नयी दिल्ली, 22 अगस्त (भाषा) दिल्ली उच्च न्यायालय ने पिछले माह खुले नाले में गिरकर मां-बेटे की मौत के मामले में बृहस्पतिवार को दिल्ली विकास प्राधिकरण (डीडीए) से नाखुशी जताई और कहा कि अधिकारियों ने ठेकेदार द्वारा वहां किए गए काम की ‘‘निगरानी’’ नहीं की तथा ठेकेदार ने नाले के कुछ हिस्सों को कथित तौर पर खुला छोड़ दिया।
कार्यवाहक मुख्य न्यायाधीश मनमोहन की अध्यक्षता वाली पीठ ने डीडीए के वकील से कहा कि पांच सितंबर को होने वाली अगली सुनवाई से पहले पीड़ित परिवार को मुआवजा देने के संबंध में निर्देश प्राप्त करे।
न्यायमूर्ति तुषार राव गेडेला भी पीठ में शामिल रहे। पीठ ने कहा, ‘‘डीडीए अधिकारी इसकी उचित निगरानी नहीं कर रहे हैं। आपके अधिकारी निर्माणस्थल पर जाए बिना ही काम पूरा होने के संबंध में प्रमाणपत्र जारी कर रहे हैं। इस पर ध्यान देने की जरूरत है। उसने (ठेकेदार ने) इसे खुला छोड़ दिया। आपके कर्मचारियों ने इसकी कोई निगरानी नहीं की। कोई भी दुर्घटना का शिकार हो सकता है।’’
डीडीए के वकील ने अदालत को भरोसा दिलाया कि कानून अपना काम करेगा और जिम्मेदार लोगों के खिलाफ सख्त कार्रवाई की जाएगी।
पुलिस ने कहा कि मामले की जांच एक माह के भीतर पूरी कर ली जाएगी और ठेकेदार को गिरफ्तार कर लिया गया है। डीडीए के साथ-साथ दिल्ली नगर निगम के अधिकारियों को नोटिस जारी किए गए हैं और संबंधित रिकॉर्ड जब्त कर लिए गए हैं।
अदालत ने डीडीए के वकील से कहा कि अधिकारी ‘‘अपनी जिम्मेदारी से भाग रहे हैं’’ और कहा, ‘‘अच्छी बात है कि पुलिस आपके अधीन नहीं थी। अन्यथा आप वहां उन्हें (अधिकारियों को) बचा रहे होते।’’
अदालत मयूर विहार फेज-तीन निवासी झुन्नू लाल श्रीवास्तव द्वारा दायर जनहित याचिका पर सुनवाई कर रही थी, जिसमें ठेकेदार और डीडीए अधिकारियों के खिलाफ उनकी कथित लापरवाही के लिए कार्रवाई करने के लिए अनुरोध किया गया था। इस लापरवाही के कारण महिला और उसके तीन साल के बेटे को जान गंवानी पड़ी।
दिल्ली-एनसीआर में 31 जुलाई की शाम को हुई भारी बारिश के कारण पूर्वी दिल्ली के गाजीपुर इलाके में जलभराव वाली सड़क पर निर्माणाधीन नाले में तनुजा (22) और उसका बेटा प्रियांश डूब गए थे जिससे उनकी मौत हो गई।
भाषा खारी वैभव
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