(अदिति खन्ना)
लंदन, चार अगस्त (भाषा) ब्रिटेन में प्रवासी विरोधी दक्षिणपंथी समूहों से जुड़ी हिंसक झड़प और हिंसा सप्ताहांत में जारी रही। वहीं पुलिस ने इस संबंध में कम से कम 100 लोगों को गिरफ्तार किया है।
इस बीच ब्रिटेन के प्रधानमंत्री केअर स्टॉर्मर ने “चरमपंथी तत्वों” के खिलाफ कड़ी कार्रवाई के लिए अधिकारियों को अपना पूरा समर्थन देने की पेशकश की।
शनिवार को लिवरपूल, हल, ब्रिस्टल, लीड्स, ब्लैकपूल, स्टोक-ऑन-ट्रेंट, बेलफास्ट, नॉटिंघम और मैनचेस्टर में पथराव किया, पटाखे फेंके गए, उस होटल की खिड़कियां तोड़ दी गईं जहां देश में शरण चाहने वाले ठहरे हुए थे। साथ ही दुकानों पर हमला किया गया और आग लगा दी गई। वहीं भीड़ और पुलिस के बीच कई झड़पें हुईं।
ब्रिटेन की गृह मंत्री यवेट कूपर ने भीड़ को चेतावनी दी कि वे इस तरह के ‘आपराधिक अव्यवस्था और हिंसा’ की ‘कीमत चुकाएंगे।’’
शनिवार को स्टॉर्मर द्वारा बुलाई गई मंत्रियों की एक उच्चस्तरीय बैठक के बाद डाउनिंग स्ट्रीट ने कहा, ‘हमने जो अव्यवस्था देखी है, उन्हें ठीक करने के लिए प्रधानमंत्री ने कहा है कि पुलिस को हमारी ओर से पूरा समर्थन है ताकि वे हमारी सड़कों पर चरमपंथियों के खिलाफ कार्रवाई कर सकें। ये चरमपंथी पुलिस अधिकारियों पर हमले कर रहे हैं, स्थानीय व्यवसायों को बाधित कर रहे हैं और समुदायों को डराकर नफरत फैलाने की कोशिश कर रहे हैं।’
बयान में कहा गया, ‘प्रधानमंत्री ने यह कहते हुए अपना भाषण समाप्त किया कि अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता का अधिकार और हमने जो हिंसक अव्यवस्था देखी है, वे दो बहुत अलग चीजें हैं।’’
उन्होंने कहा, ‘‘किसी भी तरह की हिंसा के लिए कोई बहाना नहीं हो सकता। उन्होंने दोहराया कि सरकार हमारी सड़कों को सुरक्षित रखने के लिए सभी आवश्यक कार्रवाई करने के लिए पुलिस का पूरा समर्थन करती है।’
ब्रिटेन भर में मुस्लिम विरोधी घटनाओं पर नजर रखने वाले समूहों ने कहा है कि ब्रिटेन के मुसलमानों द्वारा अपनी सुरक्षा को लेकर चिंता व्यक्त करने की खबरों में वृद्धि हुई है और कई लोग स्थानीय मस्जिदों में जाने से भी डर रहे हैं।
ब्रिटेन की पुलिस मंत्री डायना जॉनसन ने ‘बीबीसी’ को बताया, ‘लोग खास तौर पर अपनी त्वचा के रंग की वजह से डरे हुए हैं और यह सही नहीं हो सकता है और यह ऐसी चीज है जिससे निपटने के लिए यह सरकार हर संभव कदम उठाएगी।’
बताया जा रहा है कि ब्रिटेन के न्याय मंत्रालय के अधिकारी न्यायपालिका के साथ-साथ पुलिस प्रमुखों और क्राउन प्रॉसिक्यूशन सर्विस (सीपीएस) के साथ इस बात पर चर्चा कर रहे हैं कि मजिस्ट्रेट अदालतों को अधिक समय तक खुला रखा जाए, ताकि दंगा-संबंधी अपराधों के लिए हिरासत में लिए गए लोगों की संख्या में अपेक्षित वृद्धि के मामले में तेजी से कार्यवाही की जा सके।
भाषा अमित रंजन
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