(अदिति खन्ना)
लंदन, छह अगस्त (भाषा) ब्रिटेन के कुछ हिस्सों में प्रवासियों और शरण चाहने वालों को निशाना बनाते हुए पिछले सप्ताह से जारी हिंसक झड़पों के बीच लंदन स्थित भारतीय उच्चायोग ने मंगलवार को भारतीय नागरिकों को “सतर्क रहने और सावधानी बरतने” का एक परामर्श जारी किया।
उच्चायोग ने यह परामर्श विभिन्न सोशल मीडिया मंचों पर पोस्ट किया है। इसमें जरूरतमंद व्यक्तियों के वास्ते तत्काल सहायता के लिए आपात संपर्क नंबर भी दिया गया है।
यह परामर्श ऐसे समय जारी किया गया है जब एक सप्ताह पहले दक्षिण-पश्चिम ब्रिटेन के साउथपोर्ट में तीन लड़कियों की चाकू घोंपकर हत्या कर दी गयी थी तथा इस मामले के संदिग्ध को लेकर सोशल मीडिया पर गलत दावा किया गया था।
‘ब्रिटेन की यात्रा करने वाले भारतीय नागरिकों के लिए परामर्श’ शीर्षक वाले इस संदेश में कहा गया है, ‘‘भारतीय यात्रियों को ब्रिटेन के कुछ हिस्सों में हाल में फैली अशांति के बारे में पता होगा। लंदन स्थित भारतीय उच्चायोग स्थिति पर बारीकी से नजर रखे हुए है।’’
इसमें कहा गया है, ‘‘भारत के आंगुतकों को ब्रिटेन की यात्रा के दौरान सतर्क रहने और सावधानी बरतने का परामर्श दिया जाता है। हमारी सलाह है कि स्थानीय समाचारों पर नजर रखें और स्थानीय सुरक्षा एजेंसियों द्वारा जारी किये गये परामर्श का पालन करें और उन क्षेत्रों से परहेज करें विरोध प्रदर्शन हो रहे हैं।’’
नवीनतम घटना में उत्तर ब्रिटेन में बर्मिंघम और दक्षिणी ब्रिटेन में प्लायमाउथ में सोमवार रात प्रदर्शनकारियों के दो समूहों के बीच झड़पें हुईं।
उत्तरी आयरलैंड के बेलफास्ट में एक संदिग्ध नफरती अपराध में हमला किए जाने के बाद एक व्यक्ति अस्पताल में गंभीर हालत में है और उत्तरी ब्रिटेन के डार्लिंगटन में पुलिस अधिकारियों पर पथराव किया गया।
ब्रिटिश सरकार ने कहा कि उसने दंगें होने और सैकड़ों लोगों की गिरफ्तारी के चलते कैदियों की संख्या में अपेक्षित वृद्धि के मद्देनजर जेल की क्षमता संबंधी अपनी योजना तेज कर दी है।
आतंकवाद निरोधी पुलिस के पूर्व प्रमुख नील बसु ने ‘बीबीसी’ को बताया, ‘हमने हिंसा के गंभीर कृत्य देखे हैं, जिनके बारे में मुझे लगता है कि इसकी साजिश हमारे समुदाय के एक वर्ग को आतंकित करने के लिए रची गई है।’
बसु ने सोशल मीडिया कंपनियों पर गलत सूचना पर लगाम लगाने के लिए पर्याप्त सख्त कार्रवाई नहीं करने का आरोप लगाया और कहा कि ‘‘अगर विज्ञापनदाता जिम्मेदारी नहीं दिखाते हैं तो हमें उनसे अपील करनी चाहिए कि वे सोशल मीडिया कंपनियों के वित्त पोषण में कटौती करें।’’
भाषा राजकुमार अमित
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