न्यूयॉर्क, छह अगस्त (भाषा) अमेरिकी सांसदों ने मिल्वौकी गुरुद्वारे में 12 वर्ष पहले हुए हत्याकांड में मारे गए सिख समुदाय के सदस्यों को श्रद्धांजलि दी।
इस दौरान उन्होंने कट्टरता को नकारने तथा नफरत एवं नस्लवाद से लड़ने के लिए प्रतिबद्धता व्यक्त करते हुए अमेरिका में बंदूक के जरिये होने वाली हिंसा के चलन को समाप्त करने की आवश्यकता को रेखांकित किया।
संयुक्त राष्ट्र में अमेरिकी मिशन के प्रवक्ता नेट इवांस के सोमवार को यहां जारी एक बयान के अनुसार, संयुक्त राष्ट्र में अमेरिकी राजदूत लिंडा थॉमस-ग्रीनफील्ड ने ‘‘अमेरिकी धरती पर सिखों के सबसे घातक नरसंहार’’ की 12वीं बरसी पर विस्कांसिन शहर में ओक क्रीक सिख गुरुद्वारे का दौरा किया। यहां 12 वर्ष पहले एक श्वेत वर्चस्ववादी ने सिख समुदाय के सात लोगों की हत्या की थी।
बयान में कहा गया, ‘‘राजदूत ने पीड़ितों के परिवारों, समुदाय के सदस्यों और गुरुद्वारे के सेवादारों के साथ मिलकर उन लोगों को श्रद्धांजलि दी और हाशिए पर पड़े समुदायों के विरुद्ध नफरत के खिलाफ लड़ने के लिए चल रहे प्रयासों पर वार्ता की।’’
थॉमस-ग्रीनफील्ड ने धार्मिक स्वतंत्रता को बढ़ावा देने के लिए बाइडन-हैरिस प्रशासन और संयुक्त राष्ट्र के प्रयासों को दोहराया।
पांच अगस्त 2012 को ओक क्रीक स्थित गुरुद्वारे में रविवार की सभा की तैयारियों के लिए जब श्रद्धालु एकत्र हो रहे थे, उसी वेड माइकल पेज (40) ने गुरुद्वारे में घुसकर गोलीबारी शुरू कर दी थी।
इस हमले में सुवेग सिंह खटरा (84), सतवंत सिंह कालेका (65), रणजीत सिंह (49), सीता सिंह (41), परमजीत कौर (41), प्रकाश सिंह (39) और बाबा पंजाब सिंह (72) की मृत्यु हुई थी।
इलिनोइस के कांग्रेस सदस्य राजा कृष्णमूर्ति ने कहा कि नफरत और कट्टरता से प्रेरित श्वेत वर्चस्ववादी द्वारा विस्कांसिन के ओक क्रीक गुरुद्वारे में की गई गोलीबारी में सिख अमेरिकी मारे गए तथा अन्य घायल हो गये थे।
भाषा यासिर माधव
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