नयी दिल्ली, एक अप्रैल (भाषा) अमेरिका की एक रिपोर्ट में कहा गया है कि भारत अमेरिकी कृषि उत्पादों, दवा निर्माण और मादक पेय पदार्थों की एक विस्तृत शृंखला पर ‘उच्च’ आयात शुल्क लगाने के साथ गैर-शुल्क बाधाएं भी लगाता है।
भारत समेत प्रमुख व्यापारिक साझेदार देशों पर दो अप्रैल से जवाबी सीमा शुल्क लगाए जाने से ऐन पहले अमेरिकी व्यापार प्रतिनिधि (यूएसटीआर) ने अपनी एक रिपोर्ट में यह बात कही है।
यूएसटीआर ने सोमवार को राष्ट्रीय व्यापार अनुमान (एनटीई) रिपोर्ट जारी की। यह एक वार्षिक रिपोर्ट है जो अमेरिकी निर्यात, निवेश एवं डिजिटल व्यापार को प्रभावित करने वाले देशों की प्रमुख नीतियों और प्रथाओं को सूचीबद्ध करती है।
रिपोर्ट में अमेरिका और भारत के बीच कई व्यापार एवं नियामकीय चुनौतियों पर
प्रकाश डाला गया है, जिसमें शुल्क, गैर-शुल्क बाधाएं, बौद्धिक संपदा, सेवाएं, डिजिटल व्यापार और पारदर्शिता से संबंधित मुद्दे शामिल हैं।
हालांकि, नवीनतम रिपोर्ट में उठाए गए बिंदुओं पर व्यापार विशेषज्ञों का कहना है कि अधिकांश मुद्दे पहले की रिपोर्टों का दोहराव हैं और इनमें से कुछ मुद्दों को पहले ही हल किया जा चुका है।
रिपोर्ट के मुताबिक, भारत ने वनस्पति तेलों (45 प्रतिशत तक), सेब, मक्का एवं मोटरसाइकिल (50 प्रतिशत); वाहन एवं फूल (60 प्रतिशत); प्राकृतिक रबड़ (70 प्रतिशत); कॉफी, किशमिश एवं अखरोट (100 प्रतिशत) और मादक पेय (150 प्रतिशत) समेत कई तरह के अमेरिकी उत्पादों पर उच्च सीमा शुल्क लगाए हुए हैं।
रिपोर्ट कहती है कि भारत ने विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) की आवश्यक दवाओं की सूची में शामिल जीवनरक्षक दवाओं एवं तैयार दवाओं सहित औषधि निर्माण पर भी बहुत अधिक शुल्क लगाया हुआ है।
यूएसटीआर की रिपोर्ट के मुताबिक, उच्च शुल्क दरें अन्य कृषि वस्तुओं और प्रसंस्कृत खाद्य पदार्थों (जैसे पॉल्ट्री, आलू, साइट्रस, बादाम, पेकान, सेब, अंगूर, डिब्बाबंद आड़ू, चॉकलेट, कुकीज़, जमे हुए फ्रेंच फ्राइज़, तथा फास्ट-फूड रेस्तरां में उपयोग किए जाने वाले अन्य तैयार खाद्य पदार्थ) के व्यापार में भी बड़ी बाधा पैदा करती हैं।
विश्व व्यापार संगठन के प्रावधानों के तहत भारत ने कुछ कृषि उत्पादों पर 300 प्रतिशत तक शुल्क लगाया हुआ है। रिपोर्ट कहती है कि कृषि उत्पादों पर भारत की शुल्क दरें दुनिया में सबसे अधिक हैं। इससे अमेरिकी श्रमिकों, किसानों, पशुपालकों और निर्यातकों के लिए भारी अनिश्चितता पैदा होती है।
गैर-शुल्क बाधाओं के बारे में इसने कहा कि भारत ने आयात प्रतिबंध, पाबंदियां, कुछ वस्तुओं पर लाइसेंसिंग मंजूरी, अनिवार्य गुणवत्ता नियंत्रण आदेश, सीमा शुल्क बाधाएं, चिकित्सा उपकरणों पर मूल्य नियंत्रण और उपकरणों के लिए अनिवार्य घरेलू परीक्षण और प्रमाणन शर्तें लगाई हुई हैं।
रिपोर्ट के मुताबिक, भारत की शुल्क दरें वार्षिक बजट के साथ घोषित की जाती हैं और अधिसूचनाओं के माध्यम से तदर्थ आधार पर संशोधित कर दी जाती हैं..टिप्पणी का अवसर दिए बगैर।
भाषा प्रेम
प्रेम अजय
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