लखनऊ, 30 जुलाई (भाषा) उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने मंगलवार को कहा कि समाजवादी पार्टी (सपा) की सरकार में परिषदीय विद्यालयों के रसाइयों को पांच सौ रुपये से भी कम मानदेय मिलता था।
विधानसभा में मंगलवार को प्रश्नकाल के दौरान सपा सदस्य राजेंद्र प्रसाद चौधरी ने (महिला) आंगनबाड़ी कार्यकर्ताओं, सहायिकाओं और रसोइयों को न्यूनतम मजदूरी के आधार पर भी मानदेय नहीं दिये जाने के बारे में सरकार से सवाल किया।
इसके जवाब में बेसिक शिक्षा राज्य मंत्री (स्वतंत्र प्रभार) संदीप सिंह ने कहा कि वर्तमान में किसी विद्यालय में बच्चों को भोजन देने में कहीं कोई असुविधा नहीं है और न्यूनतम मजदूरी की दर से भुगतान नहीं होता, इसलिए यह संभव नहीं है।
पूरक प्रश्न करते हुए नेता प्रतिपक्ष माता प्रसाद पांडेय ने कहा कि क्या मानवीय दृष्टिकोण के आधार पर सरकार मानदेय बढ़ाने पर विचार करेगी।
मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने सपा पर प्रहार करते हुए कहा कि 2012 से 2017 तक राज्य में सपा की सरकार थी और तब रसोइयों को जो मानदेय मिलता था वह 500 रुपये से भी कम था।
उन्होंने कहा, ”आप लोगों ने दूसरा अन्याय उनके साथ यह किया कि जिनके बच्चे नहीं पढ़ेंगे उनको सेवा से हटा दिया जाएगा। साथ ही, उनके चयन में भी भेदभाव होता था।”
योगी ने कहा, ”हमारी सरकार ने 2022 में उनके मानदेय को न्यूनतम दो हजार रुपये किया। इन सभी ने कोरोना कालखंड में अपनी सेवाओं के माध्यम से शासन की योजनाओं को प्रत्येक परिवार तक पहुंचाने में अभिनंदनीय काम किया है।”
मुख्यमंत्री ने कहा कि यही वजह है कि आंगनबाड़ी कार्यकर्ता हों या आंगनबाड़ी सहयोगी हों, सरकार ने इन सब के मानदेय में वृद्धि भी की है और साथ ही, अतिरिक्त आय का प्रावधान भी किया है।
सपा सदस्य राजेन्द्र चौधरी ने पूरक प्रश्न के तहत कहा था कि राज्य के परिषदीय विद्यालयों में एक करोड़ 67 लाख से अधिक बच्चे पंजीकृत हैं और मानक के हिसाब से 25 बच्चों पर एक रसोइये होना चाहिए तथा इस हिसाब से राज्य में छह लाख 68 हजार रसोइये होना चाहिए लेकिन इसके सापेक्ष आधी नियुक्ति है।
इसके पहले लिखित उत्तर में मंत्री संदीप सिंह ने बताया था कि परिषदीय विद्यालयों में एक करोड 56 लाख बच्चे पंजीकृत हैं और कुल 163015 आंगनबाडी कार्यकर्ता, 138422 आंगनबाड़ी सहायिका तथा 372292 रसोइये तैनात हैं। बाद में सिंह ने कहा कि रसोइया की तैनाती नहीं होगी क्योंकि किसी विद्यालय में बच्चों को भोजन देने में कोई असुविधा सामने नहीं आयी है।
भाषा आनन्द
राजकुमार
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