बेंगलुरु, तीन अगस्त (भाषा) भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) के अध्यक्ष एस. सोमनाथ ने शनिवार को कहा कि अंतरिक्ष तकनीक का इस्तेमाल करके भूस्खलन के मलबे के नीचे दबे लोगों का पता लगाना संभव नहीं है।
केरल में भूस्खलन के बाद मलबे में दबे लोगों को निकालने के लिए चलाये जा रहे अभियान के बीच उनका यह बयान आया है।
सोमनाथ ने कहा कि अंतरिक्ष तकनीक के जरिये जमीन की एक निश्चित गहराई की जानकारी हासिल की जा सकती है लेकिन लोगों को खोजने के लिए इस पर भरोसा नहीं किया जा सकता।
उन्होंने इंस्टाग्राम पर इसरो द्वारा आयोजित एक कार्यक्रम में इस संबंध में एक सवाल का जवाब दे रहे थे।
सोमनाथ ने कहा, ‘‘मलबे के नीचे दबी वस्तुओं का पता लगाने के लिए अंतरिक्ष-आधारित सेंसर की सीमाएं हैं, जो वर्तमान में एक मुद्दा है। अंतरिक्ष तकनीक से जमीन के नीचे क्या है, इसका पता लगाना संभव नहीं है।’’
भारत-अमेरिका मिशन के तहत अंतरराष्ट्रीय अंतरिक्ष स्टेशन (आईएसएस) के लिए चयनित हुए दो ‘गगनयात्री’ से संबंधित सवाल का भी सोमनाथ ने जवाब दिया।
सोमनाथ ने कहा, ‘‘अंतरराष्ट्रीय अंतरिक्ष स्टेशन पर जाने की प्रक्रिया ही आपको बहुत कुछ सीखने का मौका देती है। हमारे एक अंतरिक्ष यात्री को तैयारी की पूरी प्रक्रिया का प्रशिक्षण दिया जाएगा। इससे हमें पता चलेगा कि गगनयान मिशन के लिए गगनयात्रियों को कैसे तैयार किया जाए।’’
उन्होंने कहा कि जब गगनयात्री वास्तव में उड़ान के अनुभव से गुजरेंगे, तथा वहां पहले से ही मौजूद अंतरराष्ट्रीय चालक दल के साथ काम करेंगे, तो इससे उन्हें वास्तव में वह ज्ञान और कौशल प्राप्त होगा, जो इसरो को भारत के मिशन के लिए तैयार कर देगा।
सोमनाथ ने इसरो की शुरुआती असफलताओं के बारे में भी बात की, जिसने अंततः इसकी सफलताओं का मार्ग प्रशस्त किया।
उन्होंने यह भी कहा कि वह 23 अगस्त को मनाए जाने वाले पहले राष्ट्रीय अंतरिक्ष दिवस को लेकर उत्साहित हैं।
भाषा
देवेंद्र रंजन
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