यह संगोष्ठी महिलाओं का अपमान है।’’
भाषा धीरज वैभव
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