कोहिमा, तीन अगस्त (भाषा) संघर्ष विराम समझौते के प्रावधान किसी भी नगा समूह को किसी भी प्रकार का ‘‘कर’’ लगाने या आम जनता को धमकाने की छूट नहीं देते हैं। संघर्ष विराम निगरानी बोर्ड के अध्यक्ष लेफ्टिनेंट जनरल अमरजीत सिंह बेदी ने शनिवार को यह बात कही।
केंद्र ने समय-समय पर पांच नगा समूहों के साथ संघर्ष विराम समझौते पर हस्ताक्षर किए हैं। इनमें वर्ष 1997 में एनएससीएन (आईएम), 2012 में एनएससीएन (यूनिफिकेशन), 2015 में एनएससीएन (रिफॉर्मेशन), 2019 में एनएससीएन-के (खांगो) और 2021 में एनएससीएन-के (निक्की) से किए गए समझौते शामिल हैं। कुल 24 नगा भूमिगत समूहों में से केवल इन पांच ने केंद्र के साथ संघर्ष विराम समझौते पर हस्ताक्षर किए हैं।
संघर्ष विराम निगरानी बोर्ड के अध्यक्ष बेदी ने यहां संवाददाता सम्मेलन में कहा, ‘‘शांति स्थापित करने के लिए संघर्ष विराम समझौतों पर हस्ताक्षर किए गए हैं, ताकि नगा मुद्दे को सुलझाने के लिए राजनीतिक चर्चाएं आपसी विश्वास, सम्मान और शांतिपूर्ण माहौल में आगे बढ़ सकें।’’
उन्होंने कहा कि केंद्र के साथ संघर्ष विराम समझौते पर हस्ताक्षर करने वाले सभी नगा समूहों ने संघर्ष विराम के आधारभूत नियमों का पालन करने की प्रतिबद्धता जताई है।
बेदी ने कहा कि समूहों को प्रशासनिक उद्देश्यों के लिए निर्दिष्ट शिविर, संघर्ष विराम पहचान पत्र और संघर्ष विराम कार्यालय सहित कुछ सहायक उपकरण प्रदान किए गए हैं, ताकि वे संघर्ष विराम से संबंधित कार्यों को अंजाम दे सकें और साथ ही संघर्ष विराम को सुचारू रूप से जारी रखना सुनिश्चित कर सकें।
उन्होंने कहा, ‘‘हालांकि, इन सुविधाओं का उद्देश्य किसी भी तरह से आम जनता को असुविधा पहुंचाना नहीं है और न ही किसी भी समूह को संघर्ष विराम के नियमों का उल्लंघन करने या गैरकानूनी गतिविधियों में लिप्त होने से छूट देना है।’’
भाषा आशीष पवनेश
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