हिमाचल सरकार ने पर्यटन, ग्रामीण विकास, हरित ऊर्जा पर केंद्रित 58,514 करोड़ रुपये का बजट पेश किया

Ankit
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शिमला, 17 मार्च (भाषा) हिमाचल प्रदेश के मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू ने सोमवार को राज्य विधानसभा में वित्त वर्ष 2025-26 के लिए 58,514 करोड़ रुपये का बजट पेश किया।

सुक्खू ने अपने तीसरे वार्षिक बजट में पर्यटन, ग्रामीण विकास और हरित ऊर्जा पर खासतौर से ध्यान केंद्रित किया है।

उन्होंने कहा कि राज्य सरकार कम चर्चित पर्यटन स्थलों को लोकप्रिय बनाने के अलावा धार्मिक और पर्यावरण के अनुकूल पर्यटन को बढ़ावा देगी।

वित्त वर्ष 2025-26 के लिए बजट पेश करते हुए सुक्खू ने कहा कि यह साल वित्तीय चुनौतियों से भरा है, क्योंकि राजस्व घाटा अनुदान कम कर दिया गया है और माल एवं सेवा कर (जीएसटी) मुआवजा रोक दिया गया है।

उन्होंने कहा कि राजस्व घाटा अनुदान (आरडीजी) को 2021-22 में 10,949 करोड़ रुपये से घटाकर 2025-26 में 3,257 रुपये कर दिया गया है। इसी तरह केंद्र के राज्य को माल एवं सेवा कर (जीएसटी) मुआवजा देने के बावजूद हिमाचल प्रदेश को 2023-24 तक 9,478 करोड़ रुपये का घाटा हुआ है।

उन्होंने कहा कि धार्मिक पर्यटन को बढ़ावा देने और कम चर्चित पर्यटन स्थलों को लोकप्रिय बनाने पर ध्यान दिया जा रहा है। इसके अलावा चाय बागानों को पर्यावरण के अनुकूल गंतव्यों के रूप में विकसित किया जाएगा।

उन्होंने बताया कि राज्य की ऋण देनदारी बढ़कर 1,04,729 करोड़ रुपये हो गई है, जिसमें 29,046 लाख रुपये वर्तमान सरकार ने लिए हैं।

उन्होंने कहा कि पिछले दो वर्षों में लिए गए कर्ज का 70 प्रतिशत पिछली सरकार के कर्ज और उसके ब्याज को चुकाने पर खर्च किया गया। ऐसे में विकास गतिविधियों पर केवल 8,093 रुपये खर्च किए गए।

उन्होंने गाय के दूध के न्यूनतम समर्थन मूल्य में छह रुपये की बढ़ोतरी कर इसे 45 रुपये से 51 रुपये प्रति लीटर और भैंस के दूध के न्यूनतम समर्थन मूल्य को 55 रुपये से बढ़ाकर 61 रुपये प्रति लीटर करने की घोषणा की।

सुक्खू ने कहा कि 2025-26 में एक लाख किसानों को प्राकृतिक खेती के तहत लाने का लक्ष्य रखा गया है। अबतक लगभग 1.58 लाख किसान प्राकृतिक खेती को अपना चुके हैं।

उन्होंने कहा कि प्राकृतिक रूप से कच्ची हल्दी उगाने वाले किसानों को 90 रुपये प्रति किलोग्राम का न्यूनतम समर्थन मूल्य मिलेगा।

मुख्यमंत्री ने कहा कि राज्य सरकार हमीरपुर में मसाला पार्क स्थापित करने की योजना बना रही है।

उन्होंने कहा कि महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी कानून के तहत श्रमिकों की दैनिक मजदूरी 20 रुपये बढ़ाकर 300 रुपये से 320 रुपये प्रतिदिन की गई है।

हिमाचल प्रदेश में नशे की लत से निपटने के लिए मुख्यमंत्री ने विशेष कार्यबल (एसटीएफ) के गठन की घोषणा भी की।

उन्होंने कहा कि 2025-26 में करीब 500 इलेक्ट्रिक बसें खरीदी जाएंगी और अगले वित्त वर्ष में शिमला रोपवे परियोजना शुरू की जाएगी।

मुख्यमंत्री ने मई में पहले चरण में 70-75 वर्ष की आयु वर्ग के पेंशनभोगियों का बकाया देने की भी घोषणा की। उन्होंने कहा कि पिछली भाजपा सरकार ने सरकारी कर्मचारियों का लगभग 10,000 करोड़ रुपये का बकाया छोड़ दिया था।

उन्होंने कहा कि हिमाचल प्रदेश का वन क्षेत्र उत्तर भारत का ‘फेफड़ा’ है। उन्होंने एक अनुमान का हवाला देते हुए कहा कि मिट्टी, पानी, स्वच्छ हवा और अनुकूल जलवायु के रूप में पारिस्थितिक सेवाओं का सालाना मूल्य 90,000 करोड़ रुपये हैं और राज्य सरकार 16वें वित्त आयोग के समक्ष अपने अमूल्य योगदान की बात उठा रही है।

भाषा पाण्डेय अजय

अजय



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