(फाइल फोटो के साथ)
मुंबई, चार अप्रैल (भाषा) ‘उपकार’, ‘पूरब और पश्चिम’, ‘रोटी, कपड़ा और मकान’ जैसी फिल्मों में उदीयमान ‘भारत’ के आक्रोश और आकांक्षाओं को मूर्त रूप देने वाले अभिनेता-फिल्मकार मनोज कुमार का शुक्रवार सुबह मुंबई के एक अस्पताल में निधन हो गया। वह 87 वर्ष के थे।
देशभक्ति पर आधारित कई फिल्मों में अपनी भूमिकाओं के लिए ‘भारत कुमार’ के रूप में लोकप्रिय अभिनेता कुछ समय से बीमार थे। कुमार का उम्र संबंधी समस्याओं के कारण कोकिलाबेन अंबानी अस्पताल में तड़के करीब साढ़े तीन बजे निधन हो गया।
फिल्म निर्माता के बेटे कुणाल ने ”पीटीआई-भाषा” से कहा, ‘अब उन्हें दर्द से मुक्ति मिल गई है।’ कुणाल ने बताया कि उनके पिता कई स्वास्थ्य समस्याओं से जूझ रहे थे और पिछले कुछ वर्षों से शय्याग्रस्त थे।
पिछले कई सालों से शांत जीवन जी रहे कुमार को कई बार अस्पताल में भर्ती कराया गया। उनके बेटे ने बताया कि हाल ही में उन्हें निमोनिया के कारण अस्पताल में भर्ती कराया गया था।
1960 और 1970 के दशक में बॉक्स ऑफिस पर राज करने वाले अभिनेता का अंतिम संस्कार शनिवार को मुंबई के पवन हंस श्मशान घाट में होगा। उनके परिवार में दो बेटे और पत्नी शशि हैं।
देशभक्तिपूर्ण फिल्मों की दमदार भूमिकाओं के अलावा ‘हिमालय की गोद में’ और ‘पत्थर के सनम’ समेत कई फिल्मों में रोमांटिक अभिनेता के रूप में भी अपनी छाप छोड़ने वाले कुमार को हर वर्ग ने श्रद्धांजलि दी।
राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने ‘एक्स’ पर लिखा, “उन्होंने जिन राष्ट्रीय नायकों, किसानों और सैनिकों के चरित्रों को जीवंत किया, वे हमारी सामूहिक स्मृति में अंकित रहेंगे। उनकी फिल्में राष्ट्रीय गौरव की भावना जगाती रहेंगी और आने वाली पीढ़ियों को प्रेरित करेंगी।”
प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने कहा कि वह महान अभिनेता और फिल्म निर्माता के निधन से बहुत दुखी हैं।
प्रधानमंत्री ने सोशल मीडिया मंच ‘एक्स’ पर लिखा, ‘‘दिग्गज अभिनेता एवं फिल्म निर्माता मनोज कुमार जी के निधन से बहुत दुखी हूं। वह भारतीय सिनेमा के आदर्श थे जिन्हें देशभक्ति की उनकी भावना के लिए विशेष रूप से याद किया जाता था और यह उनकी फिल्मों में भी झलकता था।’’
मोदी ने कहा कि कुमार की फिल्मों ने राष्ट्रीय गौरव की भावना को जगाया और ये पीढ़ियों को प्रेरित करती रहेंगी।
उन्होंने ‘एक्स’ पर लिखा, “महान अभिनेता और फिल्मकार श्री मनोज कुमार जी के निधन से बहुत दुःख हुआ। वह भारतीय सिनेमा के प्रतीक थे। उन्हें खास तौर पर देशभक्ति के जोश के लिए याद किया जाएगा, जो उनकी फिल्मों में झलकता है। मनोज जी की फिल्मों ने राष्ट्रीय गौरव की भावना को जगाया और वह पीढ़ियों को प्रेरित करते रहेंगे। दुख की इस घड़ी में मेरी संवेदनाएं उनके परिवार और प्रशंसकों के साथ हैं। ओम शांति।”
लोकसभा में नेता प्रतिपक्ष राहुल गांधी ने कहा कि कुमार की फिल्में मनोरंजन का माध्यम होने के साथ-साथ देशभक्ति और सामाजिक संदेश भी देती थीं, जिसके कारण उन्होंने सिनेमा जगत पर अमिट छाप छोड़ी है।
अविभाजित भारत के एबटाबाद शहर (अब पाकिस्तान) में एक पंजाबी हिंदू परिवार में जन्मे कुमार का जन्म का नाम हरिकृष्ण गोस्वामी था। उनका परिवार 1947 में दिल्ली आ गया और कुमार ने हिंदू कॉलेज से स्नातक की पढ़ाई की। इसके बाद वह फिल्मों में करियर बनाने के लिए मुंबई आ गए।
राज्यसभा टीवी (अब संसद टीवी) पर ‘गुफ्तगू’ कार्यक्रम के लिए दिए गए एक पुराने साक्षात्कार में कुमार ने बताया था कि वह 1956 में करियर बनाने के लिए मुंबई चले गए थे और अपनी चाची से कहा था कि एक दिन उनके पास ‘सफेद बंगला, सफेद कार व सफेद कपड़े’ होंगे और सब कुछ हासिल करने के बाद वह चुपचाप सितार बजाएंगे।
हरिकृष्ण ने अपने आदर्श दिलीप कुमार द्वारा फिल्म में निभाये गये एक किरदार से प्रेरित होकर अपना नाम मनोज कुमार रख लिया।
कुमार ने 2021 में ‘पीटीआई-भाषा’ को दिए एक साक्षात्कार में कहा था, ”मुझे वह समय याद है जब मैं 1949 में रिलीज हुई ‘शबनम’ में दिलीप कुमार साहब को देखने गया था। उनकी वजह से ही मैं सिनेमा का प्रशंसक बना। मुझे फिल्म में उनके निभाये किरदार से प्यार हो गया जिसका नाम मनोज था… मैंने तुरंत फैसला किया कि अगर मैं कभी अभिनेता बनूंगा तो अपना नाम मनोज कुमार ही रखूंगा।’
उन्होंने साक्षात्कार में कहा था कि वह बहुत खुश हुए थे जब दिलीप कुमार ने 1981 की ऐतिहासिक फिल्म ‘क्रांति’ में काम करने के लिए सहमति जताई थी। यह एक बड़ी हिट फिल्म थी और उनके करियर की आखिरी बड़ी सफलता भी थी।
मनोज कुमार को पहली बड़ी सफलता 1962 में रिलीज हुई फिल्म ‘हरियाली और रास्ता’ से मिली जिसमें माला सिन्हा अभिनेत्री थीं। इसके बाद ‘वो कौन थी?’ को भी भारी सफलता मिली और उसका गीत ‘लग जा गले’ बहुत लोकप्रिय हुआ।
उनकी 1965 में भगत सिंह के जीवन पर आधारित फिल्म ‘शहीद’ रिलीज हुई जो काफी सफल रही और इसने तत्कालीन प्रधानमंत्री लाल बहादुर शास्त्री का भी ध्यान खींचा था।
शास्त्री के साथ बातचीत के दौरान कुमार के मन में उनके लोकप्रिय नारे ‘जय जवान, जय किसान’ से प्रेरणा लेकर फिल्म बनाने का विचार आया जिसके बाद उन्होंने ‘उपकार’ फिल्म बनाई। यह उनके निर्देशन में बनी पहली फिल्म थी। यह फिल्म बेहद सफल रही और इसका गीत ‘मेरे देश की धरती’ अत्यंत लोकप्रिय हुआ।
देशभक्ति से भरपूर फिल्मों के अलावा कुमार ने ‘हिमालय की गोद में‘, ‘दो बदन’, ‘सावन की घटा’ और ‘गुमनाम’ जैसी फिल्मों में रोमांटिक किरदार भी निभाए।
उन्होंने पूर्व और पश्चिम के बीच सांस्कृतिक अंतर के विषय पर 1970 में ‘पूरब और पश्चिम’ फिल्म बनाई। इस फिल्म ने भी बड़ी सफलता हासिल की।
देशभक्ति और सामाजिक विषयों पर आधारित फिल्मों के प्रति उनके झुकाव के कारण वह ‘भारत कुमार’ के नाम से लोकप्रिय हुए। उनकी सफल फिल्में ‘रोटी कपड़ा और मकान’ तथा ‘क्रांति’ भी इन्हीं विषयों पर आधारित थीं।
कुमार को 2015 में दादा साहब फाल्के पुरस्कार से सम्मानित किया गया था। उन्हें पद्म श्री से भी नवाजा गया। कुमार के निधन पर फिल्म जगत से जुड़ीं हस्तियों ने शोक व्यक्त किया और देशभक्ति व सामाजिक जागरुकता पर आधारित उनकी फिल्मों के लिए उन्हें याद किया।
कुमार के अंतिम दर्शन के लिए उनके आवास पर पहुंचे धर्मेंद्र ने कहा, ‘वह मेरा जिगरी यार था… हमारी साथ में कई यादें हैं। हमने फिल्म उद्योग में अपने शुरुआती दिन साथ बिताए।’
हेमा मालिनी ने कहा, ”वह एक शानदार फिल्म निर्माता और मित्र थे।” हेमा मालिनी ने कुमार के साथ ‘क्रांति’, ‘दस नंबरी’ और ‘संतोष’ जैसी फिल्मों में काम किया है।
मालिनी ने ‘पीटीआई-भाषा’ से कहा, ‘वह अन्य निर्देशकों से अलग थे। मुझे उनके निधन पर गहरा दुख है। वह ऐसी फिल्में बनाते थे जिनमें देशभक्ति, रोमांस से लेकर पारिवारिक ड्रामा तक सब कुछ होता था। उन्होंने बहुत अच्छे गीत भी दिए।’
एक बयान में आमिर खान ने कुमार के निधन पर शोक व्यक्त करते हुए कहा कि मनोज कुमार की फिल्मों से उन्हें काफी कुछ सीखने को मिला।
खान ने कहा, ‘मनोज कुमार सिर्फ एक अभिनेता या फिल्म निर्माता ही नहीं थे, बल्कि वह एक संस्था थे। मैंने उनकी फिल्में देखकर बहुत कुछ सीखा है।मैंने उनकी फिल्में देखकर काफी कुछ सीखा। उनकी फिल्में अक्सर महत्वपूर्ण सामाजिक विषयों पर आधारित होती थीं, जो उन्हें आम आदमी के बहुत करीब लाती थीं। उनके परिवार के प्रति मेरी गहरी संवेदनाएं हैं।’
सलमान ने सोशल मीडिया मंच ‘एक्स’ पर पोस्ट कर कहा, ‘मनोज कुमार जी… एक सच्चे दिग्गज। अविस्मरणीय फिल्मों और यादों के लिए धन्यवाद।’
कई देशभक्तिपूर्ण फिल्मों में अभिनय करने वाले अभिनेता अक्षय कुमार ने मनोज कुमार को फिल्म जगत की सबसे बड़ी पूंजी करार दिया।
अभिनेता अक्षय कुमार ने दिग्गज अभिनेता मनोज कुमार के निधन पर शोक व्यक्त करते हुए सोशल मीडिया मंच ‘एक्स’ पर लिखा, ‘मैं उनसे यह सीखते हुए बड़ा हुआ हूं कि देश के लिए प्यार और गर्व से बढ़कर कोई और भावना नहीं होती और अगर हम अभिनेता इस भावना को दिखाने के लिए आगे नहीं आएंगे, तो कौन आएगा? वह बहुत अच्छे इंसान थे और हमारे फिल्म जगत की सबसे बड़ी पूंजी थे। श्रद्धांजलि मनोज सर। ओम शांति।’
फिल्म अभिनेता अजय देवगन ने कहा कि मनोज कुमार की परिवार के जीवन विशेषकर फिल्मी सफर, में महत्वपूर्ण भूमिका रही है।
उन्होंने बताया कि मनोज कुमार ने उनके दिवंगत पिता वीरू देवगन को ‘रोटी कपड़ा और मकान’ फिल्म में ‘एक्शन निर्देशक’ के तौर पर पहला मौका दिया था। वहां से, उनका सहयोग फिल्म ‘क्रांति’ तक जारी रहा। यह फिल्म अब भारतीय सिनेमा के स्वर्णिम इतिहास का हिस्सा है।’
अजय देवगन ने कहा, ‘मनोज जी की फिल्में ‘उपकार’, ‘पूरब और पश्चिम’, ‘शोर’, ‘क्रांति’ सिर्फ फिल्में नहीं थीं, ये राष्ट्रीय भावनाएं थीं। उनकी रचनात्मक प्रतिभा, अटूट देशभक्ति और कहानी को गहराई से कहने की क्षमता ने एक ऐसा मानक स्थापित किया है, जिसकी बराबरी बहुत कम लोग कर पाए हैं।’
सनी देओल ने कहा कि मनोज कुमार ने ऐसे किरदार निभाए जो ‘वीरतापूर्ण और मानवीय दोनों थे।’
उन्होंने कहा, ‘ उनकी फिल्मों में देश और देशवासियों के प्रति प्रेम झलकता था। सिनेमा जगत के लिए यह एक अपूरणीय क्षति है। एक युग का अंत।’
भाषा जोहेब पवनेश
पवनेश