हथकरघा कारीगरों को उत्पादों के विपणन में सरकारी मदद की आस

Ankit
3 Min Read


लखनऊ, सात अगस्त (भाषा) हथकरघा कारीगरों ने बुधवार को कहा कि उनके उत्पादों के विपणन में सरकार की मदद और बैंक ऋण में वृद्धि से पारंपरिक कारीगरों के समुदाय को लाभ मिल सकता है।


राष्ट्रीय हथकरघा दिवस पर यहां एक कार्यक्रम में एकत्रित कारीगरों ने कहा कि कारीगरों से सीधी खरीद होने पर हथकरघा उत्पादों की कीमत मशीन से बने उत्पादों की तुलना में कम होगी और इससे पारंपरिक कारीगरों को भी फलने-फूलने में मदद मिलेगी।

उत्तर प्रदेश डिजाइन एवं शोध संस्थान, लखनऊ की तरफ से आयोजित कार्यक्रम में देश के विभिन्न हिस्सों से आए चुनिंदा कारीगरों ने शिरकत की। इसमें पुरस्कार विजेता कारीगरों ने चंदेरी, ब्रोकेड, रंगकट सहित बेहतरीन कलाकारी का प्रदर्शन भी किया।

वाराणसी के राष्ट्रीय पुरस्कार विजेता कारीगर प्यारे लाल मौर्य ने पीटीआई-भाषा से कहा, ‘हमें अमेरिका, ब्रिटेन, जापान या रूस की तरफ देखने की जरूरत भी नहीं है। अगर देश के सभी सरकारी कार्यालय कारीगरों से सामान खरीदते हैं तो इससे अच्छा काम होगा।’

हथकरघा उत्पादों की कीमत अधिक होने के बारे में पूछे जाने पर मौर्य ने कहा कि अगर कारीगरों से सीधे खरीदा जाए तो लागत कम होती है। उन्होंने कहा, ‘मध्यस्थ सामान की कीमत बढ़ा देते हैं। अगर सरकार कारीगरों से सीधे खरीद करती है तो सामान की कीमत कम होगी।’

मध्य प्रदेश के दुर्ग से आए चंदेरी जानकार हुकुम चंद कोली ने समुदाय के कामों को बाजार में लाने के लिए अधिक मंचों की जरूरत पर बल दिया। उन्होंने कहा कि सरकारी सब्सिडी पर ऋण मिलने और रियायती दरों पर उपकरण खरीदने के मामले में कारीगरों की स्थिति सुधरी है।

इस अवसर पर उत्तर प्रदेश डिजाइन एवं शोध संस्थान की अध्यक्ष क्षिप्रा शुक्ला ने कहा कि राज्य एवं केंद्र की सरकार हस्तशिल्पियों को बढ़ावा दे रही है और विश्वकर्मा श्रम सम्मान, एक जिला-एक उत्पाद जैसी कई कल्याणकारी योजनाएं शुरू की गई हैं।

उन्होंने कहा, ‘इन योजनाओं ने हर हाथ को हुनर और काम देकर स्वरोजगार को बढ़ावा दिया है। सरकार ने वोकल फॉर लोकल के जरिए स्थानीय कारीगरों को विश्व पटल पर पहचान दिलाई है।’

भाषा किशोर जफर

नोमान प्रेम

प्रेम



Share This Article
Leave a comment

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *