हिग्स कण ने अब तक ब्रह्मांड को खत्म कर दिया होता – जानिए क्यों बचा हुआ है हमारा वजूद

Ankit
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(लुसिएन ह्यूर्टियर, पोस्टडॉक्टरल रिसर्च एसोसिएट, किंग्स कॉलेज लंदन)

लंदन, चार अगस्त (द कन्वरसेशन) हमारा ब्रह्मांड भले ही स्थिर नजर आ रहा हो जो 13.7 अरब वर्षों से अस्तित्व में है लेकिन कई प्रयोगों से पता चलता है कि यह खतरे में है – जैसे कि एक बहुत खतरनाक खड़ी ढाल के किनारे पर चलना। और यह सब एक ही मूल कण हिग्स बोसोन की अस्थिरता के कारण है।

मेरे और मेरे सहकर्मियों द्वारा किये गए नये शोध को हाल में फिजिकल लेटर्स बी में प्रकाशन के लिए स्वीकार किया गया है। शोध में हमने प्रदर्शित किया है कि प्रारंभिक ब्रह्मांड के कुछ मॉडल, जिनमें लाइट प्रीमोर्डिकल ब्लैक होल (आदिम ब्लैक होल) नामक वस्तुएं शामिल हैं, के सही होने की संभावना नहीं है क्योंकि वे ब्रह्मांड को समाप्त करने के लिए हिग्स बोसोन को अब तक सक्रिय कर चुके होते।

हिग्स बोसोन उन सभी कणों के द्रव्यमान और अंतःक्रियाओं के लिए जिम्मेदार है जिनके बारे में हम जानते हैं। ऐसा इसलिए है कि कण द्रव्यमान प्राथमिक कणों के एक क्षेत्र के साथ परस्पर क्रिया करने का परिणाम है, जिसे हिग्स क्षेत्र कहा जाता है। क्योंकि हिग्स बोसोन मौजूद है, इसलिए हम जानते हैं कि यह क्षेत्र मौजूद है।

आप इस क्षेत्र को एक जल कुंड की तरह मान सकते हैं। पूरे ब्रह्मांड में इसके गुण समान हैं। इसका मतलब है कि हम पूरे ब्रह्मांड में समान द्रव्यमान और अंतःक्रियाओं को देखते हैं। इस एकरूपता ने हमें कई सहस्राब्दियों से एक ही भौतिकी का अवलोकन और वर्णन करने की अनुमति दी है (खगोलविद आमतौर पर समय से पीछे जाते हैं)।

लेकिन हिग्स क्षेत्र संभवतः सबसे कम ऊर्जा अवस्था में नहीं होगा। इसका मतलब है कि यह सैद्धांतिक रूप से अपनी अवस्था बदल सकता है, एक निश्चित स्थान पर कम ऊर्जा वाली अवस्था में जा सकता है। हालांकि, अगर ऐसा हुआ, तो यह भौतिकी के नियमों को नाटकीय रूप से बदल देगा।

ऐसा परिवर्तन भौतिकविदों द्वारा चरणबद्ध बदलाव कहे जाने वाले परिवर्तन को दर्शाता है। ऐसा तब होता है जब पानी वाष्प में बदल जाता है, इस प्रक्रिया में बुलबुले बनते हैं। हिग्स क्षेत्र में चरणबद्ध बदलाव इसी तरह अंतरिक्ष के कम ऊर्जा वाले बुलबुले बनाएगा जिसमें पूरी तरह से अलग भौतिकी होगी।

ऐसे बुलबुले में, इलेक्ट्रॉन का द्रव्यमान अचानक बदल जाएगा, और इसी तरह अन्य कणों के साथ इसकी अंतःक्रिया भी बदल जाएगी। प्रोटॉन और न्यूट्रॉन – जो परमाणु नाभिक बनाते हैं और क्वार्क से बने होते हैं – अचानक विस्थापित हो जाएंगे। अनिवार्य रूप से, ऐसा परिवर्तन अनुभव करने वाला कोई भी व्यक्ति संभवतः अब इसकी रिपोर्ट नहीं कर पाएगा।

मौजदू खतरा:

सर्न में लार्ज हैड्रॉन कोलाइडर (एलएचसी) से कणों के द्रव्यमान की हाल में की गई माप से पता चलता है कि ऐसी घटना संभव हो सकती है। लेकिन घबराएं नहीं; यह कुछ हजार अरब साल बाद ही हो सकता है। इस कारण, कण भौतिकी विभागों के गलियारों में, आमतौर पर यह कहा जाता है कि ब्रह्मांड अस्थिर नहीं है, बल्कि ‘‘मेटा-स्थिर’’ है, क्योंकि दुनिया का अंत जल्द नहीं होगा।

ब्रह्मांड जब बहुत गर्म था, हालांकि हिग्स बुलबुले बनाने में मदद करने के लिए ऊर्जा उपलब्ध थी, तापीय प्रभावों ने इसके क्वांटम गुणों को संशोधित करके हिग्स को स्थिर भी किया। इसलिए, यह गर्मी ब्रह्मांड की समाप्ति में तेजी नहीं ला सकी और शायद यही कारण है कि हमारा वजूद अब भी है।

आदिम ब्लैक होल :

ये प्रारंभिक ब्रह्मांड में स्पेसटाइम के अत्यधिक घने क्षेत्रों के पतन से उभरा था। सामान्य ब्लैक होल के विपरीत, जो तारों के खत्म होने पर बनते हैं, आदिम ब्लैक होल बहुत छोटे हो सकते हैं – एक ग्राम जितने हल्के।

ऐसे हल्के ब्लैक होल का अस्तित्व कई सैद्धांतिक मॉडल की भविष्यवाणी है जो बिग बैंग के तुरंत बाद ब्रह्मांड के विकास का वर्णन करते हैं। इसमें कुछ ऐसे मॉडल शामिल हैं, जो बताते हैं कि बिग बैंग के बाद ब्रह्मांड का आकार बहुत बड़ा हो गया।

स्टीफन हॉकिंग ने 1970 के दशक में प्रदर्शित किया था कि क्वांटम यांत्रिकी के कारण, ब्लैक होल अपने क्षितिज (वह बिंदु जहां से प्रकाश भी नहीं गुजर सकता) के माध्यम से विकिरण उत्सर्जित करके धीरे-धीरे वाष्पित हो जाते हैं।

किसी भी तरह से, यह स्पष्ट है कि हमें अभी भी ब्रह्मांड के बारे में सूक्ष्म और सबसे बड़े पैमाने पर बहुत कुछ ढूंढना है।

(द कन्वरसेशन) सुभाष नरेश

नरेश

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