हर मामले की जांच संभव नहीं, देखेंगे कि मुठभेड़ संबंधी दिशा-निर्देशों का पालन हुआ या नहीं: न्यायालय |

Ankit
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नयी दिल्ली, चार फरवरी (भाषा) उच्चतम न्यायालय ने मंगलवार को कहा कि वह मई 2021 से अगस्त 2022 तक असम में कथित 171 पुलिस मुठभेड़ के मामलों के गुण-दोष पर विचार नहीं कर सकता, बल्कि केवल यह देख सकता है कि ऐसी न्यायेतर हत्याओं पर उसके दिशानिर्देशों का उचित रूप से पालन किया गया था या नहीं।


न्यायमूर्ति सूर्यकांत और न्यायमूर्ति एन कोटिश्वर सिंह की पीठ ने याचिकाकर्ता आरिफ मोहम्मद यासीन जवादर की ओर से पेश अधिवक्ता प्रशांत भूषण से कहा कि अदालत के लिए प्रत्येक मुठभेड़ की जांच करना संभव नहीं है।

भूषण ने मुठभेड़ के इन मामलों में पीड़ितों या घायल हुए लोगों के परिवार के सदस्यों द्वारा लिखे गए पत्रों का हवाला दिया और कहा कि यह संख्या चौंकाने वाली है।

भूषण ने कहा, ‘‘इस अदालत द्वारा पीयूसीएल बनाम महाराष्ट्र मामले (2014 मामला) में इन मुठभेड़ों के लिए निर्धारित दिशा-निर्देशों का घोर उल्लंघन किया गया। ऐसा घायलों और मृतकों के परिवार के सदस्यों द्वारा दिए गए बयानों से देखा जा सकता है।’’

उन्होंने कहा कि मुठभेड़ के इन मामलों में दर्ज ज्यादातर प्राथमिकी पीड़ितों के खिलाफ हैं जबकि उच्चतम न्यायालय के दिशा-निर्देशों के अनुसार मामला इनमें शामिल पुलिसकर्मियों के खिलाफ दर्ज किया जाना चाहिए।

असम का प्रतिनिधित्व कर रहे सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने कहा कि उन्हें याचिका में दी गई सामग्री और दावों पर गौर करने की जरूरत है।

याचिका की प्रामाणिकता और उद्देश्य पर सवाल उठाते हुए मेहता ने कहा कि न्यायालय के दिशा-निर्देशों का अक्षरशः पालन किया जा रहा है। पीठ ने मामले की सुनवाई अगले सप्ताह के लिए स्थगित कर दी।

उच्चतम न्यायालय गुवाहाटी उच्च न्यायालय के जनवरी 2023 के आदेश को चुनौती देने संबंधी याचिका पर सुनवाई कर रहा था, जिसमें असम पुलिस की ओर से की गई इन मुठभेड़ों के संबंध में दाखिल एक जनहित याचिका खारिज कर दी गई थी।

उच्च न्यायालय ने अपने आदेश में असम सरकार द्वारा उसके समक्ष दायर हलफनामे का हवाला दिया जिसमें कहा गया था कि मई 2021 से अगस्त 2022 तक 171 घटनाएं हुईं, जिनमें हिरासत में मौजूद चार कैदियों सहित 56 लोगों की मौत हो गई और 145 घायल हो गए।

पिछले साल 22 अक्टूबर को उच्चतम न्यायालय ने असम पुलिस द्वारा मई 2021 से अगस्त 2022 तक की गयी 171 मुठभेड़ों से जुड़े मुद्दे को ‘बहुत गंभीर’ करार देते हुए इन मामलों की जांच सहित विस्तृत जानकारी तलब की थी।

जुलाई, 2023 में उच्चतम न्यायालय ने उच्च न्यायालय के आदेश को चुनौती देने संबंधी याचिका पर असम सरकार और अन्य से जवाब मांगा था।

भाषा

देवेंद्र दिलीप

दिलीप



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