हां! कागज के ‘स्ट्रॉ’ कारगर नहीं, लेकिन प्लास्टिक के ऐसे सामान की बहाली से बचना चाहिए

Ankit
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(भावना मिड्डा, काजसा लुंडबर्ग और राल्फ हॉर्न, आरएमआईटी विश्वविद्यालय)


मेलबर्न, एक मार्च (द कन्वरसेशन) अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने संघीय एजेंसियों को प्लास्टिक ‘स्ट्रॉ’ को फिर से इस्तेमाल में लाने का आदेश देते हुए दावा किया कि कागज की ‘स्ट्रॉ’ कारगर नहीं है व यह इस्तेमाल करते समय ‘‘मुंह के अंदर ही घुल जाते हैं’’। प्लास्टिक प्रदूषण को कम करने के प्रयासों को झटका देने के ट्रंप के इस कदम की व्यापक स्तर पर आलोचना हुई।

हालांकि एकल-उपयोग प्लास्टिक को चरणबद्ध तरीके से खत्म करने में मदद को लेकर समाधान के तौर पर जो विकल्प तैयार किए गए हैं वास्तव में उनमें से कई कारगर नहीं हैं।

प्लास्टिक पर लगे प्रतिबंधों को चुनौती देना या उन्हें पलटना कोई असामान्य बात नहीं है। हालांकि, इसके विकल्प पर सरकार का प्रतिबंध बिलकुल नया है।

यह सच है कि कागज के ‘स्ट्रॉ’ पेय पदार्थ को खत्म करने से पहले ही विघटित और गीले हो सकते हैं। एकल-उपयोग प्लास्टिक के लिए व्यवहार्य विकल्प तलाशना, इसे चरणबद्ध तरीके से खत्म करने की चुनौतियों में से एक है।

कभी कभार किसी एकल-उपयोग वाली वस्तु के विकल्प का इस्तेमाल, परेशानी को और बढ़ा देता है। ऐसे में एकल-उपयोग वस्तु और उसके निपटान को लेकर हमारे समाज की मानसिकता को बदलना एक बेहतर तरीका होगा।

प्लास्टिक की समस्या

प्लास्टिक प्रदूषण पर्यावरण और मानव स्वास्थ्य के लिए एक गंभीर समस्या है। अंटार्कटिका से लेकर हमारे दिमाग तक, माइक्रोप्लास्टिक हर जगह हैं।

प्लास्टिक जीवाश्म ईंधन से बनता है और यही वजह है कि इसकी वजह से जलवायु परिवर्तन देखने को मिल रहा है। इसके अलावा यह भी अनुमान है कि प्लास्टिक उत्पादन 2050 तक तीन गुना हो जाएगा।

हालांकि, पुन:चक्रण काफी मुश्किल है। पूरी दुनिया में महज 10 फीसदी से भी कम प्लास्टिक का ही पुन:चक्रण किया जा सका है।

इसलिए हमें प्लास्टिक के उपयोग को पहले ही कम करना चाहिए, बजाय इसके कि बाद में इसे खत्म करने की कोशिश करें।

विकल्प ज्यादा कारगर नहीं

ट्रंप ने कागज के ‘स्ट्रॉ’ को यह कहते हुए खारिज कर दिया कि वे प्लास्टिक के स्ट्रॉ की तरह ‘‘कारगर नहीं हैं’’। भीग चुके ‘स्ट्रॉ’ के उपयोग का अनुभव बेहद खराब तो होता ही है साथ ही अन्य समस्याएं भी हैं।

कभी-कभार एक खतरनाक सामग्री का विकल्प और ज्यादा परेशानी खड़ी कर देता है क्योंकि किसी एक वस्तु को दूसरी वस्तु से बदलने की अपनी समस्याएं होती हैं।

उदाहरण के लिए, प्लास्टिक बनाने के लिए इस्तेमाल किए जाने वाले एक हानिकारक रसायन को अक्सर ऐसे विकल्प से बदल दिया जाता है जो उतने ही खराब या उससे भी खराब होते हैं।

जैसे कि कागज के स्ट्रॉ, कागज के कप में अक्सर पॉलीइथाइलीन या ऐक्रेलिक जैसी प्लास्टिक की परत होती है इससे इनका पुन:चक्रण मुश्किल हो जाता है और प्रदूषण का खतरा भी बढ़ जाता है।

हालांकि, ‘कॉर्न स्टार्च’ और बांस जैसी अन्य पौधे आधारित सामग्री तेजी से एकल-उपयोग वाले प्लास्टिक की जगह ले रही है, खास तौर पर पैकेटबंद खाद्य पदार्थों के लिए। लेकिन, इन विकल्पों के लिए उपभोक्ताओं को अपनी जेब ढीली करनी पड़ती है और कई उत्पाद तो प्लास्टिक की तुलना में ज्यादा महंगे होते हैं।

प्लास्टिक प्रतिबंध समस्या खड़े करने वाले हो सकते हैं

दुनियाभर की सरकारों ने एकल-उपयोग वाले प्लास्टिक पर प्रतिबंध लगाने का प्रयास किया। अमूमन ये प्रतिबंध यह सोचे बिना लगा दिए जाते हैं कि उत्पादों का दैनिक जीवन में किस तरह इस्तेमाल किया जाता है और उन सेवाओं को कैसे बदला जाएगा।

बदलाव कुछ समूहों को प्रभावित कर सकते हैं और नई आपूर्ति श्रृंखलाएं बनाने की आवश्यकता है।

पर्यावरण की रक्षा को लेकर सरकारें पैकेजिंग में प्लास्टिक को प्रतिबंधित करने के बजाय प्लास्टिक ‘स्ट्रॉ’ और प्लास्टिक बैग पर प्रतिबंध लगाने जैसे आसान तरीकों को अपनाती है।

उदाहरण के तौर पर, भारत में प्लास्टिक प्रतिबंध की आलोचना इस बात के लिए की गई कि इससे अपशिष्ट प्रबंधन का बोझ बड़े, अधिक प्रदूषणकारी उद्योगों की जगह छोटे व्यवसायों पर आ गया।

बड़े प्रतिष्ठानों पर आरोप भी लगाए हैं कि वे अधिक महंगे कागज और कपड़े जैसे पैकेजिंग विकल्पों की लागत उपभोक्ताओं से वसूल रहे हैं।

एकल-उपयोग उत्पाद के इस्तेमाल से बचना बेहतर

अब समय विकल्प की तलाश बंद करने और एकल-उपयोग उत्पाद के इस्तेमाल से बचने पर ध्यान देने का है।

याद रखें, ‘स्ट्रॉ’ का इस्तेमाल मुख्य रूप से विशेष परिस्थितियों और जगहों पर किया जाता है: बेहद छोटे बच्चे और ऐसे लोग जो सीधे कप से नहीं पी सकते। उन्हें अभी भी ‘स्ट्रॉ’ की जरूरत हो सकती है।

एकल-उपयोग वाली बोतलें अनावश्यक हैं। हमें जर्मनी की कांच की बोतल के दोबारा इस्तेमाल की प्रणाली से सीखना चाहिए और उत्पादन तथा वितरण के लिए चक्रण प्रणाली स्थापित करनी चाहिए।

बेहतर नीतियां और विनियमन

ऐसी नीतियां बनाई जानी चाहिए जो प्लास्टिक तक उपभोक्ताओं की पहुंच को कम कर सके। ऐसा कदम एकल-उपयोग वाली वस्तुओं पर प्रतिबंध लगाने से बेहतर होगा।

सरकारों को प्लास्टिक से लाभ कमाने वाले प्रतिष्ठानों और प्लास्टिक प्रदूषण में उनकी भूमिका को लेकर उन पर जिम्मेदारी डालनी चाहिए।

द कन्वरसेशन खारी पवनेश

पवनेश



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