भाजपा नीत केंद्र को ‘लेटरल एंट्री’ विज्ञापन वापस लेना पड़ा, उसके पास अब विकल्प नहीं है: आंबेडकर |

Ankit
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नागपुर, 20 अगस्त (भाषा) वंचित बहुजन आघाडी (वीबीए) के प्रमुख प्रकाश आंबेडकर ने मंगलवार को कहा कि भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) जब पहले केंद्र में पूर्ण बहुमत के साथ सत्ता में थी तो मनमाने तरीके से काम करती थी, लेकिन अब उसके पास कोई विकल्प नहीं बचा है तथा चुनौती मिलने के बाद उसे नवीनतम ‘लेटरल एंट्री’ भर्ती को रद्द करना पड़ा।


संघ लोकसेवा आयोग (यूपीएससी) ने विभिन्न सरकारी विभागों में विशेषज्ञों को नियुक्त करने के लिए ‘लेटरल एंट्री’ के माध्यम से 45 संयुक्त सचिवों, निदेशकों एवं उपनिदेशकों की भर्ती के लिए शनिवार को अधिसूचना जारी की जिसके बाद विवाद पैदा हो गया।

इस फैसले की विपक्षी दलों ने आलोचना की और दावा किया कि इससे अन्य पिछड़ा वर्ग (ओबीसी), अनुसूचित जाति (एससी) एवं अनुसूचित जनजाति (एसटी) के आरक्षण अधिकार कमजोर होंगे।

उसके बाद केंद्र ने आयोग से इस विज्ञापन को रद्द करने को कहा ‘‘ताकि हाशिये पर रहने वाले समुदायों को सरकारी सेवाओं में उचित प्रतिनिधित्व मिले।’’

यूपीएससी ‘लेटरल एंट्री’ के जरिए सीधे उन पदों पर उम्मीदवारों की नियुक्ति करता है, जिन पदों पर भारतीय प्रशासनिक सेवा (आईएएस) के अधिकारियों की तैनाती होती है। इसमें निजी क्षेत्रों से अलग-अलग क्षेत्र के विशेषज्ञों को विभिन्न मंत्रालयों एवं विभागों में सीधे संयुक्त सचिव और निदेशक एवं व उपसचिव पदों पर नियुक्ति किया जाता है।

आदिवासी संगठनों के प्रतिनिधियों एवं नेताओं के साथ बैठक करने के बाद आंबेडकर ने संवाददाता सम्मेलन में आदिवासी समुदाय के अधिकारों की रक्षा के लिए वीबीए और आदिवासी संगठनों को मिलकर काम करने की आवश्यकता पर बल दिया।

नौकरशाही में ‘लेटरल एंट्री’ संबंधी विज्ञापन वापस लेने के केंद्र के कदम के बारे में पूछे जाने पर आंबेडकर ने कहा, ‘‘भाजपा जब पूर्ण बहुमत में थी तो मनमाने तरीके से काम करती थी और सीधी भर्ती के जरिए अधिकारियों की नियुक्ति करती थी।’’

उन्होंने कहा, ‘‘सरकारी नौकरियों के लिए प्रवेश द्वार यूपीएससी और एमपीएससी हैं। यहां तक ​​कि मंत्रियों, राष्ट्रपति या प्रधानमंत्री को भी सीधी भर्ती करने का अधिकार नहीं है। और जब इसे चुनौती दी गई, तो सरकार के पास पीछे हटने और (विज्ञापन) वापस लेने के अलावा कोई दूसरा रास्ता नहीं था।’’

ठाणे जिले के बदलापुर में स्कूली लड़कियों के साथ कथित यौन शोषण की घटना के बारे में पूछे जाने पर उन्होंने कहा कि समाज में हिंसा और क्रूरता बढ़ रही है।

पूर्व सांसद आंबेडकर ने कहा, ‘‘ क्रूरता में वृद्धि का कारण पिछले कई वर्षों से बढ़ रही सामाजिक और धार्मिक घृणा है। मुझे लगता है कि यह इसी का प्रकटीकरण है और समाज को इस बात पर विचार करना चाहिए कि सामाजिक और धार्मिक घृणा फैलाना सही है या गलत।’’

भाषा

राजकुमार माधव

माधव



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