शिमला, 31 जुलाई (भाषा) प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने आयुष्मान भारत योजना में कथित धोखाधड़ी से जुड़े धन शोधन मामले की जांच के तहत हिमाचल प्रदेश में कांग्रेस विधायक आर एस बाली और कुछ निजी अस्पतालों व उनके प्रवर्तकों के परिसरों पर बुधवार को छापेमारी की।
अधिकारियों ने बताया कि ईडी की टीम हिमाचल प्रदेश में शिमला, कांगड़ा, ऊना, मंडी और कुल्लू सहित 19 जगहों के अलावा दिल्ली व चंडीगढ़ और पंजाब में स्थित परिसरों में सुबह से छापेमारी की जा रही है।
उन्होंने बताया कि नगरोटा सीट से विधायक बाली और कांगड़ा में फोर्टिस अस्पताल (जिसकी प्रवर्तक बाली की कंपनी हिमाचल हेल्थकेयर प्राइवेट लिमिटेड है) के अलावा कांगड़ा में बालाजी अस्पताल और उसके प्रवर्तक राजेश शर्मा के परिसरों पर भी छापेमारी की जा रही है।
अधिकारियों के मुताबिक, शर्मा को हिमाचल प्रदेश के मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू का ‘करीबी’ माना जाता है। उन्होंने हाल में देहरा सीट पर हुए विधानसभा उपचुनाव में सुक्खू की पत्नी कमलेश ठाकुर के लिए अपना टिकट छोड़ दिया। कमलेश ने उपचुनाव में जीत दर्ज की थी।
बाली हिमाचल प्रदेश पर्यटन विकास निगम के अध्यक्ष और हिमाचल प्रदेश पर्यटन विकास बोर्ड के उपाध्यक्ष भी हैं।
धन शोधन का यह मामला जनवरी 2023 में राज्य सतर्कता और भ्रष्टाचार रोधी ब्यूरो द्वारा किरण सोनी, ऊना स्थित श्री बांके बिहारी अस्पताल और अन्य के खिलाफ फर्जी एबी-पीएमजेएवाई (आरोग्य भारत-प्रधानमंत्री जन आरोग्य योजना) कार्ड बनाने के आरोप में दर्ज की गई प्राथमिकी पर आधारित है।
ईडी ने आरोप लगाया है कि ऐसे ‘‘फर्जी’’ कार्ड पर कई मेडिकल बिल बनाए गए, जिससे सरकारी खजाने और जनता को नुकसान हुआ तथा इस मामले में ‘‘अपराध की कुल आय’’ लगभग 25 करोड़ रुपये होने का अनुमान है।
एजेंसी ने पाया कि अब तक राज्य में आयुष्मान भारत योजना में नियमों के कथित उल्लंघन के लिए कुल 8,937 आयुष्मान भारत स्वर्ण कार्ड रद्द कर दिए गए हैं।
ईडी ने आरोप लगाया कि बांके बिहारी अस्पताल, फोर्टिस अस्पताल, श्री बालाजी अस्पताल, सूद नर्सिंग होम और श्री हरिहर अस्पताल सहित अन्य ने एबी-पीएमजेएवाई योजना के तहत ‘‘अवैध लाभ’’ उठाया।
ईडी का दावा है कि ऐसे ‘‘फर्जी’’ लाभार्थियों की सूची में रजनीश कुमार और पूजा धीमान शामिल हैं, जिन्होंने अपने पास जारी पीएमजेएवाई कार्ड होने या उसके बारे में कोई जानकारी होने से इनकार किया है।
ईडी ने कहा कि आरोपी अस्पतालों ने उपचार, सर्जरी, भर्ती के लिए दावे किए जो वास्तव में मरीजों को कभी दिए या किए ही नहीं गए।
भाषा आशीष रंजन
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